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और अब मायावती ने माँगा प्रेस क्लब से लाखों का हिसाब




चंडीगढ़ प्रेस क्लब के पदाधिकारियों को चेक देतीं मायावती

लिया अब लौटाना मुश्किल पड़ गया है. चंडीगढ़ प्रेस क्लब चंडीगढ़ के हुक्मरानों ही नहीं, अब उत्तर प्रदेश सरकार से भी परेशान है. सिरदर्दी का कारण है यूपी सरकार की वो चिट्ठी जिसके ज़रिये उसने क्लब से अपने पैसों का हिसाब किताब पूछा है. अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर ये जानकारी यूपी के एक सरकारी सूत्र ने दी है.


मायावती 27 अक्टूबर 2007 को चंडीगढ़ आईं तो प्रेस क्लब में भी आईं थीं. कभी चंडीगढ़ के सांसद के नाते केन्द्रीय विमानन मंत्री रह चुके हरमोहन धवन नए नए बसपा में आये थे. उन ने 28 अक्टूबर को चंडीगढ़ के मुख्य सेक्टर 17 में एक बड़ी रैली रखी थी. धवन को लोक सभा का चुनाव लड़ना था. मायावती की कुछ दिलचस्पी पंजाब, हरियाणा और हिमाचल की चुनावी राजनीति में भी रहती ही आई है. चंडीगढ़ इन सब के बीच एक अहम् पड़ाव और उसमें चंडीगढ़ प्रेस क्लब का भाव सो रैली से एक दिन पहले वे आईं. क्लब में सदस्यों के अलावा जमी भीड़ को भी संबोधित किया. 'इवन गाड पेज़ हियर' की तर्ज़ पे क्लब ने मोटी मांग रखी. वे तीस लाख रूपये देने की घोषणा कर गईं. तब तक खुद हरियाणा, पंजाब ने भी क्लब का भाव पांचेक लाख रूपये का रखा हुआ था. तीस ले के क्लब बागो बाग़.


ये तीस लाख दिए गए एक बड़ा हाल बनाने के लिए. वो हाल उस पैसे से बना या नहीं पता नहीं. लेकिन तब से आज तक क्लब ने उस रकम के खर्च का ब्यौरा यूपी सरकार को नहीं भेजा. तकनीकी भाषा में इसे यूटिलाईज़ेशन सर्टिफिकेट कहते है. 
सीएजी आफिस को बताना पड़ता है कि सरकारी खजाने का पैसा कहाँ गया. अब चुनाव है और पता नहीं माया रहे या जाए सो एक चिट्ठी सुना है कि लखनऊ से चल के चंडीगढ़ गई है. दिक्कत अब यहाँ ये खड़ी हो गई है कि हिसाब किताब उस रकम के खर्च का भी कोई नहीं है.


आप सोचेंगे कि उस रकम के साथ इस 'भी' का क्या मतलब है. मतलब है और वो ये है कि हिसाब किताब क्लब के पास सरकारी खजाने आये पैसों के और खर्चों का भी कोई नहीं है. क्लब ने केन्द्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल के सांसद निधि कोष से भी साढ़े सात लाख की एक रकम ली थी. पहली मंजिल पे लायब्रेरी बनाने का अनुबंध करने के बाद. लायब्रेरी होने को क्लब की किसी भी मंजिल पे नहीं है. ऐसे में क्लब दिविधा में है और माया की समस्या ये कि अगर कोई केस दर्ज करना पड़ा तो वो दर्ज होगा चंडीगढ़ में. इस लिए कि चेक का लेनदेन चंडीगढ़ में हुआ. चंडीगढ़ में क्लब की समस्या ये कि वो यहाँ पहले भी वादों और विवादों में है.


क्लब के खिलाफ एक केस हाईकोर्ट में चल रहा है जिसमे कहा गया है कि क्लब जिस तकरीबन सौ करोड़ रूपये बाजारी मूल्य की सरकारी ज़मीन पे काबिज़ है उसका कोई किरायेनामा या लीज़ उसके पास नहीं है. ये बात आर.टी.आई. के तहद मांगी गई एक जानकारी के जवाब में चंडीगढ़ प्रशासन पहले ही मान चुका है. सो, क्लब 
अब माया की चिट्ठी पे फिलहाल तो अभी तो चुप्पी साधे है. सोच रहा है, क्या करे?
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