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झूठे शपथ पत्र के आधार पर हड़प ली पत्रकार श्रद्धानिधि

मध्य प्रदेश शासन ने 62 वर्ष से अधिक उम्र वाले पत्रकारों के लिए पांच हजार रू. माह श्रद्धानिधि देने की योजना क्रियान्वित की है, जिसे पांच माह पूर्व से लागू करना बताया है अर्थात प्रारंभ में ऐसे पत्रकारों को 25-25 हजार रूपए दिए गए हैं। इस योजना का एक पत्रकार राधावल्लभ शारदा ने अनुचित लाभ उठाया। इस योजना के नियम 7 में कहा गया है कि आवेदन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं होना चाहिए।
शारदा द्वारा दिए गए शपथ पत्र की कंडिका-5 में कहा गया है कि उस पर कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं है, जबकि टी.टी. नगर थाने द्वारा 26.7.13 को दी गई जानकारी में बताया गया है कि शारदा पर अरुण मालपानी ने धारा 420 में प्रकरण दर्ज कराया था, जिसका अपराध क्र.1062/06-420 है। इसका चालान क्र. 863 दिनांक 26-11-09 को न्यायालय में पेश किया गया, जहां मामला माननीय न्यायाधीश विशाल शर्मा की अदालत में विचाराधीन है। इस प्रकार झूठा शपथपत्र देकर श्रद्धानिधि  हड़पी गई। शारदा की शैक्षणिक योग्यता भी संदेह के घेरे में है।

अधिमान्यता आवेदन में इसने अपनी शैक्षणिक योग्यता स्नातक बताई है और प्रमाण के रूप में कृषि विभाग का वह स्थानांतरण आदेश प्रस्तुत किया है, जिसमें इसका तबादला परिवहन विभाग में किया गया था। वह इस विभाग में निम्न श्रेणी लिपिक था। क्या एक एलडीसी स्नातक हो सकता है? फिर कृषि विभाग से इसे प्रतिनियुक्ति की बजाय सीधे परिवहन विभाग में स्थानांतरित कैसे किया गया, जो नियम में ही नहीं आता है? यहां यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि यदि यह स्नातक है तो श्रद्धानिधि आवेदन में शैक्षणिक योग्यता हायर सेकंडरी क्यों बताई?

इस जालसाज ने श्रद्धानिधि आवेदन में अपना वेतन निरंक बताया है, जबकि जनसंपर्क से बीमारी के आर्थिक सहायता आवेदन में आय 10 हजार रुपए मासिक बताई थी। सच क्या है? म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ ने इसकी शिकायत शासन से की है और मांग की है कि भ्रामक जानकारी देकर श्रद्धानिधि हड़पने वाले शारदा पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए तथा श्रद्धानिधि की राशि 25,000 हजार रुपए वसूल की जाकर श्रद्धानिधि बंद की जाए।
भोपाल से अरशद अली खान की रिपोर्ट
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