ग़ज़ल गायक, शायर और कथाकार के रूप में चर्चित आईएएस अधिकारी डॉ. हरिओम के अफ़सानों की नई किताब ‘तितलियों का शोर’ का पिछले दिनों विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली में वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर रस्म-ए-इज़रा हुआ।
इस मौक़े पर लेखक हरिओम से हिंदी के सीनियर कवि लीलाधर मंडलोई, वाणी प्रकाशन के मुखिया अरुण माहेश्वरी, निदेशक अदिति माहेश्वरी और युवा आलोचक बजरंग बिहारी तिवारी ने पुस्तक की कहानियों, हिंदी में मौजूदा कथा-विमर्श पर तफ़सील से चर्चा की और हरिओम ने अपनी कहानियों के हवाले से तमाम सवालों का तसल्ली बख़्श जवाब दिया।
इस मौक़े पर तमाम दीगर लेखक अफ़साना निगार और शो’अरा मौजूद थे। गीतकार ओम् निश्चल के अलावा समीक्षक प्रेम शंकर, ज़हीन उपन्यासकार पागरे और कई साहित्य प्रेमी भी इस सेरेमोनी के गवाह बने। हरिओम ने अपनी किताब के बारे में बताया यह अफ़सानों की उनकी दूसरी किताब है जिसमें सोशल-सियासी और मानवीय मुद्दों पर लिखी गयीं कुल ग्यारह कहानियाँ हैं।
दस साल पहले आयी उनकी पहली किताब ‘अमरीका मेरी जान’ भी काफ़ी चर्चित हुई थी। हरिओम एक मजीद नाम है जिसकी शोहरत शायरी के साथ अफ़सानों में भी बराबर बनी हुई है। बतौर गायक उनका नाम इधर काफ़ी तेज़ी से सामयिन के मशहूर हुआ है। हाज़िरीन की फ़रमाइश पर हरिओम ने अपनी एक ग़ज़ल भी तरन्नुम में सुनाई। आप भी सुनें….
उम्मीद की जाती है कि डॉक्टर हरिओम की कहानियाँ पाठकों के ज़हन पर अच्छा असर डालेंगी और उनका अदबी क़द इस किताब से और बढ़ेगा। कार्यक्रम के आख़िर में वाणी प्रकाशन के कर्ता धरता अरुण माहेश्वरी ने लेखक और हाज़िरीन का शुक्रिया अदा किया।
प्रेस रिलीज
Sabhar- Bhadas4media.com