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जाते-जाते हेमंत सोरेन ने झारखंड के पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी

झारखंड से खबर है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जाते-जाते सारे पत्रकारों की मान्यता राज्य में रद्द कर दी है. अब नयी अधिसूचना के अनुसार एक्रीडेशन (मान्यता) की इच्छा रखनेवाले पत्रकारों को फिर से सारी औपचारिकताएं पूरी करनी होगी. उन्हें अपने संपादक से लिखाना होगा कि वे उनके अखबार में संवाददाता हैं. यह सभी जानते हैं कि संपादक से फार्म पर हस्ताक्षर लेना कितना कठिन होगा. खासकर वैसे पत्रकारों को जिन्हें अखबार में पत्रकार नहीं मानता, बल्कि शौकिया पत्रकार बताता रहा है.
चर्चा है कि मजीठिया के कारण अखबार प्रबंधन के कहने पर हेमंत ने यह नई अधिसूचना निकाली है. पुराने मान्यता प्राप्त पत्रकारों को छह माह का समय दिया गया है. इसके बाद स्वत: सभी की मान्यता समाप्त हो जाएगी. अधिसूचना की नियमावली भी पत्रकारों के हितों के खिलाफ है. अब स्थायी रूप से एक्रीडेशन कार्ड नहीं बनेंगे. इसकी अवधि दो साल की रहेगी. यानी हर दो साल बाद फार्म लाओ, भरो और संपादक के हस्ताक्षर का इंतजार करते रहो वाली स्थिति पत्रकारों के सामने पैदा कर दी गई है. नए एक्रीडेशन की चाहत रखनेवाले पत्रकार का अपने अखबार में कम से कम सात साल होना चाहिए.
अन्य राज्यों में कहीं भी इतनी लंबी अवधि नहीं है. जनसंपर्क अधिकारियों को भी एक्रीडेशन का लाभ मिलेगा.  सरकार का यह पत्रकार विरोधी फैसला आ गया लेकिन एक्रीडेशन कमेटी में सलाहकार बने पत्रकारों के मुंह से विरोध में एक शब्द भी नहीं फूटे. कहने वाले कह रहे हैं कि हेमंत सोरेन ने चुनाव घोषणा के पहले प्रखंड, जिला तक के पत्रकारों का दुख-दर्द बांटने के नाम पर बड़े-बड़े आयोजन करके करोड़ों खर्च किए, साथ ही मजीठिया वेज बोर्ड पर बोला और बुलवाया लेकिन जाते-जाते पत्रकारों को ही बेच खाया. 
Sabhar- Bhadas4media.com