[B]उत्तराखंड सरकार का असली चेहरा[/B] : जिस वक्त देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड आपदा से जूझ रहा था तब सूबे के मुखिया विजय बहुगुणा दिल्ली से देहरादून की दौड़ इसलिए लगाते रहे ताकी केंद्र से कुछ मदद मिल सके। मदद मिली भी। केंद्र से प्रदेश को आपदा प्रभावित घोषित करते हुए एक हजार करोड़ का पैकेज देने की घोषणा कर दी गई। ये घोषणा खुद पीएम मनमोहन सिंह ने की थी। लेकिन हैरानी इस बात की है कि इस पहाडी प्रदेश के लोगों की तकदीर बुरी कहें या फिर हुक्मरानों की बेशर्मी, इतनी मोटी रकम आने पर भी ज्यादातर लोगों को फूटी कौड़ी तक नसीब नहीं हुई।
जिन लोगों को राहत के नाम पर चेक दिए गए तो वो भी ऊंट के मुंह में जीरे के सामान हैं। अब सवाल इस बात का है कि आखिरकार इतनी मोटी रकम गई कहां। अखबारों और न्यूज चैनल में तो प्रदेश के सीएम विजय बहुगुणा के काम की खूब तारीफ की जा रही है। प्रदेश का शायद ही कोई अखबार और न्यूज चैनल ऐसा होगा जिसने बहुगुणा को आपदा से निपटने में तत्पर ना दिखाया हो। लेकिन जमीन हकीकत इससे कहीं जुदा है। दरअसल हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि राज्य की हकीकत इससे कही अलग है।
अखबारों और न्यूज चैनलों पर जो दिखाया गया वो सब बहुगुणा जी की मेहरबानी का नतीजा था। जब तक बहुगुणा जी पैसे की बरसात करते रहे, अखबार और न्यूज चैनल भी उनका खूब गुणगान करते रहे। दरअसल हम बहुगुणा जी पर उंगली इसलिए उठा रहे है क्योंकि सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के बाद इस तरह की स्थिति साफ हो रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश के सीएम विजय बहुगुणा ने अपनी सरकार के गुणगान के लिए विज्ञापन के तौर पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। अब जरा नीचे दिए गए आंकडों पर गौर फरमाइए तो आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएगी। नीचे दी गई तमाम जानकारी सूचना के अधिकारी के तहत देहरादून के सूचना और जनसंपर्क विभाग से मांगी गई है...
न्यूज चैनलों को अप्रैल 2012 से अगस्त 2013 तक उत्तराखंड सरकार और उसके विभागों की तरफ से विज्ञापन के रुप न्यूज चैनल को दी गई धनराशि
[B]चैनल नाम - 2012-13 - 2013-अगस्त13[/B]
ईटीवी - 4,13,66,750 - 1,79,23,650
सहारा समय - 1,25,80,250 - 40,82,850
जीन्यूज उ/यूपी- 10933875 - 3682050
टीवी100 - 1,29,40,250 - 79,32,850
साधना न्यूज - 36,37,350 - 61,82,850
टाईम टीवी - 30,60,350 - 39,82,050
इंडियान्यूज उ/यूपी- 25,29,600 - 67,24,450
जैन टीवी - 82,49,850 - 67,82,050
वीओआई - 8,86,550 - 61,82,850
समाचार प्लस - 7185000 - 54,82,850
ईटीवी उर्दू - 17,01,000 - 25,28,850
श्री न्यूज - 9,08,600 - 6,91,200
सी न्यूज - 8,64,300 - 8,98,200
ए2जेड - 10,82,550 - 11,85,600
दूरदर्शन - 36,34,050 - 10,22,400
आज तक - 21,88,842
आईबीएन7 - 14,41,968
एबीपी - 23,38,894
एनडीटीवी - 12,93,210
इंडिया टीवी - 43,93,794
न्यूज24 - 11,52,720
जी न्यूज दिल्ली - 14,41,968
सहारा समय नेशनल - 8,96,790
इंडिया न्यूज दिल्ली - 22,46,790
रेडियो मिर्ची जिंगल - 1,27,39,122
मुन्सिफ टीवी - 29,750
महुवा न्यूज - 78,850
नेटवर्क10- 35,11,200
जी सलाम - 37,06,650
टीवी24 - 72,150
सौभाग्य मिथिला टीवी - 2,86,350
रफ्तार टीवी 10,57,700
जन संदेश 12,750
फोकस टीवी 12,750
हमार टीवी 12,750
कुल योग 12,03,41,325 + 11,54,35,266 = [B]23,57,76,619[/B]
इस तरह कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकार और उसके विभागों की तरफ से करीब डेढ़ साल के भीतर ही विज्ञापन के तौर पर करीब साढे तेईस करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर दी गई। हैरानी की बात ये है कि पिछले साल सरकारी विज्ञापनों पर कुल 12 करोड़ के करीब रकम खर्च की गई लेकिन इस अप्रैल से अगस्त तक 5 महीने के भीतर ही सरकार ने साढे 11 करोड से ज्यादा की रकम विज्ञापन में खर्च कर डाली. ये तो सिर्फ न्यूज चैनल को दिए गए विज्ञापन हैं. अभी तो इसमें अखबारों को दिए गए विज्ञापन की राशि जोड़ी ही नहीं गई है. जरा सोचिए, जब वो रकम जुड़ेगी तो आंकड़ा कहां पहुंचेगा.
