मीडिया में १६ साल गुजर जाने के बाद कभी कभी ऐसा लगता है कि मीडिया से संन्यास ले लू। लेकिन------- जाता हू जब मीडिया ज्वाइन किया था तब के हालात और अब के हालात में जमीन आसमान का अंतर है। फिर भी जुटे जा रहा हू। फिल्म पत्रकारिता और राजनीती पत्रकारिता दोनों कर रहा हू । लेकिन अब चाटुकार ही जिन्दा रह सकता है वो भी इस मीडिया में।
लोग पूछते है क्या मीडिया ज्वाइन कर लू तो मै बोल देता हू भाई बहन सोच ले। कही ऐसा न हो कि खाने के लाले पड़ जाए। बदलते मीडिया का परभाषित करना थोड़ा मुश्किल है पर इतना भी मुश्किल नहीं। हां एक बात जरूर कहुगा। हे रे मीडिया। ..
एडिटर
सुशील गंगवार
साक्षात्कार डॉट काम