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सच बोलना पाप सा हो गया।

किसी जमाने में सच बोलना अच्छा होता था आज तो सच बोलना पाप सा हो गया। अगर सच को सच में उगल दिया जाये तो हां हल्ला हो जाता है। अब चाहे कोई सा धंधा पकड़ लो। चोर तो सबमे ही मिल जायेगे। अभी भी कुछ लोग ईमादारी की बैशाखी के सहारे चल रहे है या तो उनका क़तल हो जाता है या फिर सरे बदनाम कर दिए जाते है।
सुशील