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निर्मल बाबा की गिरफ़्तारी पर अंतरिम रोक


सीजेएम, लखनऊ के आदेश पर गोमतीनगर थाने में दर्ज एफआईआर के खिलाफ निर्मल बाबा उर्फ निर्मलजीत सिंह नरूला ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में रिट याचिका संख्या 4473/201 दायर की थी. मामले कि सुनवाई आज 5/ जून 2012 को जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह और जस्टिस सईदुज्ज़मा सिद्दीकी के समक्ष हुई. माननीय कोर्ट ने निर्मल बाबा की गिरफ़्तारी पर रोक लगाने का आदेश देते हुए कहा कि यदि उन्होंने जांच में पुलिस का पूरा सहयोग नहीं किया तो गिरफ़्तारी पर रोक के आदेश को निरस्त भी किया जा सकता है.

गोमतीनगर थाने में यह एफआईआर संख्या 165/2012 धारा 417, 419, 420 आईपीसी आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन के बच्चों तनया और आदित्य के प्रार्थनापत्र के आधार पर लिखी गयी थी. गोमतीनगर थाने द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करने पर ये बच्चे सीजेएम कोर्ट गए थे जहाँ सीजेएम कोर्ट ने कहा था कि प्रस्तुत आवेदन पर संज्ञेय अपराध बनता है और एफआईआर दर्ज करने के पर्याप्त आधार है.

निर्मल बाबा की ओर से दायर रिट याचिका में कहा गया था कि वे एक प्रख्यात धार्मिक व्यक्ति हैं और इस मामले में पूर्णतया निर्दोष हैं. उन्होंने सीजेएम के आदेश को गलत बताते हुए इस एफआईआर को निरस्त करने और इस दौरान गिरफ़्तारी रोकने की मांग की थी. उन्होंने यह भी कहा कि 16 मई 2012 को इस अभियोग के विवेचक राजेश कुमार सिंह ने 160 सीआरपीसी में कई बिंदुओं पर उन्हें 24 मई तक अपना बयान दर्ज कराने को नोटिस भेजा था.

निर्मल बाबा की ओर से अमन लेखी और तनया और आदित्य की ओर से नीरज कुमार और त्रिपुरेश त्रिपाठी अधिवक्ता थे.
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