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वाह रे लाश के धंधेबाज जागरण वालों!


मेरी बातें सुनने/पढ़ने से पहले दैनिक जागरण, गोरखपुर एडिशन के कुशीनगर के लोकल पेज पर 17 मार्च 2012 को प्रकाशित खबर को जरूर पढ़ें. खबर पढ़ने के बाद ये मसला आपको जरूर समझ में आ जाएगा. सारांश मैं आपको बता देता हूँ कि मरने वाली लड़की मंजरी मेरे एक रिश्तेदार की बिटिया थी, जिसे अपना वैवाहिक जीवन दो माह भी पूरा करना नसीब नहीं हुआ. क्यों हुआ, कैसे हुआ, क्या हुआ, पुलिस की इनवस्टीगेशन में काफी कुछ सामने आ रहा है और बाकी न्यायलय में साफ़ हो ही जायेगा. फिलहाल जागरण में प्रकाशित इस खबर पर मैं चर्चा करना चाहता हूँ. 
दो-चार दिनों पहले मैं गोरखपुर गया था, वहीँ मंजरी के घर से मुझे ये कटिंग मिली. जिन भी महाशय ने ये खबर लिखी है, इसे पढ़कर कोई भी खबरनवीस आसानी से समझ सकता है कि खबर लिखने वाले सज्जन ने कितना पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है. क्यों अपनाया होगा इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं.. विद्वान पत्रकार ने इंट्रो में ही माहौल बनाना शुरू कर दिया है कि मंजरी की मौत दहेज़ हत्या का मामला नहीं है. दूसरे पैरे की शुरुआत में हुजूर आरोपी ससुराल वालों की ओर से धमकियाने जैसी मुद्रा में आ गए हैं. लिखते हैं "....कुरेदने पर ऐसी तस्वीर बनने की सम्भावना दिखती है जो दोनों परिवारों की इज्जत पर सवालिया निशान खड़ा करता है." मानो कह रहे हों कि मंजरी के अभागे माँ-बाप इस केस की ज्यादा पैरवी मत करो वर्ना बेटी तो गयी ही है, तुम लोगों के इज्जत की भी धज्जियाँ उड़ जाएँगी. त्रिकालदर्शी इन पत्रकार महाशय इसी पैरे के आखिरी में ये भी साफ़ कर दिया है कि "मंजरी ने मोबाइल से बात करने के बाद मोबाइल कमरे के बाहर रखकर अपने को कमरे में बंदकर आग लगा लिया." वाह रे लाश के धंधेबाज!
पत्रकार महोदय ने तीसरे पैरे में लिखा है कि जब उन्होंने "गहरी छानबीन" की और जवाहर, विजयी, रविन्द्र, शाकिर से बातचीत की तो पता चला कि मंजरी अन्दर जल रही थी और उसे दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला गया. तब भी वो जीवित थी और उसे अस्पताल ले जाया गया. हे महान पत्रकार आपकी "गहरी छानबीन" की गहराई किसी कटोरे के तल से ज्यादा नहीं दिखती. माननीय सेशन न्यायाधीश श्याम विनोद ने जमानत पर सुनवाई के दौरान गवाहान मुंशी, नरेश और जवाहर द्वारा पुलिस को दिए गए बयान का जिक्र अपने आदेश में किया है. गवाहों ने साफ़ तौर पर मंजरी की हत्या की शंका प्रकट की है. और पत्रकार महोदय आप जो लिख रहे हैं कि मंजरी के श्वसुर विपिन बिहारी श्रीवास्तव ने फोन पर घटना की जानकारी पाने के बाद मंजरी को लेकर तुरंत पडरौना आने को कहा, तो हे छानबीन उस्ताद पत्रकार महोदय गवाह जवाहर ने अपने बयान में साफ़ कहा है कि सास श्वसुर गाड़ी में लादकर बहू को कहीं ले गए और घंटे भर बाद लाश लेकर अपने घर वापिस आए. उसी गाँव के तीन-तीन गवाह आरोपियों को गुनाहगार साबित करने वाला बयान देते हैं तो उसी गाँव के मात्र दो लोग शाकिर अली और विजयी आरोपियों के पक्ष में बयान देते हैं.
आप आगे लिखते हैं कि मंजरी के पिता अरुण कुमार श्रीवास्तव ने पुलिस से कहा कि मुझे न तो केस करना है न तो पोस्टमार्टम कराना है. हे अद्भुत प्रतिभा के धनी मिस्टर पत्रकार एक बाप जिसने अपनी बेटी की चंद हफ़्तों पहले विदाई की हो वो उसकी आग में झुलसी लाश देखकर रोते हुए ये कह दे कि "मुझे कुछ नहीं करना कुछ करके क्या करूँगा मेरी बेटी तो गयी", इसका आपने ऐसा मतलब निकाल लिया कि आरोपियों को क्लीन चिट ही दे डाली. पत्रकारिता का फाईव डब्ल्यू-वन एच से शुरुआत करने वाला भी जानता है कि किसी भी न्यूज़ में हर पक्ष का बयान देना जरूरी माना जाता है. अगर किसी वजह से किसी पक्ष का बयान न मिल पाए तो उस वजह का जिक्र भी कर दिया जाता है. आपने न तो मृतका के पक्ष का बयान लिया न ही पुलिस के किसी वर्जन की आपने आवश्यकता समझी (उसकी जरूरत तो आपको वैसे भी नहीं पड़ती क्‍योंकि सागर जैसी गहरी छानबीन तो आप खुद ही कर लेते हो).
विपिन बिहारी की जमानत प्रार्थना पत्र रद्द करने का फैसला तो खैर आपकी गहरी छानबीन के बाद आया तो उससे आपका क्या सरोकार. जिस फैसले में न्यायालय ने कहा है कि जिस कमरे में मंजरी जली उस कमरे का दरवाजा या कुंडा टूटने का कोई साक्ष्य नहीं है. श्वसुर विपिन बिहारी की जमानत प्रार्थना पत्र माननीय न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया, सास रविनंदिनी श्रीवास्तव को जमानत न्यायालय ने दी तो लेकिन साथ में टिप्पणी करते हुए कहा कि अभियुक्ता के महिला, वृद्ध व बीमार होने के कारण जमानत स्वीकार की गयी है. तो हुजूर लाश पर ही पेट पालना है तो शमशान घाट पर एक विशेष किस्म का कार्य होता है उसे अपना लो. संभवतः ईमानदारी के रुपये वो धंधा आपके वर्तमान धंधे के ईमानदारी की कमाई से ज्यादा दे सकता है. उसे अपनाने के बाद कम से कम ईमानदार तो रह जाओगे. इससे भी बड़ी बात इस खबर को प्रकाशित करने वाले डेस्‍क वालों को भी इस खबर में कहीं कोई गड़बड़ी नजर नहीं आई. धन्‍य है जागरण और जागरण के पत्रकार है.
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चंदन श्रीवास्‍तव
फैजाबाद
Sabhar- Bhadas4media.com