Amitabh Agnihotri--
अजीत अंजुम जी ने अपनी वाल पर मुझे लेकर अपनी राय दी थी .. विनोद वंसलजी ने उसे मेरी वाल पर पोस्ट किया.. अजीतजी के उस कमेन्ट पर लगभग १०० टिप्पणिया आईं.... वो तमाम टिप्पणियों ने मुझे अभिभूत कर दिया .... इतना स्नेह ... इतना आशीष .... देश भर से स्नेह की बरसात ... लगा मानो यह आशीष - पर्व है... संकोच भी होरहा है... अब जिम्मेबारी भी बड़ी है... आप सब के स्नेह के सम्मान की... आत्मप्रकाश शुक्ल की दो पंक्तियाँ स्मरण हो रही हैं ...... आशीषों का पर्व इसे अभिनन्दन मत कहिये.... अपने छोटे से बबूल को चन्दन मत कहिये... आप सभी का कोटिश आभार... आपकी की apekchaon पर खरा उतरता रहूँ , परमात्मा इतनी शक्ति दे..
source- Facebook.
अजीत अंजुम जी ने अपनी वाल पर मुझे लेकर अपनी राय दी थी .. विनोद वंसलजी ने उसे मेरी वाल पर पोस्ट किया.. अजीतजी के उस कमेन्ट पर लगभग १०० टिप्पणिया आईं.... वो तमाम टिप्पणियों ने मुझे अभिभूत कर दिया .... इतना स्नेह ... इतना आशीष .... देश भर से स्नेह की बरसात ... लगा मानो यह आशीष - पर्व है... संकोच भी होरहा है... अब जिम्मेबारी भी बड़ी है... आप सब के स्नेह के सम्मान की... आत्मप्रकाश शुक्ल की दो पंक्तियाँ स्मरण हो रही हैं ...... आशीषों का पर्व इसे अभिनन्दन मत कहिये.... अपने छोटे से बबूल को चन्दन मत कहिये... आप सभी का कोटिश आभार... आपकी की apekchaon पर खरा उतरता रहूँ , परमात्मा इतनी शक्ति दे..
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