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रणबीर कपूर के लिए ‘संजू’ लगातार बजती तालियों की गूंज है


Rana Yashwant : आज ‘संजू’ देखी. १०० करोड़ की लीग में तीसरे दिन फिल्म का आना व्यावसायिक नजरिए से जरुरी और बड़ी बात भले हो लेकिन अदाकारी के लिहाज से रणबीर कपूर ने झंडा गाड़ दिया है. पिछले पांच साल से एक हिट की तलाश कर रहे रणबीर के लिए ‘संजू’ लगातार बजती तालियों की गूंज है.
फिल्म में सुनील दत्त का किरदार निभा रहे परेश रावल का एक डायलॉग है -“मेरा बेटा कोई गुजरा हुआ वक्त नहीं कि लौट नहीं सके”. यह बात कभी संजय दत्त के लिए जितनी बड़ी उम्मीद लिए थी, ‘संजू’ रणवीर कपूर के लिए भी ऐसी ही थी.
२०१३ में ‘ये जवानी है दीवानी’ के बाद उनकी कोई हिट फिल्म नहीं रही. हां ‘ऐ दिल है मुश्किल’ ने कुछ बेहतर जरुर किया. लेकिन रणबीर जितने काबिल कलाकार हैं, उस लिहाज से पांच साल सूखा ही रहा. ‘संजू’ सावन लेकर आई है. मैने ये हमेशा माना है कि आमिर खान के बाद अगर कोई परफेक्ट एक्टर मौजूदा दौर में हुआ है तो वो रणबीर हैं. अलग अलग किरदार को जिस खूबी से उन्होंने निभाया है, उसने उनके हुनर का लोहा मनवाया है.
एक अकेले रॉकस्टार में कई मूड के किरदार जीने थे. रॉकेट सिंह, बर्फी, तमाशा ( भले फ्लॉप रही) की भूमिकाएं रणबीर ने जिस खूबी से निभाई, वो आला दर्जे की रही हैं. ‘संजू’ देखकर आपको ये अंदाजा होगा कि एक जिंदा इंसान को अपने भीतर जीने और फिर उसको हू-ब-हू पर्दे पर उतारने का काम रणबीर ने कितने करीने से किया है. सवाल, सिनेमा में रहते हैं- मैं उन पर अभी नहीं जाना चाहता. बस इतना कि मज़ा आ गया रणबीर!!! राजकुमार हिरानी पर अलग से लिखूँगा. वो एकदम अलहदा हैं.
इंडिया  न्यूज के मैनेजिंग एडिटर राणा यशवंत की एफबी वॉल से
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