विनोद कापड़ी दंपति से रिश्तों की तल्खी अब और नहीं… विनोद कापड़ी जी वरिष्ठ पत्रकार हैं, अब तो फिल्मकार भी हैं। हम दोनों में एक समानता रही है कि हम दोनों ही कवि और वरिष्ठ पत्रकार वीरेन डंगवाल जी के प्रिय रहे हैं। उन्हीं परिचय से करीब 11 साल पहले मैंने विनोद कापड़ी जी से फोन पर बातचीत की थी। ये दुर्योग ही था कि हम लोगों की बातचीत बेपटरी होकर तल्ख हो गई। मैं तब दैनिक जागरण, नोएडा आफिस में सेंट्रल डेस्क पर डिप्टी न्यूज एडिटर था। नौकरी मांगने के लिए उनसे फोन किया था। लेकिन हम दोनों की बातचीत की तल्खी की आंच दैनिक जागरण की मेरी नौकरी पर पड़ी और नौकरी छूट भी गई।
वरिष्ठ पत्रकार और फिल्मकार विनोद कापड़ी
इसके बाद हम दोनों के बीच तल्खी बढ़ती चली गई। मैंने स्वतंत्र रूप से Bhadas4Media.com की शुरुआत की जो खबरों की दुनिया और खबरों की दुनिया में रहने वालों की खबर लेने वाली प्रमुख वेबसाइट बनी। विनोद कापड़ी जी से रिश्तों की तल्खी कायम रही, जिसका असर भड़ास में छपी कई खबरों में भी दिखा। शायद अवचेतन में मुझे ये बात टीसती रही कि जागरण से मेरी नौकरी कापड़ी जी की वजह से ही गई थी। यही टीस ‘भड़ास’ बनकर अक्सर सामने आती रही। रिश्तों में आई ये खटास कोर्ट कचहरी तक पहुंच गई जिसमें मुझे करीब चार महीने जेल में भी बिताने पड़े।
इस लड़ाई को अब एक दशक से ज्यादा हो गया है। मैं मानता हूं कि किसी भी रिश्ते में नकारात्मकता का दौर इतना लंबा नहीं खिंचना चाहिए। राजनीति में तो दुश्मनी और दोस्ती कभी स्थायी होती ही नहीं। उद्योग घरानों में भी रिश्तों की तल्खी की बहुत ज्यादा उम्र नहीं होती। यही वजह है कि जी ग्रुप के मालिक सुभाष चंद्रा और नवीन जिंदल भी रिश्तों की तल्खी भुलाकर आपस में गले मिल गए। तो फिर हम लोग क्यों आपस में लड़ते रहें।
मैं भी अब विनोद कापड़ी जी और अपने रिश्तों की ये खटास खत्म करना चाहता हूं। अब ये बात कोई मायने नहीं रखती कि गलती किसकी थी, किसने शुरुआत की थी, किसे ज्यादा अपमान मिला, किसे ज्यादा दंड मिला। गड़े मुर्दे उखाड़ने से बदबू को छोड़ कुछ नहीं मिलना है। उचित यही है कि इन सारी बातों से ऊपर उठकर रिश्तों को एक नया कलेवर दिया जाए।
इस क्रम में मैं अपनी तरफ से अपनी हर गलती के लिए विनोद कापड़ी जी और उनकी धर्मपत्नी साक्षी जी से माफी मांगता हूं। आगे से मेरे मन में विनोद कापड़ी और उनकी पत्नी साक्षी जी के लिए किसी भी तरह का नकारात्मक भाव नहीं रहेगा। भड़ास पर इनके खिलाफ जो कुछ अनर्गल पोस्ट लिखी थीं, उसमें से कइयों को डिलीट कर चुका हूं।
मैं चाहूंगा कि आगे हम लोग एक अच्छे दोस्त के रूप में जीवन जिएं। विनोद कापड़ी जी उम्र और अनुभव में मुझसे बड़े हैं। कहा भी गया है कि क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात। मैंने कापड़ी दंपति से पूर्व में हुई सभी भूलों की माफी मांगकर रिश्तों की नई शुरुआत की पहल की है, इस आशा के साथ कि वे भी अपने मन से सारे गिले शिकवे भुलाकर दशक भर से ज्यादा चले इस युद्ध पर विराम लगाएंगे। रिश्तों की एक नई राह खोलेंगे। एक दूसरे के आत्मसम्मान की रक्षा करेंगे।
Sabhar- Bhadas4media.com