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पत्रकार श्रद्धानिधि प्राप्त करने में राधा वल्लभ शारदा की धोखाधड़ी


विनय जीडेविड की रिपोर्ट ...


जिस थाली में खाया उसी में छेद।
पत्रकारों को रांड समझने वाले का षडय़ंत्र। 
आखिर क्यों नहीं हो पाई पत्रकार पंचायत  
सत्ता का दलाल विभाग ने किया मालामाल। 
तीन दशकों से बेवकूफ बना रहा पत्रकारों को। 
जिले में 5 प्रतिशित अधिमान्यता पत्रकारों को प्राप्त नहीं जिम्मेदार कौन
पत्रकारों से प्राप्त धनबल पर अय्याशी। 
शासकीय सुविधाओं को भोगी बेबाक। 
* .......... में ऊगंली करने से बाज नहीं आता भाड़ू।
पत्रकारों के नाम पर अपनी रोजी रोटी बटोरने वाला राधा वल्लभ शारदा के भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी कर अपनी दुकान चलाने काषडय़ंत्र अब चन्द दिनों का है जो अंतिम सांसे गिन रहा है। पत्रकारिता की पवित्र गंगा को अपनी भड़वागिरी से मैली करने का प्रयासकिया गया। वहीं प्रदेश के पत्रकारों को अपनी ढाल बना कर प्रदेश शासन को ब्लैकमेल कर सुख भोगा। प्रदेश के पत्रकारों को इतनाकमजोर बना दिया कि वे पिछले तीन दशकों से किसी शासकीय लाभ लेने लायक नहीं रहे।
पत्रकारों का शोषण कर शारदा ने शासकीय सभी सुखों का भोग स्वयं प्राप्त कर रहा है। प्रदेश के पत्रकारों के अधिकारों हितों की बलिलेकर शासन से सौदा कर सरकारी बंगलागाड़ीविज्ञापनऐशो आराम का लाभ ले रहा है। इस खुटकर्मी की हरामखोरी की पूरीकहानी हमें शोषित पत्रकारों और जनता से बताना जरूरी है। वर्ना ये पत्रकारों के नाम पर कलंक का दाग हमेशा रहेगा और ये भोलेभाले पत्रकारों का बलिदानों पर ऐश करेगा। वहीं पीडि़त पत्रकार सदैव अपने जीवन यापन के लिये भटकता और बेवकूफ बनातारहेगा।
आर.व्हीशारदा नाम है इसकी जिसने अपनी थाली में खाना परोसा उसी की थाली में छेद कर डाला। ये षडय़ंत्रकारी फितूरी दिमागने सदैव भाडूगिरी की है ना कि पत्रकारिता। इसने जिस संस्थान के साथ कार्य किया उसने इसकी कूटनीति और धोखाधड़ी के कारणइसको बाहर निकाल फेका। ये सभी कहानी हम आपको सिलसिलेवार पढ़वाते रहेंगे अभी ताजी ताजी खबर जान ले जो इस प्रकारहै:-
श्रद्धानिधि प्राप्त करने में शारदा की धोखाधड़ी
.प्रराज्य शासन ने मध्यप्रदेश में पत्रकारिता करने वाले वरिष्ठ और बुर्जुग पत्रकारों के लिये श्रद्धानिधि योजना चालू की जिसकीस्वीकृति आदेश किये गये एवं विधिवत श्रद्धानिधि प्राप्त करने के लिये नियम एवं योजना बनाई गई। जिसमें 10 बिन्दुओं के आधारपर (बाक्स मेंयोजना का लाभ पत्रकारों को दिये जाने थे। श्रद्धनिधि स्वीकृत किये जाने के लिये विधिवत 13 बिन्दुओं की जानकारीसहित आवेदन पत्र चाहे गये थे। जिसके साथ नोट में चार बिन्दुओं में पहली शर्त श्रद्धानिधि की नियम एवं शर्ते बताई गई है वहींबिन्दू क्रमांक 10, 11 एवं 12 के संबंध में शपथपत्र प्रस्तुत किया जाना हैं वहीं अन्य दो शर्ते पेमेन्ट के मामले की