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मोबाइल कैमरे से राजेंद्र जी की यह तस्‍वीर उतारी थी

पांच साल पहले 2007 के दिसंबर में अपने मोबाइल कैमरे से राजेंद्र जी की यह तस्‍वीर उतारी थी। उन दिनों हंस के दफ्तर जाने का काफी सिलसिला था। पिछले दो तीन सालों से यह सिलसिला थोड़ा उजड़ गया था। मैं बाबरी मस्जिद विध्‍वंस तक आरएसएस का काडर था, लेकिन उनके संपादकीय ने ही मुझे कनवर्ट किया। एक खाफनाक अंधेरे से बाहर निकल कर उन्‍होंने मुझे एक नया जीवन दिया था।