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- बनारस के पत्रकारपुरम में अवैध धनउगाही का मामला हुआ उजागर

अच्छाई का जामा ओढ़कर भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के जरिये शोहरत बटोरने वाले तहलका डॉट कॉम के संपादक तरुण तेजपाल द्वारा अपनी मातहत महिला रिपोर्टर का यौन शोषण के आरोप ने उनके के अच्छाई के चोले को ऐसा सरकाया कि वे बिल्कुल नंगे हो गये। कुछ ऐसा ही हुआ है बनारस के पत्रकारपुरम में। पत्रकारों के हक और हुकूक की लड़ाई लड़ने और पत्रकारपुरम में विकास का दावा करने वाले दो पत्रकार संगठनों के कुछ पूर्व व वर्तमान पदाधिकारियों पर अवैध धनउगाही के आरोप लगे हैं। 
 
पत्रकारपुरम में रहने वाले पत्रकारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि इन लोगों ने पत्रकारपुरम में विभिन्न प्रयोजनों से मंगाई जाने वाली मिट्टी से लदे ट्रक्टरों से 50-50 रुपये अवैध वसूली करने के अलावा यहां के खाली मैदान को वैवाहिक समारोहों के लिए देकर अवैध धनउगाही की। यही वजह थी कि पत्रकारपुरम में रहने वाले पत्रकारों की अपनी संस्था पत्रकारपुरम आवासीय समिति का गठन हुआ जिसका काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष योगेश कुमार गुप्त, वर्तमान अध्यक्ष कृष्णदेव नारायण राय, महामंत्री राजेंद्र रंगप्पा और उपजा की स्थानीय इकाई के निवर्तमान अध्यक्ष विनोद बागी ने जोरदार विरोध किया पर उन्हें मुंह की खानी पड़ी। क्योंकि इसके पीछे इन्हीं लोगों को जिम्मेदार माना जा रहा है।
 
इस प्रकरण की तफ्तीश के लिए जब क्लाउन टाइम्स ने पत्रकारपुरम आवासीय समिति के महामंत्री राकेश चतुर्वेदी से संपर्क किया तो उन्होंने वैवाहिक समारोहों की आड़ में धनउगाही और मिट्टी लेकर आने वाले ट्रैक्टरों से 50-50 रुपये की वसूली होने की बात कही। कहा कि इसी कारणवश उपजा के विनोद बागी और काशी पत्रकार संघ से जुड़े योगेश कुमार गुप्त व केडीएन राय को समिति की काली सूची में डाल दिया गया है। ये लोग ही अवैध वसूली के लिए जिम्मेदार हैं। समिति ने इसका जोरदार ढंग से विरोध किया है। अपनी पोल-पट्टी खुलने के डर से विनोद बागी, केडीएन राय और योगेश कुमार गुप्त हम लोगों से बात करने में कतराते रहे। जब हम लोगों ने पत्रकारपुरम आवासीय समिति के माध्यम से यहां काफी विकास कार्य कराया तो ये सब पत्रकारों के इन तथाकथित हितैसियों के गले नहीं उतरा।
 
इस बारे में उपजा के निवर्तमान जिला मंत्री प्रदीप जी ने क्लाउन टाइम्स से बातचीत के दौरान बताया कि हमारे संघटन के विनोद बागी और काशी पत्रकार संगठन के योगेश गुप्त को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि इन लोगों द्वारा पत्रकारपुरम में आने वाले मिट्टी से लदे ट्रैक्टरों से 50-50 रुपये की वसूली कराई जाती रही थी। इस अवैध वसूली की धनराशि की बंदरबांट दोनों संगठनों के पदाधिकारी करते रहे। बताया कि हम लोगों के साथ इन लोगों ने बाकायदा मीटिंग में यह बात स्वीकार की थी कि 50-50 नहीं बल्कि 25 रुपये प्रति ट्रैक्टर के हिसाब से वसूली की जा रही थी। यह वसूली केवल पत्रकारपुरम में सड़क निर्माण के लिए आने वाली मिट्टी से लदे ट्रैक्टरों से ही नहीं बल्कि वहां रहने वाले पत्रकार साथियों के लिए मिट्टी लाने वाले ट्रैक्टरों से भी की जा रही थी। उन्होंने बताया कि श्री बागी पिछले 8 वर्षों से उपजा का चुनाव न कराकर केवल मनोनयन करा पद पर बने रहे और हम लोगों को काम करनें नहीं दिया। इसी के चलते उपजा की स्थानीय इकाई को भंग कर फिलहाल स्थानीय स्तर पर प्रभारी अनिल अग्रवाल को बनाया गया है।
 
