पत्रकारिता का क्या मापदंड होना चाहिए ताकि लोग आपको पत्रकार कह सके। .
अगर कोई आपसे कहे ,हम आपको नहीं जानते है न ही कभी देखा है। तो थोड़ा सा अटपटा लगेगा। जी हां फेस बुक और ट्विटर नुमा पत्रकार पैदा हो गए। जिसे लिखने और बोलने तमीज और तहजीव नहीं है। आखिर क्या बोल रहे है। . पत्रकारिता का क्या मापदंड होना चाहिए ताकि लोग आपको पत्रकार कह सके। .
डेल्ही - मुम्बई में पत्रकारिता की बात करते है तो मुझे उन पत्रकारों पर तरस आता है जो जर्नलिज्म का ज और मीडिया का म और पत्रकारिता का प तक नहीं जानते है वो खुले आम अपने आपको पत्रकार घोषित कर देते है। हां उनको माइक लेकर प्रश्न पूछने की कलाकारी है अगर माइक हाथ में आ गया तो उनसे बड़ा पत्रकार पूरे हाल में नहीं है। ये बात फिल्म इवेंट और प्रेस कॉन्फ्रेंस खुले आम देखी जा सकती है। मजे की बात ये है अगर माइक पकड़ लिया तो पूरी कसर निकाल लेते है। ऐसे कई महारथी इन इवेंट में देखे और सुने जा सकते है।
खैर हम तो ये ही कहेगे जो जर्नलिज्म मैंने पिछले २० सालो में मैंने देखा और पढ़ा है आज का जर्नलिज्म कोसो दूर है। आज फ़ेसबुकिया , ट्विटर , यूट्यूब के पत्रकार है। उनसे पूछो भाई आप किस ग्रुप से हो तो खटाक से बता देते है। हमारा फला पेज फेस बुक , ट्विटर और यूट्यूब पर है। एजुकेशन की बात करे तो कोई दसवी तो दूसरा बाहरवी से ज्यादा नहीं है। इन इवेंट और प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुश्किल से पचास % पत्रकार स्कूल गए है नहीं पत्रकारिता के नाम पर बड़ी भीड़ है।
एडिटर
सुशिल गंगवार
साक्षात्कार डाट काम
फ़िल्मी पी आर काम