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मीडिया की नौकरी में दलाल बनना पड़ता है ?

मीडिया की नौकरी में दलाल बनना पड़ता है या मज़बूरी दलाल बनने पर मजबूर कर देती है मीडिया का गिरता स्तर  और नौकरी की समस्या मुह खोले हमेशा खड़ी रहती है ऐसा   लगता है कब मीडिया की नौकरी लील जाएगी ।

 १० से १५ का अनुभव लिए लोग अखबार और टीवी चेंनेल के चक्कर काटते नजर आते है आखिर कितनी अनिश्चिता होती है ? डरे सहमे से मीडिया कर्मी काम करने और मागने के लिए  बेसहारा -अनाथ लोगो की तरह कतार में खड़े रहते है । 

फिल्मो में गॉडफादर  की  जरुरत होती है अब मीडिया की मंडी में अपना दलाल गॉडफादर  होना उतना ही जरुरी है जितना फिल्मो में कपडे उतारना  ? अगर गॉडफादर  मिल गया तो  विजय है नहीं तो  लाइन में खड़े रहो और कभी अपनी किस्मत कभी अपने पेशे को लेकर रोते और गाली सुनते रहो ।

दुसरे तरीके के जॉब में तरक्की और जिन्दगी भर आराम देखने को मिलता है लोग पूछ लेते है यार तुम कितना कमा रहे हो अब क्या कहे ,घर के खर्चे भी खीच कर निकल पाते है मगर सीना तान के कहते है हम मीडिया में काम करते है । लोगो का मजमा लगा कर लम्बी लम्बी  कहानिया सुनाते है मीडिया के लोग ? मैंने यह उखाड़ लिया , सच यह है उखड खुद ही जाते है ।

क्यों की हमारे पीछे माई- बाप नहीं है टैलेंट क्या खाक काम करेगा ... लडकिया इस मामले में लडको से आगे निकल रही है कल तक  जो सर सर कहती थी आज किसी टीवी चेंनेल  में जाकर  बैठ गयी । भाई किसी एडिटर के साथ राते गुजारने  में माहिर निकली ? 

आखिर मीडिया विद्यार्थी  कहा जा रहे  है कुछ मास मीडिया की  पढ़ाई करते करते मन बदल लेते है मीडिया में काम नहीं करना है कुछ हमारे जैसे चूतिया मीडिया में मट्टी पलीत करवा रहे है ।  मीडिया का कीड़ा अंदर  तक घुसा है जो मरने के बाद भी नहीं मरेगा ।  

दलाली आती नहीं बस गुजारा करना जानते है रिश्तेदार बातो का थूक बनाकर चेहरे पर चिपका देते है अरे यार मीडिया ।  कल डेल्ही से मुंबई आ रहा था उधर चार पोलिसे वाले आपस में मीडिया की एम् सी बी सी  कर रहे थे । साले मीडिया वाले बड़ा माल कमाते है सब तरफ से ले लेते है ।

 हमसे रुका नहीं गया तो बोल बैठे ,दरोगा जी मीडिया हमारी ससुराल है । सच यह है कुछ मीडिया के लोग अच्छा कमा लेते है जो दलाली कर लेते है हर आदमी मीडिया में  नहीं कमा पाता है । आपकी खाकी के ठाट है माल बना लेते है । दरोगा जी चुप हो  गए ।  

१२ साल का लम्बा वनवास  काट रहा हु मीडिया में नौकरी के लाले पड गए तो अपनी दुकान सजा ली और रोटी का गुजारा करने लगे । किसी से नौकरी मागो तो सूअर की तरह मुह फाड़ देता है गंगवार जी क्यों शर्मिदा कर रहे हो । नौकरी माग ली तो  शर्मिदा हो गए भाई साहेव ?  


संपादक 
सुशील गंगवार
फ़ोन- 09167618866
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