हैरानी की बात ये है कि इनमें से कई ऐसे न्यूज चैनल में जो उत्तराखंड में दिखते ही नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें विज्ञापन दिया गया. इस बीच विज्ञापन के रूप में कमाई करने में ईटीवी सबसे नंबर वन रहा है. उसने करीब डेढ साल के भीतर ही 5 करोड़ 92 लाख 90 हजार 400 रुपए की कमाई की, जबकि टीवी100 ने 2 करोड़ 91 लाख 31 हजार के विज्ञापन लिए. हैरानी की बात ये है आपदा के दौरान इस बार विज्ञान के रूप में न्यूज चैनल को खूब पैसा दिया है. दरअसल इसके पीछे भी एक कहानी थी.
आपदा के वक्त देश की पूरी मीडिया का ध्यान उत्तराखंड की तरफ था. आपदा को लेकर उत्तराखंड सरकार की खूब किरकिरी हो रही थी. ऐसे में सीएम बहुगुणा ने मीडिया की बोलती बंद करने के लिए नेशनल न्यूज चैनल में भी खूब विज्ञापन दिया. अब जरा सोचिए 2012-13 में आज तक, इंडिया टीवी, एनडीटीवी, एबीपी, जी न्यूज नेशनल, सहारा समय नेशनल, जैसे बड़े चैनलों को सरकारी विज्ञापन नहीं मिला फिर इस बार सरकार कैसे मेहरबान हो गई कि इन बड़े चैनलों को लाखों की रकम का विज्ञापन दे दिया.
दरअसल ये पैसे उत्तराखंड सरकार ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए मीडिया को विज्ञापन के रूप में दिया ताकि विज्ञापन के नाम पर सच छिपाया जा सके. अब आप खुद ही सोचिए कि उत्तराखंड की सरकार कैसी है और आपके पत्रकार किस तरह से काम कर रहे हैं. उपर दी गई तमाम जानकारी लोक सूचना अधिकारी सूचना एवं जनसंपर्क विभाग देहरादून से मांगी गई है. सूचना मुहैया कराने वाले अधिकारी का नाम आशीष कुमार त्रिपाठी है.
दिल्ली से नीरज राठी की रिपोर्ट.
Sabhar- Bhadas4media.com
जिन लोगों को राहत के नाम पर चेक दिए गए तो वो भी ऊंट के मुंह में जीरे के सामान हैं। अब सवाल इस बात का है कि आखिरकार इतनी मोटी रकम गई कहां। अखबारों और न्यूज चैनल में तो प्रदेश के सीएम विजय बहुगुणा के काम की खूब तारीफ की जा रही है। प्रदेश का शायद ही कोई अखबार और न्यूज चैनल ऐसा होगा जिसने बहुगुणा को आपदा से निपटने में तत्पर ना दिखाया हो। लेकिन जमीन हकीकत इससे कहीं जुदा है। दरअसल हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि राज्य की हकीकत इससे कही अलग है।
अखबारों और न्यूज चैनलों पर जो दिखाया गया वो सब बहुगुणा जी की मेहरबानी का नतीजा था। जब तक बहुगुणा जी पैसे की बरसात करते रहे, अखबार और न्यूज चैनल भी उनका खूब गुणगान करते रहे। दरअसल हम बहुगुणा जी पर उंगली इसलिए उठा रहे है क्योंकि सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के बाद इस तरह की स्थिति साफ हो रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश के सीएम विजय बहुगुणा ने अपनी सरकार के गुणगान के लिए विज्ञापन के तौर पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। अब जरा नीचे दिए गए आंकडों पर गौर फरमाइए तो आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएगी। नीचे दी गई तमाम जानकारी सूचना के अधिकारी के तहत देहरादून के सूचना और जनसंपर्क विभाग से मांगी गई है...
