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हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है


मरहूम जोहर सहगल जी की शान में सोशल मीडिया और फेसबुक पर कसीदे बहुत पढ़े जा रहे हैं. हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है लेकिन कोई ये नहीं बता रहा कि पद्मविभूषण से सम्मानित इस नायाब अदाकारा की आखिरी इच्छा भी हम भारत के लोग पूरा नहीं कर पाए.
दिल्ली में अपने मकान की टपकती छत से निजात पाने के लिए उन्होंने सरकार से एक अदद फ्लैट की मांग की थी, जो उन्हें नहीं दिया गया. इसी तमन्ना को दिल में लिए वो इस दुनिया से रुखसत हो गईं. किसी से कोई शिकवा नहीं किया, शोर नहीं मचाया, किसी की मिट्टी पलीद नहीं की, बस अपमान का घूंट पीकर हंसते हुए चुपचाप हमारे सामने से विदा हो गईं. दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर तक भी उनकी फरियाद गई थी, पर उनके कानों पर जूं नहीं रेंगी.
शर्मनाक है ये !!! एक सभ्य समाज के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने की ऐसी स्थिति कम ही आती होगी. और फिर हम सीना चौड़ा करके कहते हैं कि कला-संस्कृति के सबसे बड़े रक्षक-ध्वजवाहक हैं!!! मुझे तो जोहरा जी को दी गई श्रद्धांजलि बनावटी लग रही है. सब कुछ नाटक सा लग रहा है.
ये बात नहीं कि उन्हें फ्लैट नहीं मिला तो हम भारत के लोग बुरे हो गए. 100 साल की उम्र पार कर चुकी एक बुजुर्ग जब अपने वतन से सिर छुपाने और सुरक्षा से जीने के एहसास के लिए अगर एक अदना सा घर मांगे तो क्या ये देश उसे ये -सुविधा- मुहैया नहीं करा सकता!!! इतने बेशर्म, बेहया और गिरी हुई कौम तो नहीं ही हैं ना हम लोग.
मुझे नहीं मालूम कि किस लेफ्टिनेंट गवर्नर, किस सेक्रेटरी, किस नौकरशाह, किस नेता और किस बाबू के दफ्तरों तक उनकी दरख्वास्त वाली फाइल घूमी. लेकिन इसका पता लगाया जाना चाहिए. और चुन-चुन कर उन्हें सजा दी जानी चाहिए. सामाजिक तौर पर उन्हें जलील किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में हम अपने बुजुर्गों और देश की धरोहरों का सम्मान करना सीख सकें.
जोहरा सहगल जी, इस देश को माफ कर दीजिएगा. ये लोग नहीं जानते, इन्होंने आपके साथ क्या किया है.
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