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हौसला हो तो दुनिया का कोई भी काम उसके लिए मुश्किल नहीं होता ।“ मज़हर खान


जैसा कि विद्वानों ने कहा है कि – यदि किसी भी प्राणी में हिम्मतलगन और हौसला हो तो दुनिया का कोई भी काम उसके लिए मुश्किल नहीं होता । इसका प्रमाण हमें इतिहास के पन्नों में भी दर्ज मिलता है; जिस प्रकार  बचपन में स्कूल से निकाल दिए जाने वाले थॉमस अल्वा एडिसन बड़े होकर बल्ब का आविष्कार कर देते हैं तो दूसरी तरफ साधारण सा दिखने वाला एक ग्रामीण दशरथ मांझी अपने मज़बूत इरादों की धार पर पहाड़ की चट्टानों को काटकर उसमें से मार्ग स्थापित कर देता है । यह इस बात का प्रमाण है कि यदि “ दिल से चाहो और महनत का जज़्बा हो तो, हर सपना सच होने की कुब्बत रखता है “ | 
ऐसा ही कुछ कर दिखाने का सपना उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक जिले शाहजहाँपुर के एक मध्यम वर्ग के परिवार में जन्मे मज़हर ख़ान की आँखों में भी था । यह सपना था बड़े पर्दे पर अभिनेता बतौर अपनी पहचान बनाने का । अज़हर हुसैन ख़ान और इदरीस जहां बेगम के तीन बेटों में मज़हर ख़ान दूसरे नम्बर पर हैं । इनके बचपन की परवरिश इनकी नानी के गांव 'महानन्दपुरमें हुई । बचपन से ही अभिनय की दुनिया मज़हर ख़ान को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी और जैसे-जैसे वे बड़े होते गए अभिनय से उनका नाता और मज़बूत होता गया । छोटे शहर और मध्यमवर्गीय परिवार की परिस्तिथियों का सामना करते हुए मज़हर ख़ान ने अपने सपने पर निराशा के बादल कभी नहीं छाने दिए और उसकी ज़िद को हमेशा बरकरार रखा । हर गुज़रे दिन के साथ-साथ उनका निश्चय द्रण-निश्चय में बदलता गया । मज़हर ख़ान को राजेश कुमार एवं हैदर नज़्मी जैसे गुरु मिले जिन्होंने ना केवल उनकी प्रतिभा को पहचाना बल्कि उसे तराशा भी ।

मज़हर, गांधी फैज़ ए आम कॉलेज से तालीम हासिल करने के दौरान ही रंगमंच से जुड़ गए थे । शाहजहाँपुर के गांधी भवन में अभिव्यक्ति नाटक मंच नाम की संस्था की तरफ़ से आयोजित होने वाले नाटकों से उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत की । अभिनय के प्रति उनके इस अटूट प्रेम और लगन के  चलते ही उनका सफ़र गांधी भवन से आगे बढ़ता हुआ नवाबों की नगरी लखनऊ पहुंचा, जहां उन्होंने भारतेंदु नाट्य अकादमी से ड्रामैटिक आर्ट्स में अपना डिप्लोमा पूरा किया । मज़हर ख़ान के कदम यहीं नहीं रुके उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर देश के प्रतिष्ठित संस्थान एफ टी आई आई में दाखिला पाया और यहाँ से "Film Orientation & Apprecition course"  को पूरा कर एक बार फिर अपनी काबिलियत का परिचय दिया ।

आखिर अब वो वक़्त भी आ ही गया जब वे मुंबई में नये सिरे से संघर्ष करने के काबिल बन चुके थे |  अब यह वो दौर था जब उन्हें बॉलीवुड में दिन-रात मेहनत कर रही लाखों प्रतिभाओं के बीच अपनी काबिलियत का झंडा गाड़ना था और उस भीड़ में खुद ही अपनी मंज़िल का रास्ता बनाकर अपनी पहचान कायम करनी थी । हमेशा की तरह मज़हर ने अपने धैर्य को प्राथमिकता देते हुए मुम्बई में अपने हुनर को पर्दे तक लाने की जी-तोड़ मेहनत शुरू की | कुछ वक़्त पर्दे के पीछे काम करने के बाद अब उन्हें पर्दे पर भी काम करने का मौक़ा मिलना शुरू हो गया । ज़ी टी वी के लोकप्रिय धारावाहिक " भागोंवाली " में 'टिल्लूके किरदार से उन्होंने दर्शकों के दिल में जगह बनाई तो दूसरी ओर ज़ी टी वी के ही एक अन्य सीरियल " डोली अरमानों की " में मुक्तिके रोल से वे दर्शकों में बहुत लोकप्रिय हुए । इस दौरान वो दूसरे टी वी कार्यक्रमों में भी काम करते रहे ।

छोटे पर्दे पर अपनी उपस्तिथि दर्ज करने के साथ-साथ मज़हर ख़ान बड़े पर्दे पर भी अभिनय के लिए  प्रयासरत रहे और अब उनका बड़े पर्दे पर अभिनय करने का सपना भी सच होना शुरू हुआ । अब उनको 'लव यू मिस्टर कलाकार', 'रज्जो', 'देख इंडियन सर्कसऔर बदलापुर बॉयज जैसी फिल्मों में बतौर अभिनेता का काम मिला । बहुमुखी प्रतिभा के धनी मज़हर ख़ान ने ना केवल अभिनय बल्कि लेखन और निर्देशन के क्षेत्र में भी अपने हुनर को स्थापित किया । वो अब तक 4 शॉर्ट फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं, जिन्हें लगातार यू-ट्यूब पर देखा जा रहा है ।
इसके अतिरिक्त मज़हर ख़ान ने कई फेस्टिवल फिल्मों में भी बतौर अभिनेता काम किया जिनमें 'संशोधन', ' गोल्डन पॉकेट वॉच', 'अच्छा क्या बुरा क्या', 'छोटी आशाआदि प्रमुख हैं ।

इन दिनों वे प्रसिद्द अभिनेता-निर्देशक 'शशांकके एक बड़े प्रोजेक्ट में व्यस्त हैं । लोकपाल आंदोलन को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र रहे प्रसिद्द समाजसेवी और गांधीवादी सोंच के कार्यकर्ता "अन्ना हज़ारे" के जीवन पर बनने वाली फ़िल्म "अन्ना" में मज़हर ख़ानअन्ना हज़ारे के दोस्त का किरदार निभा रहे हैं । ये फ़िल्म कई मायनों में बेहद ख़ास है । ख़ुशी की बात ये है कि इस अहम फ़िल्म में मज़हर ख़ान के माध्यम से शाहजहाँपुर का नाम दोबारा जुड़ गया है, राजपाल यादव के बाद शाहजहाँपुर और भारतेंदु नाट्य अकादमी की परंपरा में शामिल हुआ ये नाम 'खेल के जरिये हालात बदलने की कहानी - बदलापुर बॉयजसे ही सिनेमा के पूर्व-स्थापित प्रतिमान बदलने को बेताब हैं । फ़िल्म "अन्ना" का निर्देशन शशांक ने किया है जिन्होंने इस फ़िल्म में अन्ना का किरदार भी निभाया है। मज़हर ख़ान इस फ़िल्म में आरिफ ज़कारियातनीषा मुखर्जीगोविन्द नामदेव जैसे कलाकारों के साथ अभिनय कर रहे हैं ।

---सिराज फ़ैसल ख़ान