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सब जानते हैं कलहंस का असली धंधा क्या है, उस कुमार सौवीर से तो बाद में निपट लूंगा : हेमंत तिवारी


लखनऊ : हम आपको बताये दे रहे हैं वह फोन वार्ता का लब्‍बोलुआब, जो शरत प्रधान और हेमन्‍त तिवारी के बीच हुई थी। बातचीत का मकसद था उप्र मान्‍यताप्राप्‍त पत्रकार समिति का बरसों से लटका चुनाव और उस पर कुण्‍डली पर बैठे तथाकथित और खुद को दिग्‍गज कहलाते नहीं थकते पत्रकार। परसों शाम मुख्‍यमंत्री कार्यालय एनेक्‍सी वाले मीडिया सेंटर में शरत प्रधान ने वहां मौजूद पत्रकारों को उस बातचीत का मोटी-मोटा ब्‍योरा सुनाया।
शरद: क्‍या चल रहा है हेमन्‍त ?
हेमन्‍त: आजकल तो बस मौज ही मौज चल रही है। आइये, मैंने महफिल सजा रखी है।
शरद: लेकिन उप्र मान्‍यताप्राप्‍त पत्रकार समिति का क्‍या चल रहा है ?
हेमन्‍त: चकाचक, क्‍यों कोई दिक्‍कत है क्‍या?
शरद: अरे यार, तीन साल हो चुका है, लेकिन तुम चुनाव क्‍यों नहीं करा रहे हो ? जबकि नियमानुसार बहुत पहले ही यह चुनाव हो जाना चाहिए। आखिर क्‍या चाहते हो तुम ? यह हम पत्रकार बंधुओं की कमेटी है, तुम्‍हारा जेबी संगठन नहीं। जिसे तुम जैसा चाहो, घुमाते-नचाते रहो। अरे कोई कानून-कायदा भी होता है। तुमने तो बिलकुल मजाक ही बना रखा है इस समिति को। जिस भी ओर देखो, थुक्‍का-फजीहत ही हो रही है तुम्‍हारी भी हो और समिति की भी। और तुम हो कि बिलकुल इस समिति की कुर्सी पर कुण्‍डली मारे बैठे हो। यह क्‍या तरीका है ?
हेमन्‍त: अरे मैं तो कब से तैयार हूं कि समिति का चुनाव कराय लिया जाए। लेकिन कुछ गुण्‍डे ही अपनी गुण्‍डागर्दी पर आमादा है। न कुछ करते हैं और न किसी को करने देते हैं। आखिर मै अकेली नन्‍हीं जान क्‍या-क्‍या करूं? किस-किस से जूझूं?
शरद: लेकिन गुण्‍डा कौन है, जो गुण्‍डागर्दी करके समिति के चुनाव को कराने में अड़ंगा लगा रहा है?
हेमन्‍त: अरे वही, आप तो जानते ही हैं उसे
शरद: कौन?
हेमन्‍त: कुमार सौवीर, और कौन
शरद: क्‍यों, कुमार सौवीर ने क्‍या किया?
हेमन्‍त: अरे यह पूछिये कि क्‍या-क्‍या नहीं किया। मेरे खिलाफ क्‍या-क्‍या नहीं प्रोपेगण्‍डा किया। वही तो सब सरभण्‍ड किये दे रहा है। वरना मैं तो दो साल पहले ही समिति का चुनाव करवा चुका होता।
शरद: कोई भी गुण्‍डागर्दी नहीं कर रहा है। अब सीधे-सीधे यह बताओ कि चुनाव कब करा रहे हो ? हम लोग इस वक्‍त एनक्‍सी के मीडिया सेंटर में मीटिंग कर रहे हैं इस वक्‍त।
हेमन्‍त: मुझे भी पता चला था, इसीलिए मैंने अपनी अलग मीटिंग अपने घर में करनी शुरू कर दी है। इसी बैठक में तय किया जाएगा कि समिति का क्‍या किया जाए।
शरद: देखो, साफ बात है कि अगर तुम 25 जुलाई को समिति की एजीएम नहीं बुलाते हो, तो हम लोग 27 जुलाई को मीटिंग बुला कर नये चुनाव का ऐलान कर देंगे। फिर तुम जाने और तुम्‍हारा काम-धाम। (फोन कट गया)
यह है वरिष्‍ठ पत्रकार शरद प्रधान और हेमन्‍त तिवारी के बीच हुई टेलीफोन पर हुई बातचीत का मोटी-मोटा ब्‍योरा। इस बातचीत का खुलासा शरद प्रधान ने परसों शाम को मुख्‍यमंत्री कार्यालय एनेक्‍सी मीडिया सेंटर में किया था, जब समिति का चुनाव न कराने से भड़के पत्रकारों ने इसी मसले पर मीटिंग बुलायी थी। इसके पहले भी अनेक जगहों पर नोटिसें चस्‍पां की गयी थीं, लेकिन हेमन्‍त तिवारी एण्‍ड कम्‍पनी ने उसे हर जगह से फाड़ दिया था।
खैर, तय हुआ है कि कल यानी 25 जुलाई तक कोई नतीजा नहीं निकलता है तो 27 जुलाई को मीडिया सेंटर में नयी समिति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उधर कुछ और लोगों ने हेमन्‍त तिवारी और उसके समर्थकों से बातचीत की। उनमें से एक से तो साफ कहा कि अब जरा मैं अपने निजी मामलों से निपट लूं फिर निपटूंगा उस कुमार सौवीर से निपट लूंगा। एक ने तो यहां तक कह दिया गया है कि अब कुमार सौवीर को सावधान हो जाना चाहिए। मामला खतरनाक होता जा रहा है। बड़े ऊंचे लोग लग गये हैं अब।एक मित्र ने बताया कि हेमन्‍त तिवारी ने कुमार सौवीर को ठिकाने लगाने की व्‍यवस्‍था कर ली है। उसका कहना था कि पुलिस महकमें में चूंकि उसके कई बड़े अफसर हैं और कई बड़े अपराधियों से भी हेमन्‍त के करीबी रिश्‍ते हैं, इसलिए कुमार सौवीर की शामत अब शायद आने ही वाली है। हाय अल्‍लाह। न जाने क्‍या होने वाला है अब।
लेखक कुमार सौवीर लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनका यह लिखा उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है.