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स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर ने बताया, आखिर क्यों खबरों की दुनिया से बनाई दूरी


नूर फातिमा वारसिया

स्टार इंडिया का सफर कामयाबी भरा रहा है। उसने अपने नए अवतार को ‘2.0’ करार दिया है। जनरल एंटरटेनमेंट कैटिगरी (इसमें हिंदी और रीजनल एंटरटेनमेंट दोनों शामिल हैं) में नंबर एक पर काबिज होने के बाद उसने कुछ रणनीतिक बदलाव किए हैं।

स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर के मुताबिक, नेटवर्क ने अनुभवी प्रतिभावान लोगों का पूल बनाने और कंटेंट को लेकर अलग नजरिया अपनाने के लिए जो निवेश किया है उसने उसे नए ट्रेंड्स परिभाषित करने और इंडस्ट्री के लिए एजेंडा तय करने में मदद की है। साल 2013 में कंपनी में काफी रणनीतिक बदलाव हुए हैं। अगर सबकुछ स्टार की योजना के मुताबिक हुआ तो भारत पर उसका असर टेलिविजन, एंटरटेनमेंट और मीडिया बिजनेस से भी आगे तक जाएगा।

साल 2012 में स्टार इंडिया पूरी तरह से न्यूज जेनरे से बाहर आ गया था। स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर की मानें तो इसकी वजह थी कंपनी का माइनॉरिटी स्टेकहोल्डर होना। उनका कहना है कि हम सही तरह से अपनी मौजूदगी नहीं दर्ज करा पा रहे थे। बकौल शंकर, ‘खबरों की गुणवत्ता को लेकर हमारे कुछ विचार थे, लेकिन हम बदलाव लाने की स्थिति में नहीं थे। ऐसे में हम यही कर सकते थे कि इस प्रक्रिया में शामिल न हों।’ उदय शंकर का कहना है कि न्यूज जेनरे (खबरों की शैली) में इस वक्त मूलभूत बदलाव की जरूरत है, नहीं तो जिस राह पर ये जा रहा है वो सिर्फ बर्बादी की तरफ ले जाता है।

खेलों में खासी दिलचस्पी

न्यूज जेनरे से स्टार की विदाई से लोगों को उतना आश्चर्य नहीं हुआ जितना कि बीसीसीआई के मीडिया राइट्स, टेलिविजन, इंटरनेट और मोबाइल प्लैटफॉर्म के लिए बोली लगाने के फैसले से। इस डील में घरेलू क्रिकेट के प्रसारण का अधिकार भी शामिल है। स्टार ने 3800 करोड़ रुपये में भारत में खेलों के प्रसारण का अधिकार खरीदा है। इस फैसले से खेलों में स्टार की खासी दिलचस्पी के बारे में पता चला। लेकिन सबसे बड़ी बात थी ईएसपीएन-स्टार स्पोर्ट्स जॉइंट वेंचर में स्टार का ईएसपीएन की हिस्सेदारी खरीदना
Sabhar- samachar4media.com