मन से रावण और तन से राम बनने/ दिखने की प्रवृत्ति
ही हमारा जीवन सार्थक नही होने देती,
बनना है तो रावण ही बनो कि भगवान् श्रीराम स्वयं मोक्ष देने आयें या फिर राम बनने का आचरण लाओ कि स्वयं भगवान् कहलाओ ,
कुकर्मों पर सत्कमों की विजय का प्रतीक "दशहरा "
आप सभी के लिए मंगलमय हो !!
पीयूष सुहाने