इस बारे में उपजा के निवर्तमान अध्यक्ष विनोद बागी ने क्लाउन टाइम्स को बताया कि वसूली उपजा के प्रदीप तथा उनके लोग करा रहे थे, जब मामला मेरे संज्ञान में आया तो मैंने मना कर दिया। श्री बागी ने कहा कि वे आरोप प्रत्यारोप में विश्वास नहीं रखते। रही बात चुनाव करानें कि तो जब भी मैं अपनें लोगों को इसके लिये कहता था तो वे लोग मनोनयन की बात करके टाल जाते थे। स्थानीय इकाई को भंग करना गलत है।
 
सूत्रों की मानें तो पत्रकारपुरम में आने वाले मिट्टी लदे ट्रैक्टरों से 50-50 रुपये की वसूली का काम पत्रकारपुरम के गेट पर चाय की दुकान चलाने वाले व्यक्ति से कराया जा रहा था। जब उसके पास काफी पैसा इकट्ठा हो जाता था तो वसूली कराने वाले लोग इसकी बंदरबांट आपस में कर लेते थे। इसके अलावा इन लोगों द्वारा आसपास रहने वालों को वैवाहिक समारोहों के लिए पत्रकारपुरम का खाली मैदान दिया जा रहा था। इसके बदले एक से डेढ़ हजार रुपये तक की वसूली किये जाने की बात चर्चा में है। इस प्रकार की वसूली के जरिये अब तक 40 से 50 हजार रुपये की उगाही किये जाने की बात सामने आई है। इसकी भनक लगने पर पत्रकारपुरम में रहने वाले पत्रकार साथियों में आक्रोश होना स्वाभाविक था। नतीजतन पत्रकारपुरम आवासीय समिति का गठन हुआ। इस समिति के अध्यक्ष चेतन स्वरूप, महामंत्री राकेश चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र भारती व अरविंद सिंह, प्रदीप जी मंत्री और संजय कोषाध्यक्ष चुने गये। इस समिति के गठन में धर्मेंद्र सिंह और विकास पाठक की अहम भूमिका रही।
 
बहरहाल बुरे काम का बुरा नतीजा तो होता ही है। एक ओर जहां उपजा की स्थानीय इकाई भंग कर दी गई वहीं दूसरी ओर काशी पत्रकार संघ का वजूद खतरे में पड़ा हुआ है। वर्तमान में काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष और महामंत्री राजेंद्र रंगप्पा निर्वाचित कार्यसमिति के पंजीयन के लिए दर-दर भटक रहे हैं। पहले ये दोनों सहायक रजिस्ट्रार (सोसायटीज एंड चिट्स) के यहां दौड़ लगा रहे थे लेकिन वे इस काम में सफल नहीं हो पाये। अब यह मामला एसडीएम सदर के यहां पहुंच गया है, लिहाजा ये लोग उनके यहां चक्कर लगा रहे हैं। इस समय बनारस में काशी पत्रकार संघ, उपजा की स्थानीय इकाई, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन आदि कई पत्रकार संघटन हैं लेकिन पत्रकारों और गैर पत्रकारों के हक और हुकूक की असली लड़ाई मात्र एक संगठन समाचार पत्र कर्मचारी संगठन के मंत्री अजय मुखर्जी कर रहे हैं। इसने स्थानीय श्रम कार्यालय से लेकर हाईकोर्ट तक के माध्यम से पत्रकारों को उनका हक दिलाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। खबर पत्रकार साथियों से बातचीत व चर्चाओं पर आधारित है, इसकी सच्चाई की तफ्तीश स्वयं करें।
 
साभार-क्लाउन टाइम्स