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देश की मीडिया एवं मनोरंजन इं‍डस्‍ट्री 2015 तक सवा लाख करोड़ की हो जाएगी


इस साल के आखिर तक इंटरनेट बाजार भी 46000 करोड़ तक होने का अनुमान : केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा बड़ा टेलीविजन मार्केट है। देश में 13.80 करोड़ घरों में टेलीविजन है। केबल और सेटेलाइट की पहुंच 80 फीसदी तक है और डीटीएच सेगमेंट में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है। 2015 तक यह इंडस्ट्री बढ़ कर 1,27,500 करोड़ रुपये की हो सकती है।
नेटवर्क-18 समूह के साथ एक बहुस्तरीय साझेदारी के जरिये रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने न्यू एज मीडिया और एंटरटेनमेंट की दुनिया में पहल कर दी है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन का मीडिया कारोबार में उतरने का फैसला भारतीय मीडिया और एंटरटेनमेंट कारोबार में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। मुकेश के इस फैसले से यह साबित हो गया है कि भारतीय मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बड़े मौके और मुनाफे की संभावना बहुत मजबूत है।
आंकड़ों के मुताबिक भारतीय मीडिया और एंटरटेनमेंट कारोबार की कुल वैल्यू 2010 में 800 अरब रुपये से भी ज्यादा की है। अर्नेस्ट एंड यंग की रिपोर्ट - 'स्पॉटलाइट ऑन इंडियाज एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री' के मुताबिक अगले चार साल में यह 1250 अरब रुपये का हो जाएगा। डिजिटाइजेशन, मीडिया उत्पादों की खपत और युवा आबादी में इजाफे की वजह से इस इंडस्ट्री को काफी रफ्तार मिल रही है। आर्थिक उदारीकरण, लगभग साढ़े आठ फीसदी की औसत विकास दर, तेजी से बढ़ते मध्यवर्ग और लेजर और एंटरटेनमेंट उत्पादों की बढ़ोतरी ने ग्लोबल मीडिया कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करना शुरू कर दिया है। भारतीय मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री एक बेहद अहम मोड़ पर खड़ी है। भारत में डिजिटल मीडिया तेजी से पांव पसार रहा है।
देश में 3जी और 4जी सर्विस की शुरुआत के साथ ही इसमें जबरदस्त उछाल आएगा। 2015 तक देश के 18.70 करोड़ ब्रॉडबैंड सब्सक्राइवर वायलेस डिवाइस के जरिये इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगेंगे। देश में इस समय 600 टेलीविजन चैनल, पे-चैनल देखने वाले दस करोड़ परिवार, 70,000 समाचारपत्र हैं। हर साल यह देश 1,000 फिल्मों का निर्माण करता है। भारत अलग-अलग संस्कृतियों, भाषाओं और विविधता भरे कंटेट वाला बाजार है। बाजार की यह विविधता ही ग्लोबल मीडिया और एंटरटेनमेंट कंपनियों को स्थानीय भाषाओं और संस्कृति के हिसाब से कंटेट बेचने का मौका मुहैया कराता है।
मीडिया और एंटरनेटमेंट सेक्टर में रेग्यूलेशन और नियम ऐसे हैं, जिनसे ग्लोबल निवेशकों के लिए यहां के बाजार में कारोबार करना आसान है। अर्नेस्ट एंड यंग के ग्लोबल मीडिया एंड एंटरटेनमेंट लीडर जॉन नेनडिक का कहना है कि यहां कंटेट के स्थानीयकरण, डिस्‍ट्रीब्यूशन, कीमतों, रेग्यूलेशन और पाइरेसी के मोर्चे पर खासी चुनौतियां हैं। लेकिन इन चुनौतियों को साध लिया जाए तो खासा मुनाफा कमाया जा सकता है।
टेलीविजन : केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा बड़ा टेलीविजन मार्केट है। देश में 13.80 करोड़ घरों में टेलीविजन है। केबल और सेटेलाइट की पहुंच 80 फीसदी तक है और डीटीएच सेगमेंट में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस बीच, हाई डेफिनेशन (एचडी), इन-बिल्ट रिकार्डर के साथ सेट टॉप बॉक्स और मोबाइल की तादाद बढ़ती जा रही है। इस तरह इस बाजार में इनोवेशन और ग्रोथ के पूरे मौके मौजूद हैं।
