बड़ा दुःख होता है जब कोई किसी से कहे पत्रकार तो चाय और समोसे खाने आते है। पत्रकारिता को चौथा स्तम्भ माना गया है। मगर अब कुछ लोगो की बजह से ये चौथा खम्भा हिलने सा लगा। जब एक पत्रकार की हैसियत चाय और समोसा में तोल ली जाती है। अरे भाई चाय और समोसा कीमत केवल १६ रूपये मात्र है। ये तो वह मामूली पत्रकार - फोटोग्राफर - अपने घर नीचे खड़े होकर कही भी खा सकता है। इतने पैसे तो हर किसी की जेब में होते है। फिर ये इतना तामझाम और दिखावा क्यों ?
एडिटर इन चीफ
सुशील गंगवार
साक्षात्कार डाट कॉम
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