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वर्तमान मीडिया में घोर गड़बड़ है : राहुल देव

गांधी शांति प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित 'पत्रकारिता एवं लेखन कार्यशाला' का समापन: नई दिल्ली . गाँधी शांति प्रतिष्ठान द्वारा पत्रकारिता एवं लेखन पर आयोजित दस दिवसीय कार्यशाला का कल समापन हो गया. समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पत्रकार राहुल देव ने कहा कि पत्रकारिता का जो दूसरा पक्ष है पाठक, उसे हम अक्सर भूल जाते हैं. हमें अख़बार या मीडिया को पाठकों के नजरिये से भी देखना चाहिए. यह सही है कि वर्तमान मीडिया में घोर गड़बड़ है.
उन्होंने उद्घाटित किया कि आज अगर कोई खबर छपती है तो हमें यह पता नहीं होता कि जो खबर छपी है उसके पीछे कहाँ, कैसे, किसका स्वार्थ सध रहा है. छिपे हुए नए किस्म के एजेंडे मीडिया में काम कर रहे हैं. इससे कैसे लड़ा जाय, अभी तक नहीं समझ में आया है. उनका कहना था कि लोकहित में काम करने वाली एक सरोकारी मीडिया की जरूरत आज पहले से ज्यादा है क्योंकि आज विपरीत शक्तियां ज्यादा काम कर रही हैं.
कार्यशाला प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए राहुलदेव ने कहा कि आपसे अपेक्षित है कि आपके ज्ञान और समझ का क्षेत्र बहुत विस्तृत हो. केवल क्रांतिकारिता पर्याप्त नहीं है, ज्ञानसम्पन्नता भी जरूरी है. पत्रकारिता ज्ञान का, जानकारी का, समझ का धंधा है. अतः विनम्र बने रहिए, सीखते रहिए. जल्दबाजी में मत रहिए, शार्टकट मत ढूंढियेगा.
आशीर्वचन देते हुए ‘गाँधी मार्ग’ के संपादक अनुपम मिश्र  ने कहा कि ‘ढकेलना’ और ‘खींचना’ दो चीजें हैं. बुरी चीजें खींचती हों तो बच सकते हैं. ढकेलने का काम प्रारंभ हो जाए तो हम अपने को कितना बचा पाएंगे? आज बड़े पैमाने पर ढकेलने का काम हमारी मीडिया, हमारे अखबारों को कुछ ज्यादा ही पसंद आ रहा है. उन्होंने हरिशंकर परसाई की कहानी ‘सदाचार की ताबीज’ और प्रेमचंद की कहानी ‘नमक का दरोगा’ की चर्चा करते हुए अपनी बात समझाने की कोशिश की.
समापन सत्र की अध्यक्षता गाँधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष राधा बहन भट्ट ने की. सत्र के अंत में सभी प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार राहुलदेव के हाथों प्रमाण-पत्र भी वितरित किया गया. सत्र के आरंभ में अतिथियों का स्वागत गाँधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव सुरेन्द्र कुमार ने किया. समापन सत्र का संचालन संत समीर ने तथा अंत में सबका धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला संयोजक अभय प्रताप ने किया.

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यह था कि इस क्षेत्र में आने वाली नई पीढ़ी के अंदर पत्रकारिता व लेखन की सार्थक दृष्टि पैदा हो, उसके अंदर छिपे मिशन भाव को जगाया जा सके, पत्रकारिता के मूल्यों-आदर्शों के प्रति उसकी निष्ठा में वृद्धि हो, देश-समाज व राष्ट्रीयता के मूल्यों के प्रति उसके अंदर संवेदनशीलता और बढ़े तथा वह मानवीय सरोकारों के प्रति और ज्यादा सजग व सतर्क हो। सत्य, शांति व अहिंसा के मूल्य नई पीढ़ी की प्राथमिकता में ऊपर आयें तथा वह मानवतापूर्ण देशभक्ति के संस्कार से ओत-प्रोत हो। साथ ही पत्रकारिता व लेखन की दुनिया में मूल्यों-आदर्शों व सरोकारों की भूमिका पर बहस को भी नई ऊर्जा प्रदान की जा सके।
कार्यशाला में ऐसे नवजवान प्रतिभागी के रूप में शामिल थे जो पत्रकारिता को अपना कैरियर बनाना चाहते हैं अथवा भविष्य में अन्य किसी पेशे में रहते हुए भी किसी न किसी रूप में पत्रकारिता या लेखन से जुड़े रहना चाहते हैं।
प्रेस विज्ञप्ति
Sabhar- Bhadas4media.com