रेडियो : रेडियो सेक्टर अब तक 50 साल का सफर पूरा कर चुका है। निजी खिलाडिय़ों के लिए इस क्षेत्र को खोलने के बाद इसमें तेज बढ़ोतरी हुई है। देश के लगभग हर बड़े शहर में एफएम चैनल हैं और कइयों को लाइसेंस का इंतजार है। एफएम रेडियो विज्ञापन राजस्व के एक बड़े स्रोत के रूप में उभरा है। रेवेन्यू- शेयरिंग आधार पर इस सेक्टर की कंपनियों को को दिए जा रहे लाइसेंस से इसकी रफ्तार काफी बढ़ गई है।
डिजिटाइजेशन : मीडिया एंड एंटरटेनमेंट मार्केट में डिजिटाइजेशन बढ़ता जा रहा है। परंपरागत एनेलॉग केबल की जगह अब डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन का जमाना आ रहा है। माना जा रहा है कि 2013 तक डिजिटल सब्सक्राइवर की तादाद केबल सब्सक्राइवर से ज्यादा हो जाएगी। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के लिए 31 मार्च, 2012 तक डिजिटाइजेशन की समय सीमा रखी गई है। अगले चरण में दस लाख की आबादी से ज्यादा 35 शहरों में डिजिटाइजेशन को पूरा करना है। 
इंटरनेट : इंडस्ट्री रिपोर्ट के मुताबिक इस साल तक ई-कॉमर्स का बाजार 50 फीसदी बढ़ कर 46,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा। ऑनलाइन ट्रेवल इंडस्ट्री के तेजी से बढऩे की वजह से ई-कॉमर्स का बाजार बढ़ता जा रहा है। पूरे ई-कॉमर्स बाजार में इसकी हिस्सेदारी 75 फीसदी है। भारत दुनिया का दूसरा बड़ा मोबाइल मार्केट है और अब यह एक और क्रांति के मुहाने पर खड़ा है और यह है मोबाइल इंटरनेट। मोबाइल इंटरनेट के प्रसार के साथ ही ई-कॉमर्स का बाजार और बढ़ेगा।
न्यूजपेपर : दुनिया के कई बाजारों में न्यूजपेपर रीडरशिप सिकुड़ती जा रही है। लेकिन भारत में अखबारों के रीडरशिप में इजाफा हो रहा है। साक्षरता दर बढऩे, बढ़ते उपभोक्ता खर्च और क्षेत्रीय बाजारों की तेज बढ़त की बदौलत (खास कर अखबारों के मामले में) अखबारों का राजस्व बढ़ रहा है।
निवेश : भारत के सिलिकन वैली (बेंगलुरू) में हॉलीवुड की तर्ज पर फिल्म सिटी बनाने की तैयारी हो रही है। नंदी इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर एंटरप्राइज बेंगलुरू के बाहर इलाके में इस परियोजना को मूर्त रूप देने की तैयारी कर रहा है। 300 एकड़ के इस प्लॉट में 20 स्टूडियो होंगे। इन स्टूडियो में यूनिवर्सल, एमजीएम और डिज्नी स्टूडियो में मिले -वाली सुविधा होगी। हाल में कैबिनेट की आर्थिक मामलों की कमेटी ने वाल्ट डिज्नी कंपनी (साउथ-ईस्ट एशिया) की यूटीवी सॉफ्टवेयर कम्यूनिकेशन लिमिटेड में हिस्सेदारी 48.02 से बढ़ा कर सौ फीसदी करने की अनुमति दे दी है। इससे इस इंडस्ट्री में 8,250 करोड़ रुपये की एफडीआई आने की उम्मीद है।
सरकार की कोशिश : सूचना और प्रसारण मंत्रालय सेट-टॉप बॉक्स समेत दूसरे प्रसारण उपकरणों के आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए वित्तीय सहायता देने की योजना बना रहा है। एनालॉग से डिजिटल प्लेटफॉर्म में बदलाव करने के लिए सरकार वित्तीय सहायता देने को तैयार है। केबल कंपनियों में 49 फीसदी की मौजूदा एफडीआई को 74 फीसदी करने पर भी विचार हो रहा है।
अच्छा भविष्य : मीडिया और एंटरटेनमेंट उत्पादों की खपत में बढ़त की वजह से मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री 14 फीसदी सीएजीआर की रफ्तार से बढ़ेगी। केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 तक यह इंडस्ट्री बढ़ कर 1,27,500 करोड़ रुपये की हो सकती है। (केपीएमजी, अर्नेस्ट एंड यंग और आईबीईएफ की रिपोर्ट पर आधारित)। साभार : भास्‍कर