भडास मीडिया के संपादक यशवंत गिरफ़्तार
इंडिया टीवी के मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद कापरी की पत्नी साक्षी जोशी ने किया गलत मुकदमा
इंडिया टीवी के खिलाफ़ लिखने के कारण किया गलत मुकदमा
| साक्षी जोशी एवं विनोद कापडी का चर्चित फ़ोटो |
इस नये घटना क्रम में यशवंत सिंह के उपर मुकदमा करने का कारण वही पुरानी अदावत है । जानकार सूत्रो केअनुसार कल किसी बात पर साक्षी एवं यशवंत सिंह के बीच फ़ोन पर नोक झोंक हो गई । पुरानी खुन्नस तो थीहीं , साक्षी ने मौका अच्छा देखा और यशवंत के खिलाफ़ मुकदमा कर दिया । समाचर लिखने तक यशवंत सिंहथाने मे बैठे हैं । बिहार मीडिया ने साक्षी जोशी को मेल भेजकर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया , परन्तु अभीतक जवाब न आने के कारण हम उनका पक्ष नही दे पा रहे हैं । बिहार मीडिया ने इंडिया टीवी के कार्यालय मेफ़ोन करके विनोद कापरी का पक्ष जानने का भी प्रयास किया परन्तु विनोद कापरी अभी तक अपने कार्यालयनही पहुंचे थें । ऐसा बताया जाता है कि पहले भी २००८ मे विनोद कापरी के साथ यशवंत का विवाद हुआ थालेकिन अपस मे हीं मामला सुलझ गया था । बिहार मीडिया ने अपने स्तर से जो जांच की उसके अनुसार यहमामला बनावटी लगता है । यह तो माना जा सकता है कि फ़ोन पर दोनो के बीच गाली गलौज हुई हो लेकिन इसबात पर विश्वास करना संभव नही है कि यशवंत ने घर पर जाकर पैसे की मांग कि हो या जान मारने की धमकीदी हो यशवंत के पास से कोई हथियार नही बरामद हुआ है । इस हालात मे यह कहना कि यशवंत ने जान मारने का भय दिखाकर रंगदारी मांगी हास्यापद लगता है । आज अभी एक बजे यशवंत को कोर्ट में पेश किया गया है । दिल्ली के नई मीडिया के पत्रकार , युवा पत्रकार कोर्ट परिसर मे मौजूद हैं । www.visfot.com संपादक संजय तिवारी , वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायन सिंह यशवंत के साथ हैं । जैसे हीं न्यायालय का कोई निर्णय आता है हम आपको उससे अवगत करायेंगें ।अभी -अभी खबर आई है कि यशवंत सिंह की जमानत की अर्जी गौतमबुद्ध नगर के सुरजपुर कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी श्री ए बी सिंह ने खारिज कर दी । यशवंत सिंह को डासना जेल भेज दिया गया । वस्तुत: यह मुकदमा टीवी एवं प्रिंट मीडिया क्षेत्र में अधिकार जमाये कारपोरेट घरानो और नई मीडिया यानी वेब मीडिया के बीच टकराव का नतीजा है । हालिया समय मे वेब मीडिया ने पुरी दुनिया में अपनी निष्पक्षता और बेबाकी के कारण एक अलग पहचान कायम किया है । मीडिया के सभी रुपों में मात्र वेब न्यूज पोर्टल हीं हैं जो एक दुसरे की खामियों को भी उजागर करते हैं । किसी भी चैनल पर दुसरे चैनल की खामिया तो दुर रही , नाम तक नही दिखाया जाता । वही हाल अखबारों का है। अखबार प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन आफ़ बुक एक्ट १८६७ की धाराओं का रोज उल्लंघन करते हैं लेकिन उनके उपर कोई कार्रवाई नही होती है ठिक उसी प्रकार टीवी चैनल ड्रग एंड मैजिक रिमेडी ( ओबजेकशनेबल एडवर्जटाईजमेंट ) एक्ट १९५४ की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करते हुये भ्रामक तथा चमत्कार दिखाने वाले अंधविश्वास को बढावा देने वाले विग्यापन प्रकाशित करते हैं परन्तु उनके उपर कोई कार्रवाई नही होती है ।
हालिया समय में वेब मीडिया ने अपनी निष्पक्षता और तथ्यपूर्ण खबरो के लिये प्रिंट मीडिया तथा टीवी चैनलो से इतर अपना स्थान बनाया है वही टीवी चैनलों की विश्वसनियता मे भी गिरावट आई है । टीवी चैनल तथा अखबार सिंडिकेट की तरह काम करते हैं । कोई भी टीवी चैनल या अखबार दुसरे टीवी चैनल या अखबार की गलती को नही प्रकाशित करता जबकि वेब मीडिया अपनी आलोचना को भी अपने पोर्टल पर प्रकाशित करते हैं । दुनिया के अंदर आ रहे बदलाव मे भी वेब पोर्ट्लों का सबसे बडा योगदान रहा है । चाहे मिस्त्र का सता परिवर्तन हो या अन्ना के आंदोलन पर सार्थक बहस की शुरुआत । अमेरिका का अक्यूपाई वाल स्ट्रीट आंदोलन वेब मीडिया की ताकत का सबसे बडा उदाहरण है । जहां टीवी चैनलो ने तथा अखबारो ने इस आंदोलन को कोई अहमियत नही दी , वहीं वेब मीडिया ने इसे पुरी दुनिया मे फ़ैलाने का काम किया । वेब मीडिया ने न्यूज चैनलों के पाखंड तथा अखबारो की कायरता एवं चटुकारिता को भी उजागर करने का कार्य किया है और यही कारण है कि आज यह टीवी तथा अखबारो का सबसे बडा दुश्मन है । वैसे भी एक सर्वे में यह बताया गया है कि आनेवाले २०४० तक अखबारों का कोई अस्तित्व नही रहेगा । वेब मीडिया ने टीवी तथा प्रिंट मीडिया के पाखंड तथा गलत कार्यो को प्रकाशित करने का कार्य किया है । इंडिया टीवी पर आने वाले अंधविश्वास को बढावा देने वाले विग्यापनो की आलोचना हमेशा भडास पर आई है उसी का परिणाम है की बदले की भावना से प्रेरित होकर यशवंत सिंह के उपर यह झुठा मुकदमा किया गया है । वेब मीडिया ने भी इसे धर्म युद्ध के रुप मे लडने का निश्चय किया है । इस धर्म युद्ध में एक तरफ़ सत्य पर कायम वेब मीडिया है तो दुसरी तरफ़ अधर्म की लडाई लडने वाली कौरव सेना के रुप में शोषणकारी टीवी चैनल हैं । हम इस युद्ध को अंजाम तक पहुंचायेंगे । टीवी चैनलो को अपने उस दो नंबर के भुगतान का हिसाब न्यायालय में देना होगा जो वह केबुल वालो को चुकाते हैं उनका चैनल दिखाने के लिये । यह काला धन टीवी चैनल वाले चुकाते है और इसके बारे मे टीवी चैनल के हीं नामी गिरामी पत्रकार पूण्य प्रसून वाजपेयी ने भी खुब लिखा है । हम उसका लिंक यहां दे रहे हैं