भाईयों आप लोगों के बीच में आज भडास के संचालक डा. रुपेश श्रीवास्तव जी नहीं रहें। जिन्होंने लोगों को अपने प्रखर विचारों से हिला कर रख दिया था। आज उनकी कलम रूक गयी है। आज के बाद कभी किसी के बारे कुछ नहीं लिखेंगें ।
सत्य प्रकाश जी, डॉ. साहब केवल भड़ास के संचालक नहीं थे, वो एक आवाज थे. वाकई में उनका व्यक्तित्व अद्भुत दर्शन था. डॉ. साहब भले ना रहें मगर उनकी आवाज बुलंद होती रहेगी. भड़ास जिन्दा रहेगा भड़ास में हम अपने ह्रदय के करीब हमेशा डॉ. साहब को ही पाएंगे. विचारों की जो ज्य्वाला डॉ. साहब ने जलाई वो मरने वाली नहीं थी और रुपेश जी के रास्ते का ही अख्तियार करके भड़ास आगे भी अपने विचारों का कारवां जारी रखेगा.
ये मैं नहीं कह रहा हमेशा डॉ. साहब ने यही कहा और अब लग रहा है की उनके कई सत्य वचन में से ये वचन भी सत्य हो गया की मैं रहूँ न रहूँ भड़ास में मैं आत्मा बन कर घुसा रहूँगा. बस इतनी जल्दी ये होगा ये अकल्पनीय और अविश्वसनीय लग रहा है अब भी :-(
हे भगवान !!! सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा। रुपेश भैया चले गए, यह कैसे मान लूं मैं? अभी कुछ समय पहले तक तो उनकी आवाज़ फोन पर सुनी थी। ऐसा लगता है वे अभी फोन कर कहेंगे, "दिवस भाई, गुंड बोल रहा हूँ...ही ही ही..." मुझे याद है जब पहली बार मैंने उनसे पूछा था की रुपेश भैया आप करते क्या हैं? तो उनका सीधा सटीक जवाब था, "पार्ट टाइम डॉक्टर और फुल टाइम गुण्डा हूँ मैं...ही ही ही..."
न जाने उनकी वह "ही ही ही..." वाली हंसी कहाँ खो गयी?
रुपेश भैया, आपने एक बार किसी ब्लॉग पर कहा था कि "रुपेश, दिव्या, दिवस, मनीषा दीदी व मुनव्वर आपा सब एक हैं।" हाँ भैया, हम एक हैं। आप सदैव हमारे ह्रदय में जीवित रहेंगे। रुपेश भैया, आप सदैव याद आएँगे। रुपेश भैया, अब कुछ कह नहीं पा रहा, गला भर रहा है।
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5 टिप्पणियाँ:
डॉ. साहब केवल भड़ास के संचालक नहीं थे, वो एक आवाज थे. वाकई में उनका व्यक्तित्व अद्भुत दर्शन था. डॉ. साहब भले ना रहें मगर उनकी आवाज बुलंद होती रहेगी. भड़ास जिन्दा रहेगा भड़ास में हम अपने ह्रदय के करीब हमेशा डॉ. साहब को ही पाएंगे. विचारों की जो ज्य्वाला डॉ. साहब ने जलाई वो मरने वाली नहीं थी और रुपेश जी के रास्ते का ही अख्तियार करके भड़ास आगे भी अपने विचारों का कारवां जारी रखेगा.
ये मैं नहीं कह रहा हमेशा डॉ. साहब ने यही कहा और अब लग रहा है की उनके कई सत्य वचन में से ये वचन भी सत्य हो गया की मैं रहूँ न रहूँ भड़ास में मैं आत्मा बन कर घुसा रहूँगा. बस इतनी जल्दी ये होगा ये अकल्पनीय और अविश्वसनीय लग रहा है अब भी :-(
जय जय रुपेश
जय जय भड़ास
अभी कुछ समय पहले तक तो उनकी आवाज़ फोन पर सुनी थी।
ऐसा लगता है वे अभी फोन कर कहेंगे, "दिवस भाई, गुंड बोल रहा हूँ...ही ही ही..."
मुझे याद है जब पहली बार मैंने उनसे पूछा था की रुपेश भैया आप करते क्या हैं? तो उनका सीधा सटीक जवाब था, "पार्ट टाइम डॉक्टर और फुल टाइम गुण्डा हूँ मैं...ही ही ही..."
न जाने उनकी वह "ही ही ही..." वाली हंसी कहाँ खो गयी?
रुपेश भैया, आपने एक बार किसी ब्लॉग पर कहा था कि "रुपेश, दिव्या, दिवस, मनीषा दीदी व मुनव्वर आपा सब एक हैं।"
हाँ भैया, हम एक हैं। आप सदैव हमारे ह्रदय में जीवित रहेंगे। रुपेश भैया, आप सदैव याद आएँगे।
रुपेश भैया, अब कुछ कह नहीं पा रहा, गला भर रहा है।
I LOVE YOU RUPESH BHAIYA...