न्यूज चैनलों को अप्रैल 2012 से अगस्त 2013 तक उत्तराखंड सरकार और उसके विभागों की तरफ से विज्ञापन के रुप न्यूज चैनल को दी गई धनराशि
[B]चैनल नाम - 2012-13 - 2013-अगस्त13[/B]
ईटीवी - 4,13,66,750 - 1,79,23,650
सहारा समय - 1,25,80,250 - 40,82,850
जीन्यूज उ/यूपी- 10933875 - 3682050
टीवी100 - 1,29,40,250 - 79,32,850
साधना न्यूज - 36,37,350 - 61,82,850
टाईम टीवी - 30,60,350 - 39,82,050
इंडियान्यूज उ/यूपी- 25,29,600 - 67,24,450
जैन टीवी - 82,49,850 - 67,82,050
वीओआई - 8,86,550 - 61,82,850
समाचार प्लस - 7185000 - 54,82,850
ईटीवी उर्दू - 17,01,000 - 25,28,850
श्री न्यूज - 9,08,600 - 6,91,200
सी न्यूज - 8,64,300 - 8,98,200
ए2जेड - 10,82,550 - 11,85,600
दूरदर्शन - 36,34,050 - 10,22,400
आज तक - 21,88,842
आईबीएन7 - 14,41,968
एबीपी - 23,38,894
एनडीटीवी - 12,93,210
इंडिया टीवी - 43,93,794
न्यूज24 - 11,52,720
जी न्यूज दिल्ली - 14,41,968
सहारा समय नेशनल - 8,96,790
इंडिया न्यूज दिल्ली - 22,46,790
रेडियो मिर्ची जिंगल - 1,27,39,122
मुन्सिफ टीवी - 29,750
महुवा न्यूज - 78,850
नेटवर्क10- 35,11,200
जी सलाम - 37,06,650
टीवी24 - 72,150
सौभाग्य मिथिला टीवी - 2,86,350
रफ्तार टीवी 10,57,700
जन संदेश 12,750
फोकस टीवी 12,750
हमार टीवी 12,750
कुल योग 12,03,41,325 + 11,54,35,266 = [B]23,57,76,619[/B]
इस तरह कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकार और उसके विभागों की तरफ से करीब डेढ़ साल के भीतर ही विज्ञापन के तौर पर करीब साढे तेईस करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर दी गई। हैरानी की बात ये है कि पिछले साल सरकारी विज्ञापनों पर कुल 12 करोड़ के करीब रकम खर्च की गई लेकिन इस अप्रैल से अगस्त तक 5 महीने के भीतर ही सरकार ने साढे 11 करोड से ज्यादा की रकम विज्ञापन में खर्च कर डाली. ये तो सिर्फ न्यूज चैनल को दिए गए विज्ञापन हैं. अभी तो इसमें अखबारों को दिए गए विज्ञापन की राशि जोड़ी ही नहीं गई है. जरा सोचिए, जब वो रकम जुड़ेगी तो आंकड़ा कहां पहुंचेगा.
हैरानी की बात ये है कि इनमें से कई ऐसे न्यूज चैनल में जो उत्तराखंड में दिखते ही नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें विज्ञापन दिया गया. इस बीच विज्ञापन के रूप में कमाई करने में ईटीवी सबसे नंबर वन रहा है. उसने करीब डेढ साल के भीतर ही 5 करोड़ 92 लाख 90 हजार 400 रुपए की कमाई की, जबकि टीवी100 ने 2 करोड़ 91 लाख 31 हजार के विज्ञापन लिए. हैरानी की बात ये है आपदा के दौरान इस बार विज्ञान के रूप में न्यूज चैनल को खूब पैसा दिया है. दरअसल इसके पीछे भी एक कहानी थी.
आपदा के वक्त देश की पूरी मीडिया का ध्यान उत्तराखंड की तरफ था. आपदा को लेकर उत्तराखंड सरकार की खूब किरकिरी हो रही थी. ऐसे में सीएम बहुगुणा ने मीडिया की बोलती बंद करने के लिए नेशनल न्यूज चैनल में भी खूब विज्ञापन दिया. अब जरा सोचिए 2012-13 में आज तक, इंडिया टीवी, एनडीटीवी, एबीपी, जी न्यूज नेशनल, सहारा समय नेशनल, जैसे बड़े चैनलों को सरकारी विज्ञापन नहीं मिला फिर इस बार सरकार कैसे मेहरबान हो गई कि इन बड़े चैनलों को लाखों की रकम का विज्ञापन दे दिया.
दरअसल ये पैसे उत्तराखंड सरकार ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए मीडिया को विज्ञापन के रूप में दिया ताकि विज्ञापन के नाम पर सच छिपाया जा सके. अब आप खुद ही सोचिए कि उत्तराखंड की सरकार कैसी है और आपके पत्रकार किस तरह से काम कर रहे हैं. उपर दी गई तमाम जानकारी लोक सूचना अधिकारी सूचना एवं जनसंपर्क विभाग देहरादून से मांगी गई है. सूचना मुहैया कराने वाले अधिकारी का नाम आशीष कुमार त्रिपाठी है.
दिल्ली से नीरज राठी की रिपोर्ट.
Sabhar- Bhadas4media.com