फायरिंग के खौफ के बीच ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग की... छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले के कवरेज के दौरान पत्रकारों पर भी नक्सलियों ने फायरिंग की। घटना की जानकारी लगने के साथ ही सुकमा से निकले कुछ पत्रकार घटनास्थल पर पहुँचने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान घात लगाए बैठे नक्सलियों ने घटनास्थल की और पहुँचने की कोशिश कर रहे पत्रकारों पर फायरिंग शुरू कर दी। जैसे-तैसे पत्रकारों ने अपनी जान बचाते हुए वहां से निकलने में सफलता हासिल की। दरअसल जब भी नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं। वैसे ही घटनास्थल पर पहुँचने की कोशिश कर रहे सुरक्षाकर्मियों को भी नक्सली अपना निशाना बनाते हैं। कई नक्सली घटना में ऐसी वारदातें निकल कर सामने आ चुकी है।
सोमवार सुबह जवानों को गश्त के लिए बुर्कापाल रवाना किया गया था। दल में लगभग एक सौ जवान थे। दल जब 12 बजे बुर्कापाल के करीब था तब नक्सलियों ने पुलिस दल पर गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद सुरक्षा बल के जवानों ने भी कार्रवाई की। दोनों ओर से लगभग तीन घंटे तक गोलीबारी हुई। 12 बजे से ही स्थानीय पत्रकारों ने कुछ जवानों को घायल होने की खबर ब्रेक कराई। ब्रेक के साथ ही राजधानी रायपुर से लेकर सुकमा तक सबकी निगाहें टीवी स्क्रीन पर टिक गई। कुछ देर बाद 11 जवानों के शहीद होने की खबर आई। जिसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पा रही थी। इसके पहले ही स्थानीय पत्रकारों ने अपने पुख्ता सूत्रों के जरिए खबर चालानी शुरू की। इन सबके बीच धीरे-धीरे जो तस्वीरें निकल कर सामने आई। उससे बस्तर ही नहीं पूरा देश दहल उठा। जान की परवाह किए बिना सुकमा के अमन भदौरिया घटना स्थल पर पहुँचने में सफल हो पाए। लिहाजा ग्राउंड जीरो से फायरिंग के खौफ के बीच ग्राउंड जीरो की रिपोर्टिंग की।
इधर रायपुर में जान गंवाने वाले 26 सीआरपीएफ जवानों को मंगलवार को रायपुर में श्रद्धांजलि दी गई। गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह इस मौके पर मौजूद थे। पीएम नरेन्द्र मोदी ने इस घटना पर शोक जताते हुए कहा कि शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने माना स्थित चौथीं बटालियन में शहीदों की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर, सीएम डॉ रमन सिंह सहित सीआरपीएफ के अधिकारियों ने भी पुष्प हार अर्पित किए। 25 शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दिए जाने के बाद पार्थिव देह को उनके गृहग्राम भेजा गया। घटना के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने इस हमले को चुनौती की तरह लिया है, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री ने नक्सल हमले पर कमांडेंट ऑफिस में एक उच्च स्तरीय बैठक की।
8 मई को दिल्ली में होगी बैठक
उच्च अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सलियों के हमले को कायरता पूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को ढाल बनाकर नक्सली विकास के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार इनके खिलाफ मिलकर कार्रवाई करेगी। गृहमंत्री ने कहा अब तक हमने जो कार्रवाई की है उससे बौखलाकर ही नक्सलियों ने यह हमला किया है। इसे हम चुनौती के रूप में ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन को रिव्यू करने के लिए दिल्ली में 8 मई को एक बैठक बुलाई गई है। वामपंथी उग्रवादी लगातार विकास कार्यों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि आदिवासियों और गरीबों का विकास हो, वे ही आदिवासियों के असली दुश्मन हैं। गृहमंत्री ने कहा जिन जवानों ने बलिदान दिया है उनके प्रति मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनका बलिदान हम किसी भी सूरत में व्यर्थ नहीं जाने देंगे। पत्रकारों द्वारा पूछ गए सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां लीडरशिप की कमी नहीं है, अगर रिव्यू के दौरान हमें ऐसा लगता है कि यहां और सीनियर अधिकारियों की जरूरत है तो उनकी पोस्टिंग भी की जाएगी।
