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चोरी से बनाई- एक था टाईगर

चोरी से बनाई- एक था टाईगर

मुंबई. बॉलीवुड के दबंग सलमान खान की फिल्म 'एक था टाइगर' विवादों में घिर गई है। मुंबई पुलिस ने फिल्म के निर्देशक कबीर खान, निर्माता आदित्य चोपड़ा सहित चार लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी व कॉपी राइट एक्ट के उल्लंघन का केस दर्ज किया है। स्कि्प्ट राइटर आनंद पाडा ने बांबे हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि उनकी कहानी को चुराकर यशराज फिल्म ने 'एक था टाइगर' बनाई है। पाडा ने बताया कि 2011 में वह अपनी कहानी को लेकर यशराज फिल्म के दफ्तर गए थे। उनकी स्कि्त्रप्ट 50 दिन तक वहा पड़ी रही। इसके बाद कहानी की कॉपी लौटा दी गई।आनंद ने राइटर्स एसोसिएशन से भी शिकायत की थी। पुलिस उपायुक्त प्रताप दिघावकर ने बताया कि राइटर्स एसोसिएशन ने कहा कि एक था टाइगर का कंसेप्ट पाडा की कहानी से मिलता जुलता है। इसलिए हमने चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। विस्तृत जाच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर, राइटर्स एसोसिएशन के सूत्रों का कहना है कि पाडा के पास सोलिड केस है। उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए। फिल्म और उनकी कहानी में काफी समानत है। पाडा से कहानी की कॉपी देने को कहा गया था। गौरतलब है कि फिल्म की कहानी संयुक्ता और नीलेश ने संयुक्त रूप से लिखी है।


'एक था टाइगर' 15 अगस्त को रिलीज हुई थी। फिल्म ने पहले ही दिन 32 करोड़ रुपये की कमाई की थी। दो दिन में फिल्म ने 50 करोड़ कमा लिए थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड 190 करोड़ की कमाई की है।कबीर खान निर्देशित एक था टाइगर जासूसी टाइप की फिल्म है। मिशन पर निकला हीरो दुश्मनों की एजेंट बनी हीरोइन से प्यार कर बैठता है। यहां एक फर्क है कि दोनों देशों के खुफिया एजेंसी उनके पीछे पड़ जाती है। फिल्म खत्म होने तक हिंदुस्तान और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां हीरो-हीरोइन को पकड़ने में नाकामयाब रही हैं। लेखक-निर्देशक ने तर्क दिया है कि लगातार ठिकाना बदल रहे हीरो के पास उसके वेतन के 23 लाख रूपए हैं, जो उसने 12 सालों में जमा किए हैं। यह भी बताया गया है कि हीरो हमेशा मिशन पर सरकारी खर्चे पर रहता है। सचमुच हमारे रॉ एजेंट कितनी कम सैलरी में जान जोखिम में डाल रहे हैं। शायद हीरोइन के पास भी कुछ पैसे हैं। सलमान खान की फिल्म में तर्क,अभिनय और संजीदगी खोजने में कोई तुक नहीं है। यहा सिर्फ भावनाएं रहती हैं। ज्यादातर प्यार की भावना।

एक था टाइगर में फर्ज और मोहब्बत के बीच दहाड़ता हीरो है,जो मोहब्बत का दामन थाम लेता है। फिल्म के शुरू में हीरो के बॉस ने बताया है कि मोहब्बत के बजाए फर्ज निभाने की कचोट से वे उबर नहीं पाए हैं। हमारा हीरो अपने सीनियर की तरह प्यार के विषाद में नहीं जीना चाहता। हिंदी फिल्मों में वैसे भी प्यार सबसे बड़ा धर्म होता है। एक था टाइगर में यह मोहब्बत देशों के बीच की दीवार तोड़ देती है। यश चोपड़ा की वीर जारा में भी ऐसा ही कुछ हुआ था,उसकी पूष्ठभूमि अलग थी। यह फिल्म सलमान खान के प्रशंसको को ध्यान में रख कर बनायी गई है। उसकी वजह से कबीर खान ने पिछली दो फिल्मों में जो उम्मीद दिखाई थी,वह बुझती नजर आती है। कहानी से ज्यादा सलमान खान और कट्रीना कैफ के सिक्वेंस पर मेहनत की गई है। फिल्म के ओपनिंग और इंट्रो सीन में लगता है कि हम अलग लेवल की फिल्म देखने जा रहे हैं। पर्दे पर सलमान खान के किरदार के उजागर होने और कट्रीना कैफ की हाजिरी के बाद जाहिर हो जाता है कि एक था टाइगर का लेवल आम मसाला हिंदी फिल्मों से अलग या ऊपर नहीं है। वही प्रेम कहानी। हीरो-हीरोइन के प्रेम का विरोध। यहां विरोध के लिए परिवार नहीं देश हैं। विरोधी के तौर पर हिंदुस्तान-पाकिस्तान का नाम लेते ही लेखक-निर्देशक को पुश्तैनी दुश्मनी दिखाने का शॉर्टकट मिल जाता है। एक था टाइगर फार्मूलाबद्ध फिल्म है।

कलाकारों में पहले कट्रीना कैफ की बात करें। निर्देशक ने उन पर कुछ ज्यादा ही भरोसा कर लिया है। उन्हें सिर्फ सुंदर दिखाने की हद से आगे जाकर एक्शन और इमोशन के सीन दे दिए हैं। एक्शन सीन में तो फिर भी डुप्लीकेट या कंप्यूटर इमेजेज के सहारे वह प्रभावित करती हैं, लेकिन इमोशनल सीन में अपने गिने-चुने एक्सप्रेशन से वह निराश करती हैं। और हां,कोई कट्रीना कैफ को बताए कि दर्शक उनका लेफ्ट प्रोफाइल देख-देख का ऊब चुके हैं। वह जैसे ही पर्दे पर स्थिर होती है। उनका बायां प्रोफाइल साने आ जाता है। सलमान खान ने कसर नहीं छोड़ी है। पहले सिक्वेंस से अखिरी सिक्वेंस तक उनकी भागीदारी स्पष्ट है। एक्शन दूश्यों में वे दक्ष हो चुके हैं। फिल्म के चेज सिक्वेंस में उनकी फुर्ती रोमांचक आनंद देती है।

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