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अच्छा लगता है। . बदलती पत्रकारिता का चेहरा बिलकुल बदल रहा है

अच्छा लगता है। . बदलती पत्रकारिता का चेहरा बिलकुल बदल रहा है जब पत्रकारिता शुरू की थी तो वो टाइम कुछ अच्छा लगता था।  अब तो पत्रकारिता और पत्रकारों का पता ही नहीं चलता है कि  वो पत्रकार है भी और नहीं ।  किसी ने कहा ,समय के साथ बदल जाओ नहीं तो  निकल जाओ। . शायद ये लाइन सच है निकला जाये तो कहा जाये। . ये भी कठिन है कुछ और दिखाई दे।   खैर फिर भी  उस रफ़्तार में साथ दौड़ने की आदत डाल रहा हूँ।