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निर्मल बाबा और पॉल दिनाकरन को एक ही तराजू से नहीं तौल सकते उमा भारती जी


भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने जिस ईसाई धर्म गुरु को निशाने पर लिया है वो एक अर्से से थर्ड मीडिया के निशाने पर था, लेकिन अब उस अभियान को पंख मिल गए हैं। उमा भारती ने हाल ही में कहा था कि जब निर्मल बाबा के कृपा बांटने पर लोगों को शंका है तो फिर अपने भक्तों के उद्धार का दावा करने वाले ईसाई धर्म गुरु पॉल दिनाकरन पर क्यों नहीं सवाल खड़े हो रहे हैं? हालांकि इस सबके बावज़ूद पॉल के अंध भक्तों पर इसका कोई असर होगा इसकी उम्मीद कम ही है।
ऐसा नहीं है कि पॉल बाबा के कारनामे किसी से छिपे हुए हैं। इन कथित धर्मगुरु के पास तो घोषित तौर पर निर्मल बाबा से 20 गुनी दौलत है और वो लगातार बढ़ रही है। पॉल दिनाकरन चेन्नई के ईसाई धर्म प्रचारक डॉक्टर डीजीएस दिनाकरन के बेटे हैं। डॉक्टर ‌दिनाकरन और उनके बेटे दोनों ही न सिर्फ पैसे में बल्कि झूठ और डींगे हांकने में भी निर्मल बाबा से कई गुना आगे हैं। डीजीएस दिनाकरन ने दावा किया था कि उन्होंने ईसा मसीह को साक्षात अपनी आंखों से देखा है। उनका कहना था कि जब वे जीवन से तंग आकर सुसाइड करने जा रहे थे, तब क्राइस्ट ने खुद सामने आ कर उनको रोका था।
4 सितंबर 1962 को जन्मे डॉक्टर पॉल दिनाकरन ने भी धर्म प्रचार की शुरुआत कुछ इसी अंदाज में की थी। पॉल ने कहा कि जब वे युवा थे तो अपने भविष्य को लेकर परेशान थे। पॉल के मुताबिक उस दौरान उनके पिता ने ईसा मसीह से उनकी बात कराई और उन्हें ज्ञान दिलाया। अपने पिता के निधन के बाद पॉल ने भी ईसाई धर्म के प्रचार के नाम पर सभाएं करनी शुरू कर दी।
ध्‍यान देने वाली बात यह है कि पॉल बाबा अपनी प्रार्थनाओं की शक्ति से अनुयायियों को शारीरिक और अन्य समस्याओं से निजात दिलाने का दावा करते हैं। पॉल भक्तों को प्रीपेड कार्ड की तरह प्रेयर पैकेज बेचते हैं। यानी, वे जिसके लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं, उससे इसके लिए मोटी रकम भी वसूलते हैं। पॉल की सभाओं में 3000 रुपए में बच्चों और परिवार के लिए प्रार्थना करने की व्यवस्‍था है। पॉल दिनाकरन का सालाना टर्नओवर 5 हजार करोड़ से ज्यादा का है। कुल मिला कर अगर निर्मल बाबा ठग हैं तो पॉल दिनाकरन ठगों का सरताज़ हैं।
पॉल की सभाओं में दवा किया जाता है कि वहां अंधे देखने लगेगे, लंगड़े चलने लगेंगे और गूंगे बोलने लगेंगे। यानि सफेद झूठ और बेसिरपैर के दावों का भंडार।  थर्ड मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइटों पर इन महाशय की कारस्तानियों के बारे में खूब लिखा और पढ़ा जा चुका है। करीब महीने भर पहले जहां इंटरनेट पर निर्मल बाबा के खिलाफ एक दो लेख से ज्यादा नहीं मिलते थे वहीं पॉल दिनाकरन के पक्ष-विपक्ष में लगभग सभी भाषाओं में हजारों लेख भरे हुए हैं। जब उमा भारती के कहने पर भी टीवी चैनलों ने पॉल बाबा के खिलाफ कोई अभियान नहीं छेड़ा तो सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उनकी ही निंदा शुरु हो गई।
पॉल जीसस कॉल्स नाम के धार्मिक संगठन के प्रमुख हैं और दावा करते हैं कि उन्हें क्राइस्ट की दैवीय शक्तियां अपने पिता से विरासत में मिली हैं, जिनके दम पर वो प्रार्थनाओं के जरिए लोगों के रोग, गरीबी, बेरोज़गारी और किस्म-किस्म के मानसिक दर्द दूर करते हैं। निर्मल बाबा के विपरीत पॉल बाबा उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। उन्होंने एमबीए की पढ़ाई पूरी की. 27 साल की उम्र में मद्रास यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस में पीएचडी करने वाले वो पहले छात्र थे।
दरअसल निर्मल बाबा का मामला अलग इसलिए है कि उन्होंने टीवी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को जम कर इस्तेमाल कर लोगों को  मूर्ख बनाया। पॉल खानदानी ठग हैं। उन्हें पता है कि मीडिया से जितना दूर रहा जाए उतना ही बढ़िया। ये बात उनके महाठग मरहूम पिता (बाप) ने ही समझा दी थी कि अनपढ़ और अंध भक्तों को अगर अपने पीछे लगाना है तो मीडिया से कोई फायदा नहीं होगा। पॉल न तो पत्रकारों की मदद लेते हैं, न खबरिया चैनलों की और न अखबारों की। वे पैसे खर्च करके वैसे ही विज्ञापन अभियान चलवाते हैं जैसे किसी रॉक स्टार या म्युजिकल नाइट का हो।
पॉल को मानने वाले या तो बिल्कुल अनपढ़ हैं या अंधभक्त। उनके यहां भी पैसे लेकर किरपा का असर होने की बात बताने और उनका अंध-प्रचार करने वालों की भी भरमार है।  पॉल दिनाकरन निर्मल बाबा से कहीं ज्यादा शातिर, चालाक और पुश्तैनी ठग हैं। उन्होंने कभी न्यूज चैनल और टैम को मैनेज नहीं किया जबकि वे ऐसा आसानी से कर सकते थे। उन्होंने कोई स्टूडियो शूट नहीं करवाया न कभी रिकॉर्डेड शो न्यूज चैनल पर चलवाया।
निर्मल बाबा भी अगर ऐसे झूठ-सच बोल कर ही अपना धंधा चलाते  रहते तो किसी को ऐतराज़ नहीं होता। सोशल मीडिया में भी निर्मल बाबा के प्रति गुस्सा इसलिए तेजी से भड़क उठा कि वो पढ़े-लिखे और न्यूज चैनल देखने वाले समझदार दर्शकों पर अपना जादू चलाने में जुटे थे। यही कारण रहा कि निर्मल बाबा की दुकानदारी जितनी तेजी से फैली थी उतनी ही तेजी से सिमट भी गई और पॉल दिनाकरन के बारे में इतना लिखे-पढ़े जाने के बाद भी उनका कारोबार दिन-दूना रात चौगुना फल-फूल रहा है।

Sabhar- Mediadarbar.com