Rising Rahul : पिटना तो पहले दूसरे संपादकों को चाहिए था, दीपक चौरसिया बेचारे पहले पिट गए...लगता है किसी ने पीछे से नंबर लगाना शुरू कर दिया है। अब इन संपादकों को पब्लिक में जाना और प्रेस क्लब में दारूबाजी कम तो करनी ही पड़ेगी... काउंटडाउन शुरू हो गया है साहब.. जरा बचके..
हरिभूमि ग्रुप में कार्यरत राहुल पांडेय के फेसबुक वॉल से.
Vineet Kumar : जब आप दीपक चौरसिया जैसे टीवी मीडियाकर्मी को बर्दाश्त नहीं कर सकते, ऐसे में भारतेन्दु युग के पत्रकार आपके आगे होते या उनकी समझ के हिसाब से काम करनेवाले पत्रकार होते, तब तो आप जिंदा जला देते..गजब का पाखंड करते हैं आप भी. एक तरफ तो आप कहते हैं, मीडिया बिक चुका है और आपके हिसाब से इस बिके हुए मीडियाकर्मी से भी आपको दिक्कत हो जाती है..आखिर आप चाहते क्या हैं ? बहरहाल, आप दीपक चौरसिया पर ईंट से हमला करने का कोई हक नहीं है..हम इस निंदा करते हैं और आप पर लानत भेजते हैं.
युवा मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.