है। नियम औरशर्तोँ से ज्ञात होता हैं कि यह योजना उन वरिष्ठ और बुर्जुग निर्धन पत्रकारों के लिये है जो अन्य कारणों से सक्षम नहीं। वहीं बिन्दुक्रमांक 3 स्पष्ट करती है कि आवेदक आयकर दाता श्रेणी में नहीं आता है वहीं इस बाबत शपथपत्र भी चाहा गया। बिन्दु क्रमांक 7पर स्पष्ट बताया गया हैं (ज्यों का त्योंअधिमान्य पत्रकार पर किसी प्रकार का कोई अपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं होना चाहिए। साथही आवेदन में बिन्दु क्रमांक 11 और 12 से जानकारी चाही गई। अब ये तो हो गई नियम शर्तों की बात:-
अब जानते श्री 420 शारदा की षडय़ंत्र और चालबाजी।
श्रद्धानिधि की जो रकम प्राप्त करने करने के लिये राधावल्लभ शारदा इन दोनो बिन्दुओं के कारण अपात्र है। शारदा को नियमितविज्ञापन प्राप्त होता है जो आयकर के दायरे में हैं और से आयकरदाता की श्रेणी में आते है और दूसरे बिन्दु के आधार पर आवेदक केऊपर कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं होना चाहिये तो हम बता दे कि शारदा के ऊपर धारा 420 का प्रकरण दर्ज (जनसंपर्क के सभीअधिकारियों को जानकारी है ) हैं। उसका भी हम खुलासा करेंगे। अब नियम विरूद्ध षडय़ंत्र कर इन्होंने श्रद्धानिधि में अपना नामजुड़वा लिया इसका प्रमाण हैं जनसंपर्क संचालनालय मध्यप्रदेश का आदेश क्रमांक 5081/.सं.सं./ अधिमान्यता (श्र.नि.)/13-14भोपालदिनांक 26 जुलाई 2013 हस्ताक्षरयुक्त आयुक्त जनसंपर्क श्री राकेश शर्मा पत्र के साथ प्रथम सूची जारी की हैं उसमें 48नम्बर पर इनका नाम प्रदर्शित हैं जिसमें बकायदा क्रमांक 48श्री राधा वल्लभ शारदाभोपाल जन्म्तिथि 01/02/1943 आयु 69 वर्षदर्शाई गई हैं। अब जब श्रद्धानिधि योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये शारदा ने साजिश की है तो अब एक प्रकरण 420 का औरदर्ज किया जा सकता है आखिर शासन को और प्रदेश के पत्रकारों का शोषण करने वाला शारदा को इस योजना के लाभ लेने की क्याआवश्यकता थी।

यहां ये बताना जरूरी है कि इनको हराम की खाने-पीने की आदत जो पड़ गई हैं हराम के खाने वाले को ही हरामखोर कहा जाता वहींकिया हैं श्री 420 शारदा ने। यह अच्छा होता की स्वयंभू अध्यक्ष अपने किसी अन्य सदस्यों के लिए या प्रदेश के पत्रकारों के लिए इसयोजना का लाभ दिलाने के लिये प्रयास करते ना कि खुद के लिए हरामखोरी। संगठन चलाने के पीछे भी इसकी यहीं मंशा रही कीउसका घर परिवार पलता रहे और वो पत्रकारों के नाम पर अय्याशियां करते रहे। शारदा के कई काले कारनामें हैं आप मित्रों को सभीजानकारी उजागर कर इस पत्रकार विरोधी विभीषण के चेहरे से नकाब उतार कर इसके चाल चरित्र असली चेहरा दिखा देंगे।
अगर आप भी शारदा के कर्मों से पीडि़त हैं तो आप हमें जानकारी हमारे  मेल पर भेज सकते हैं हम उन्हें भी जनता के सामनेलायेंगे और आपका नाम भी उजागर नहीं किया जावेगा।
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