उच्च अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सलियों के हमले को कायरता पूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को ढाल बनाकर नक्सली विकास के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार इनके खिलाफ मिलकर कार्रवाई करेगी। गृहमंत्री ने कहा अब तक हमने जो कार्रवाई की है उससे बौखलाकर ही नक्सलियों ने यह हमला किया है। इसे हम चुनौती के रूप में ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन को रिव्यू करने के लिए दिल्ली में 8 मई को एक बैठक बुलाई गई है। वामपंथी उग्रवादी लगातार विकास कार्यों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि आदिवासियों और गरीबों का विकास हो, वे ही आदिवासियों के असली दुश्मन हैं। गृहमंत्री ने कहा जिन जवानों ने बलिदान दिया है उनके प्रति मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनका बलिदान हम किसी भी सूरत में व्यर्थ नहीं जाने देंगे। पत्रकारों द्वारा पूछ गए सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां लीडरशिप की कमी नहीं है, अगर रिव्यू के दौरान हमें ऐसा लगता है कि यहां और सीनियर अधिकारियों की जरूरत है तो उनकी पोस्टिंग भी की जाएगी।
सुकमा की लड़ाई नक्सली आंदोलन के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई
सीएम डॉ रमन सिंह ने कहा कि सुकमा में चल रही लड़ाई नक्सली आंदोलन के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई है। उन्होंने कहा कि उस इलाके में लगातार विकास किया जाएगा ताकि नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन सफलता पूर्वक चल सके। क्षेत्र में सड़कों और स्कूलों के निर्माण से उनका किला ध्वस्त हो रहा है, जिससे वे बौखलाए हुए हैं।
सीएम डॉ रमन सिंह ने कहा कि सुकमा में चल रही लड़ाई नक्सली आंदोलन के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई है। उन्होंने कहा कि उस इलाके में लगातार विकास किया जाएगा ताकि नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन सफलता पूर्वक चल सके। क्षेत्र में सड़कों और स्कूलों के निर्माण से उनका किला ध्वस्त हो रहा है, जिससे वे बौखलाए हुए हैं।
शहीद हुए जवान : रघुवीर सिंह (पंजाब), केके दास (बंगाल), संजय कुमार (हिमाचल प्रदेश) रामेश्वर लाल (राजस्थान) नरेश कुमार (हरियाणा), सुरेंद्र कुमार (उत्तर प्रदेश), बन्ना राम (राजस्थान), केपी सिंह (उत्तर प्रदेश), नरेश यादव (बिहार) पद्मनाभन (तमिलनाडु), सौरभ कुमार (बिहार), अभय मिश्रा (बिहार), बनमल राम (छत्तीसगढ़), एनपी सोनकर (मध्य प्रदेश), राम मेहर (हरियाणा), अरूप कर्माकर (बंगाल), केके पांडेय (बिहार), बीसी बर्मन (बंगाल), पी अलगूपंडी (तमिलनाडु), अभय कुमार (बिहार), एन सेंथिल कुमार (तमिलनाडु), एन थिरुमुरगन (तमिलनाडु), रंजीत कुमार (बिहार), आशीष सिंह (झारखंड), मनोज कुमार (उत्तर प्रदेश)
यह हैं घायल जवान : आरसी हेम्बराम, महेंद्र सिंह, सौरभ कुमार, जितेंद्र कुमार, शेर मोहम्मद, लच्छू ओरांव और सोनवाने ईश्वर सुरेश।
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के घात लगाकर किए गए हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों को जान गंवानी पड़ी जबकि 7 जवान घायल हो गए। ये जवान सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के थे। घटना दोपहर 12 बजे की है जब जवानों की टीम रोड ओपनिंग के लिए निकली थी।सड़क निर्माण की सुरक्षा में लगे ये जवान खाना खाने की तैयारी कर रहे थे उसी दौरान घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी।
खास बात यह है कि 2010 में इसी जगह हुए नक्सली हमले में 76 जवानों की मौत हो गई थी। फिलहाल घटनास्थल पर सीआरपीएफ की कोबरा टीम तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। इस घटना के बाद दूसरे इलाक़ों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसी दौरान दंतेवाड़ा में भी सुरक्षा बलों ने IED को डिफ़्यूज कर दिया। नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के रास्ते में ये IED लगाई थी। सोमवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के करीब 100 जवान दुर्गापाल कैंप से रवाना हुए। चिंतागुफा पहुंचने के बाद ये जवान दो ग्रुपों में बंट गए। इनको सड़क निर्माण प्रोजेक्ट के लिए रास्ते की कांबिंग का काम सौंपा गया था। इस दौरान घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने स्थानीय गांववालों को लोकेशन का पता लगाने के लिए भेजा। एक बार पुख्ता लोकेशन चलने के बाद उन्होंने चिंतागुफा-बुर्कापाल-भेजी इलाके के पास घात लगाकर हमला किया। उससे पहले नक्सली छोटे-छोटे समूहों में बंट गए। छोटे दलों में विभाजित होने के बाद उन्होंने सोमवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे हमला किया। इसके तहत सबसे पहले एक आईईडी ब्लास्ट किया गया। उसके बाद नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट में ये बाते सामने आई है कि नक्सलियों ने हमले में AK-47 हथियारों का इस्तेमाल किया।
लेखक आरके गाँधी साधना न्यूज में बतौर स्टेट हेड नियुक्त हैं। संपर्क : gandhirajeevrohan@gmail.com
Sabhar- Bhadas4media.com