बिना माइक आईडी के काम कर रहे हैं पूर्वांचल के रिपोर्टर : इण्डिया न्यूज यूपी/यूके की लान्चिंग के बाद से ही रिपोर्टरों की हालत खस्ता है. खासतौर पर पूर्वांचल में, यहां इण्डिया न्यूज के रिपोर्टर चैनल की पालिसी को लेकर बेहद परेशान हैं. चैनल प्रबंधन ने बगैर आईडी दिए चैनल में रिपोर्टरों की नियुक्ति कर दी थी. अब छह माह से ज्यादा बीत चुके हैं परन्तु अब तक इन रिपोर्टरों को माइक आईडी चैनल की तरफ से नहीं दिया गया. बिना माइक आईडी दिए ही इंडिया न्यूज खुद को यूपी में नम्बर वन चैनल कह रहा है, जब रिपोर्टरों को चैनल की तरफ से माइक आईडी दे दी जाएगी तब क्या होगा?
परेशानी इतनी ही नहीं है. माइक आईडी ना होने से खबरों के लिए दूसरों का सहारा लेना पड़ रहा है. अगर किसी अधिकारी की बाइट चाहिए तो इंडिया न्यूज के रिपोर्टर अन्य चैनलों के पत्रकारों का सहारा ले रहे हैं. किसी तरह करके खबरें जुटा रहे हैं. कभी कभार तो इण्डिया न्यूज के पत्रकारों को अधिकारियों को अपना परिचय देने में शर्म आ जाती है क्यों कि उनके पास पहचान बताने वाले माइक आईडी के नाम पर कुछ नहीं हैं. स्ट्रिंगरों के साथ धोखा करने वाले इस चैनल का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. इसी तरह बिना आईडी के रिपोर्टरों से इण्डिया न्यूज खबर लेता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब इण्डिया न्यूज का पत्रकार खुद यह भूल जायेगा कि वह क्या है तथा किस चैनल से जुड़ा हुआ है.
पिछले छह महीनों से इण्डिया न्यूज के रिपोर्टरों को भुगतान भी नहीं किया गया है. ईटीवी और जी न्यूज यूपी की खबरों को चुराकर इण्डिया न्यूज एक्सक्लूसिव चलाने वाले इण्डिया न्यूज जल्द ही नीचे से सबसे पहले स्थान पर नजर आयेगा। एसाइनमेन्ट पर बैठे चैनल के अधिकारियों का कहना है कि माइक आईडी बनाने के लिये गई है जल्द ही आने पर सबको बिना कहे दे दिया जायेगा. 100 रुपये की माइक आईडी को लेकर रिपार्टरों को बरगलाया जा रहा है. करोड़ों रुपये की लागत से चैनल चलाने वाले अगर 100 रुपये की माइक आईडी के लिये रोना रोयेंगे तो चैनल में काम करने वाले रिपोर्टरों के भविष्य का क्या होगा आप खुद सोच सकते हैं! इन्हीं सब कारणों से रिपोर्टिंग को दुनिया में दस सबसे खराब कामों में गिना जाता है.
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
Sabhar- Bhadas 4 media.com.