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''स्वतंत्रता सेनानी का पोता है असीम, देश द्रोह का कोई काम कर ही नहीं सकता''

भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष के नए प्रतीक बने असीम बोले- देशप्रेम में बनाया कार्टून : कांग्रेस ने माना- कार्टूनिस्ट असीम की गिरफ्तारी गैरजरूरी : असीम त्रिवेदी के पिता ने की मुकदमा वापस लेने की मांग : आडवाणी ने असीम की गिरफ्तारी का विरोध किया, देश में हालात इमरजेंसी से बदतर बताया : कार्टूनिस्ट असीम के पिता अशोक ने दावा किया कि असीम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रेवा शंकर त्रिवेदी का पोता है. वह देशद्रोह का कोई काम कर ही नहीं सकता. देश के प्रति प्यार की भावना उसे विरासत में मिली है. देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल भेजे गए कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी ने रिहा होने के बाद खुद भी कहा कि वे अपराधी नहीं हैं क्योंकि कार्टून उन्होंने देशप्रेम में बनाया. भ्रष्टाचार के खिलाफ हम लोगों की जंग जारी रहेगी.

बुधवार दोपहर असीम त्रिवेदी को मुंबई की आर्थर जेल से रिहा किया गया. जेल से बाहर मीडिया का हुजूम उमड़ा हुआ था. असीम की जमानत बंबई हाईकोर्ट ने मंगलवार को ही मंजूर कर ली थी लेकिन असीम ने यह कहकर बाहर आने से मना कर दिया कि जब तक उनके ऊपर से देशद्रोह का आरोप नहीं हटेगा, वह जमानत नहीं स्वीकार करेंगे. महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटील के आश्वासन के बाद वो जमानत लेने पर राजी हो गए.

इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन (आईएसी) का सदस्‍य बताने वाले वकील संस्‍कार मराठे ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर असीम को रिहा करने की अपील की थी. गौरतलब है कि शनिवार की शाम को इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़े कानपुर के कार्टूनिस्ट असीम को मुंबई पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. असीम पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है.

इस संबंध में वकील संस्‍कार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने असीम त्रिवेदी को 5 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया. सरकारी वकील ने इसका विरोध किया और दलील पेश की कि असीम पर देशद्रोह का आरोप है. यह आरोप बहुत ही गंभीर होता है इसलिये उन्‍हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए. कोर्ट ने सरकारी वकील की आपत्ति को खारिज करते हुए असीम को रिहा करने के आदेश दिए.

उधर, कानपुर से सूचना है कि कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी के पिता अशोक त्रिवेदी ने बुधवार को मांग की कि असीम के ऊपर लगाये गये सारे मुकदमों को वापस लिया जाये, क्योंकि उनके बेटे ने देश की अस्मिता को ठेस पहुंचाने वाला काम नहीं किया है. दोपहर में जैसे ही असीम की जेल से रिहाई की खबर शुक्लागंज और कानपुर पहुंची उनके चाहने वाले और परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा है. उन्होंने मिठाइयां बांटकर और नाच गाकर असीम की रिहाई का जश्न मनाया.

कानपुर के घंटाघर चौराहे पर असीम की रिहाई की खुशी में मिठाइयां बांटी गयी. असीम के पिता अशोक त्रिवेदी को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा. उन्नाव के शुक्लागंज, जहां के असीम रहने वाले है, वहां भी उनके परिजनों ने मिठाइयां बांटकर असीम की रिहाई की खुशियां मनाई.

असीम के पिता अशोक ने दावा किया कि असीम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रेवा शंकर त्रिवेदी का पोता है. वह देशद्रोह का कोई काम कर ही नहीं सकता. देश के प्रति प्यार की भावना उसे विरासत में मिली है. उन्होंने मांग की कि असीम के खिलाफ लगाये गये सभी मुकदमों को वापस लेना चाहिये और उसे दोषमुक्त कर देना चाहिये, क्योंकि उसने कोई भी ऐसा काम नहीं किया है, जो राष्ट्रद्रोह की परिभाषा में आता है. उनसे पूछा गया कि असीम शुक्लागंज कब आयेंगे तो उन्होंने कहा कि अभी उनकी बातचीत नहीं हुई है, लेकिन दो तीन दिन में मिलने जरूर आयेगा.

उधर, वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी का विरोध किया है. असीम की गिरफ्तारी को लेकर कांगेस पर निशाना साधते हुए आडवाणी ने इसकी तुलना आपातकाल से की. उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार की ‘कठोर मानसिकता’ का जन्म ‘असफलता एवं हताशा’ से हुआ है.

आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर लिखा, ‘भारत को स्वतंत्र हुए 65 वर्ष बीत चुके हैं. मैं नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में वर्ष 1975-1977 के आपातकाल के समय को सबसे खराब मानता था लेकिन राजनीतिक कार्टूनिस्ट एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले असीम त्रिवेदी के साथ जो कुछ हुआ उसे देखकर मैंने यह सोचना शुरू कर दिया है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य आपातकाल से भी बदतर है.’

आडवाणी ने पुरानी बातों को याद करते हुए कहा कि जानेमाने कार्टूनिस्ट अबु अब्राहम ने आपातकाल लागू होने की घोषणा होने के तत्काल बाद आपातकाल से संबंधित दस्तावेजों पर इंदिरा गांधी की ओर से हस्ताक्षर किये जाने तथा इंदिरा गांधी के 20 सूत्री कार्यक्रम पर कार्टून प्रकाशित किये थे. उन्होंने कहा, 'यदि वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था वर्ष 1975-1977 में सत्ता में होती तो मुझे इसमें कोई शक नहीं कि असीम त्रिवेदी की तरह ही अबु अब्राहम भी सलाखों के पीछे होते.'

sabhar- bhadas4media.com


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