उफ्फ। मनहूस सुबह। मन एकदम परेशान हो गया सुनकर कि पुष्पगीत दुनिया में नहीं रहा। कैंसर से वह जिंदगी की जंग हार गया। पुष्पगीत रांची के दैनिक भास्कर में पत्रकार था। इसके पहले प्रभात खबर में था। जब से रांची गया, तब से पुष्पगीत से रिश्ता बना। कभी पत्रकार का रिश्ता नहीं रहा। भइयारो रहा। हमभाषी होने की वजह से भी। या नही मालूम ऐसा क्यों हुआ था लेकिन पुष्पगीत से पहली मुलाकात से ही भाईयारो का नाता बन गया।
वह कैंसर से जूझते हुए पिछले कई सालों से अपने काम को कर रहा था। कोर रिपोर्टिंग का काम। कभी किसी को कहते नहीं सुना कि उसके सामने चुनौतियां बड़ी हैं, मुश्किल पहाड़-सा। कभी वह अपनी बीमारी के बारे में किसी को नहीं बताता था।
खुद अस्वस्थ था लेकिन उसकी एक्सपर्टी स्वास्थ्य रिपोर्टिंग में थी। हेल्थ बीट पर उसकी पकड़ गजब की थी। जब मन में आये फोन करता था उसे। फलाना डॉक्टर के बारे में जानकारी। फलाना डॉक्टर के पास दिखाने में किसी को मदद। न जाने कितने लोगों की मदद की पुष्पगीत ने। रात बिरात कभी भी कोई उसे जगा देता था। वह तैयार रहता था। सबके लिए।
पत्रकार निराला बिदेसिया की एफबी वॉल से
Sabhar-- Bhadas4media.com