
संजय त्रिपाठी के साथ काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि संजय ज़िन्दादिल इंसान थे और अपने काम में माहिर, मस्त-मौला। उनके पिताजी विधायक थे पर खुद राजनीति से दूर रहे और राजनीति करने वालों से बेहद चिढ़ते थे। मनमर्जी के मालिक थे। कहते थे ज़िम्मेदारियाँ पूरी हो गईं, अब जिंदगी का आनंद लेना है। पर वो बैठने वाले इंसान नहीं थे। काम हो या न हो, कैमरा लेकर निकल पड़ते थे। अच्छी फोटो हाथ लगते ही क्लिक कर देते और फेसबुक पर अपलोड करते। गाँव जाकर कुछ काम धंधा करना चाहते थे। राष्ट्रीय सहारा छोड़ने के बाद कुछ मायूस से रहने लगे थे। जनवरी में वो जनसत्तान्यूज़.कॉम से जुड़े और इसे नयी बुलंदी प्रदान की।
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