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हारना नही, हराना है- नेहा बंसल

कपड़े नहीं अपनी सोच बदलें - नेहा बंसल 
                                                   
 कैथल, हरियाणा की रहने वाली एक लड़की जिसने कालेज के फंकशन्स से अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत कर, बहुत ही कम समय में बुलंदी के आसमान को छुआ हो, अभिनय के इतिहास में बहुत ही कम ऐसे उदाहरण मिलेगें। अपनी आधुनिक सोच तथा काफी बोल्ड़ और परिपक्व अभिनय क्षमता के बल पर, औरों से अलग स्थान बनाने वाली अदाकारा  का नाम है, नेहा बंसल। नेहा ने इसके अलावा काफी रैम्प शोज़ किए। इसके अलावा उन्होने काफी कम उम्र में ही, कला के क्षेत्र में, और क्या-क्या उपलब्धियाँ हासिल की, जानने की कोशिश करते है.

 नेहा जी! फिल्मों में आगमन कब और कैसे हुआ ?

मैं हरियाणा में स्कूल-कालेज के प्रोग्रामों में भाग लेती रही, फिर अभिनय मे निखार लाने के लिए स्टेज भी किया। उसके बाद बैंगलोर में रैम्प शोज़ किए। मैने खुद का डबिंग स्टूडियो डाला, एन. बी. एन्टरटेन्मेन्ट के नाम से अपनी प्रोडक्शन कम्पनी शुरु की। सच बताऊ तो इन सबके दौरान, कब मै फिल्मों की ओर मुड़ गयी इसका पता खुद मुझे ही नही चला।

ओह! इटस वेरी इंट्रेस्टिंग! इतनी कम उम्र में इतनी उपलब्धियाँ, इसका श्रेय किसे देती हैं ?

शायद अपने बुरे वक्त को, काफी कुछ हालात को, जिन्होने मुझे जूझना सिखाया। उन दोस्तों को जिन्होने ऐसे हालात में मेरा साथ दिया। खास कर उन दोस्तों को भी इसका श्रेय जाता है, जिन्होने बुरे वक्त में मेरा साथ छोड़कर मुझे यह सिखाया कि, मैं अकेली ही काफी हूँ, विषम परिस्थितियांे से लड़ने के लिए।

आपने कौन-कौन सी फिल्मों में अभिनय किया है ?

मैने ‘ढँूढ़ लेंगे मंजिल हम’ (द लाइफ इज अबाउट क्रियेटिंग योरसेल्फ) मूवी की जिसमें मैं एक गरीब अनाथ लड़की का रोल कर रही हँू। इसके अलावा ओम साँई राम मूवी के बैनर तले एक अनाम फिल्म कर रही हँू। यह फिल्म लड़कियों के ड्रिंकिंग पर बेस्ड है। इसके अलावा ‘मी ऐड माई डिवाइस’ मेरी दूसरी शार्ट मूवी है।

एज ए प्रोडयूसर आपकी क्रिएटिविटी क्या है ?

समय आने पर बताऊगी पर इतना बता देती हूँ कि अगले माह तक मैं अपने प्रोडक्शन से गुड न्यूज देने वाली हुँ.

आपको इंडस्ट्री में काफी बोल्ड और बिन्दास अदाकारा के रुप में माना जाता है, इसमें कितनी सच्चाई है ?

देखिए इसमें सिर्फ समाज की सोच का दोष है। कोई लड़की यदि कम कपड़ों में जा रही है तो वह किसी को यौन शोषण का अधिकार नही देती। यह उसकी पर्सनल लाइफ है और किसी की पर्सनल लाइफ में किसी को हस्तक्षेप का अधिकार नही। लोगों को यह समझना चाहिए कि आज कम्पटीशन काफी बढ़ गया है। आप 21वीं सेन्चुरी में जी रहे हैं और आपकी सोच काफी पीछे चल रही है। यदि बदलने की जरूरत है तो कपड़े नहीं अपनी सोच को बदलें। फिर आज क्या साड़ी में लड़की सुरक्षित है ?

फिल्मों में आप कैसे रोल करना पसंद करेगीं ?

कलाकार किसी रोल का मोहताज नहीं होता। मैं हर तरीके का रोल करना चाहंूगी पर उसमे ग्लैमर हो वल्गरिटी न हो, तो अवश्य करुँगी।

क्या नायिका प्रधान फिल्में करना चाहेगीं ?

क्यो नही यदि विषय अच्छा हो, मेरा कैरेक्टर दमदार हो तो क्यो नही करुँगी। वूमेन ओरिएन्टेड फिल्मों का दौर विधा बालन  की डर्टी पिक्चर से फिर जोर पकड़ चुका है। कहानी जैसा सब्जेक्ट मैं समझती हँू कोई  नायिका नही छोड़ सकती।  

कहते है जिनके इरादे बुलंद होते हैं, उन्हे दुनिया की कोई भी शक्ति हरा नही सकती। कुछ ऐसा ही है नेहा बंसल के साथ जिन्होने अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत से ही सफलता की सीढि़याँ चढ़ना शुरु कर दिया था। स्कूल-कालेज की अभिनय प्रतिभा, निखर के सामने आयी और नेहा के पाँव कैथल, हरियाणा से निकल कर बैंगलोर के रैम्प पर चलने के लिए मचलने लगे।

 मजबूत इरादों के बल पर, नेहा ने पहले तो रिकाडिऱ्ंग एण्ड डबिंग स्टूडि़यो की नीव रखी और आगे चलकर नेहा बंसल ने अपनी खुद की प्रोड़क्शन कम्पनी एन. बी. इन्टरटेन्मेन्ट के नाम से खोली। घर वालों और कुछ दोस्तों के असहयोग के बावजूद बंसल ने इतना सब कुछ अपने मजबूत इरादों के बल पर ही सम्भव कर दिखाया। नेहा ने कभी संतोष करना सीखा ही नही था सो उसके कदम यहाँ पर भी नही ठहरे। उसने फिल्मों की ओर अपनी अभिनय प्रतिभा के बल पर रुख किया और बतौर अभिनेत्री फिल्मों में आने लगी। नेहा ने फिल्म, ‘ढँूढ़ लेंगे मंजिल’ (द लाइफ इज अबाउट क्रियेटिव योरसेल्फ) इस फिल्म में नेहा एक अनाथ, गरीब लड़की का रोल कर रही हैं। ‘मी ऐड माई डिवाइस’ में काम कर रही हैं। 

अभी नेहा जी ओम सांई राम क्रिएशन के बैनर तले एक अनाम फिल्म कर रही हैं। शायद नेहा ने काम को अपना मुकाम बना लिया था इसके लिए उसने कलम को साथ ले, पत्रकारिता के क्षेत्र में भी हाथ आजमाने की ठानी। उसने ‘दार्शनिक मुम्बई’ में ज्वाइन्ट डेप्युटी एडिटर के पद पर काम शुरु कर दिया। इस प्रकार नेहा ने अपने एक-एक पल का सदुपयोग किया, वह भी बहुत ही कम उम्र में। नेहा बंसल कुल मिलाकर एक ऐसा नाम है जिसने राह की रुकावटों में, अपनी राह बना ली। जिसे दुश्मनों के प्यार और दोस्तों के ठोकरों ने चलना सिखाया। प्रतिकूल परिस्थ्तिियों ने लड़ना सिखाया और मेहनत, लगन और काम ने व्यस्त और मस्त रहना सिखाया। ऐसे लोग हारने के लिए नही, हराने के लिए ही बने होते है।