वह अपने निजी स्टाफ को गरियाते हैं। कर्मचारी उनके साथ काम नहीं करना चाहते । सत्ता में होते हैं तो अफसर उनके जिले में पोस्टिंग को 'कालापानी की सजा ' मानते हैं। सत्ता प्रतिष्ठान में वह मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर हैं, फिर जरा सी बात पर टे्न में परिचारक को धुन देते हैं। वह कहते रहते हैं कि नौकरशाह - आईएएस- आईपीएस - डंडों की जुबान समझते हैं। वह अक्सर कैबिनेट और अपनी पार्टी की महत्वपूर्ण बैठकों से सायास दूरी बनाते हैं और जब मूड हुआ दो तीन दिन के लिए कोपभवन चले जाते हैं। वह जल निगम को भी अनी जेब में रख लेते हैं और हाई कोर्ट में याचिका हो जाने पर पलट जाते हैं। अपनी भूमिका से वह मुजफ्फर नगर दंगों में सवालों से घिर जाते हैं और वह जन मानस का विश्वास खो बेठते हैं। पहले कभी वह भारत माता को गालियां दे कर सुर्खियों में रहते थे ।वह मंत्री हैं।
Sabhar-