Anil Singh : पुण्य का मास्टर स्ट्रोक…. हिंदी के टीवी न्यूज़ चैनलों को भारतीय समाज के लोकतंत्रीकरण की भूमिका निभानी है। सितंबर 2001 में जर्मनी से लौटने के बाद अपने समाज के इसी democratization की चाहत ने प्रिंट को छोड़कर टीवी न्यूज़ चैनलों की तरफ खींच लिया। कोशिश की तो सौभाग्य से मुझे एनडीटीवी इंडिया में जगह भी मिल गई।

आज मुझे लगता है कि एनडीटीवी इंडिया के प्राइमटाइम में रवीश कुमार जनता के असली सरोकारों का मुद्दा उठाकर खरी भूमिका निभा रहे हैं। वहीं, एबीपी न्यूज़ में पुण्य प्रसून वाजपेई ने ‘मास्टर स्ट्रोक’ के ज़रिए सत्ता की गरदन पकड़ने का शानदार काम शुरू किया है।
अब प्रमुख चैनलों में केवल आजतक ही बचा है (इंडिया टीवी तो सत्ता की रखैल है) जहां सत्ता का एजेंडा चलाया जा रहा है। वैसे, आजतक के पास भी Navin Kumar जैसा शख्स है जिनको मौका दिया जाए तो आजतक भी भारतीय समाज के लोकतंत्रीकरण में एनडीटीवी इंडिया और एबीपी न्यूज़ के नाद को अनुनाद तक पहुंचा सकता हैं। बाकी, मालिकों की मर्जी। वैसे मालिकों को भी बाज़ार की सुन लेनी चाहिए, नहीं तो होड़ में पिछड़ जाएंगे और सरकारी या बाबाई नहीं, मगर निजी कंपनियों से होनेवाली विज्ञापन आय को थोड़ा बट्टा तो लग ही सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार और अर्थकाम डाट काम के संस्थापक अनिल सिंह की एफबी वॉल से
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