मैं बहुत खुश हूं कि मैं इस फिल्म का हिस्सा बनी। आज भी दो अक्टूबर को लोग मुझे फोन या मेसेज करके पूछते हैं, 'याद है न? कल दो अक्टूबर है।' फिल्म में '2 अक्टूबरवाला डायलॉग' बहुत लोकप्रिय हुआ था और लोगों को आज भी याद है। मैं मानती हूं कि वह फिल्म मेरे लिए उपयुक्त लॉन्च नहीं थी, मगर मैं उस फिल्म से बहुत मशहूर हुई। मेरा काम बहुत पसंद किया गया। एक अभिनेत्री के रूप में मुझे पहचान मिली। सबसे बड़ी बात कि मुझे फिल्म में अजय देवगन और तब्बू जैसे बड़े कलाकारों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ। मुझे लगता है इस फिल्म में काम करने का मेरा फैसला सही था।
आप दक्षिण की फिल्मों में भी काम करती रही हैं, वहां काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा ?
मैंने दक्षिण में दो फिल्में की हैं। अपने करियर की शुरुआत मैंने वहीं से की। उसके बाद मैंने कुछ विज्ञापन फिल्मों में काम किया। आगे चलकर मुझे एक टीवी धारावाहिक 'एक घर बनाऊंगा' मिला। 'दृश्यम' उसके पश्चात मेरे हिस्से में आई, मगर ज्यादातर मैंने जो कुछ सीखा, वह टीवी इंडस्ट्री से सीखा।
आपको तनुश्री दत्ता (अभिनेत्री) की बहन होने का कितना फायदा मिला? कैसा रिश्ता है आप दोनों का?
उन्होंने मेरे लिए हर पल एक मार्गदर्शक का काम किया है। मुझे किसी भी तरह की दिक्कत या असुरक्षा होती है तो वे हमेशा मेरी मदद करती हैं। वह मुझे हर पहलू का सकारात्मक और नकारात्मक रुख बताती हैं और कहती हैं, 'अब निर्णय तुम्हें करना है।' उनका होना मेरे लिए बहुत ही बड़ा सहारा है। मेरे लिए सबसे बड़ी बात यह रही कि मेरे परिवार ने हमेशा मुझे सहयोग दिया है। तनुश्री के लिए मेरे दिल में बहुत सम्मान है। वह मेरे लिए दोस्त जैसी हैं, मगर मैं उनसे डरती भी बहुत हूं। वह मेरी जिंदगी की हर बात से वाकिफ हैं। अगर मैं कभी कुछ गलत करूं, तो मुझे उनका डर रहता है। उनका कहा हुआ, मेरे लिए बहुत मायने रखता है। वह मुझसे बड़ी हैं, मगर उनका कहना है, 'इशिता मेरी बॉस हैं।' मैं बचपन में बहुत शरारत किया करती थी और अक्सर जब वह मुझे डांटती, तो मैं उन्हें बाथरूम में बंद कर दिया करती थी। मैं लेफ्टी हूं और जब भी हमारा ज्यादा झगड़ा होता तो मैं उन्हें दोनों हाथों से पीटा करती थी। वे तो घबरा जाती थीं। (हंसती हैं)
तनुश्री अपने करियर में काफी बोल्ड अभिनेत्री मानी जाती रही हैं। फिल्मों में अंग प्रदर्शन को लेकर आपकी क्या रणनीति है?
आज दौर बदल चुका है। तनुश्री ने जब अपने करियर की शुरुआत की थी, तब बोल्डनेस की परिभाषा कुछ और थी। आज कुछ भी बोल्ड नहीं रहा है। आज सभी अभिनेत्रियां अपने रोल के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। अंग प्रदर्शन को लेकर लेकर मैंने अपने लिए कोई बंदिश नहीं रखी है। मैं किरदार के अनुसार काम करूंगी। अगर कोई दमदार बोल्ड भूमिका मिले तो मैं उसे करने से हिचकूंगी नहीं।
'फिरंगी' आपके हिस्से में कैसे आई ?
कास्टिंग डायरेक्टर के जरिए। जिन कास्टिंग डायरेक्टर ने मुझे 'दृश्यम' के लिए कास्ट किया था, उन्होंने ही 'फिरंगी' की भी कास्टिंग की है। स्क्रिप्ट तैयार होने के बाद उन्हें लगा कि मैं यह फिल्म कर पाऊंगी। वे चरित्र का प्रस्ताव लेकर मेरे पास आए और उन्होंने मुझे निर्देशक राजीव ढींगरा से मिलवाया। मेरा स्क्रीन टेस्ट हुआ। उन्हें भी मेरा काम पसंद आया। फिर कुछ इंतजार के बाद मुझे फोन आया और उन्होंने मुझे बताया कि मैं फिल्म के लिए चुन ली गई हूं।
'फिरंगी' की शूटिंग के दौरान ही कपिल शर्मा विवादों में आए। क्या सेट पर कभी आपने उन्हें डिप्रेशन या किसी तरह की उदासी से घिरा पाया?
जिस दौरान हम शूटिंग कर रहे थे, उस दौरान उनके बारे में तरह-तरह की खबरें आ रही थीं और मुझे पता चल रहा था, मगर उन्होंने सेट पर कभी किसी को महसूस नहीं होने दिया कि उन्हें किसी तरह का डिप्रेशन है। मुझे लगता है, हम कलाकार भी इंसान होते हैं और हमारी निजी जिंदगी में कुछ न कुछ उतार-चढ़ाव आते हैं, मगर कपिल इस मामले में काफी व्यावसायिक रहे। वह व्यक्तिगत जीवन की परेशानी को ढोकर कभी सेट पर नहीं लाए। हमने बहुत ही प्यार से शूटिंग पूरी की। मैं कपिल शर्मा की बहुत बड़ी फैन हूं और उनके साथ काम करने का अनुभव बहुत शानदार था। मैं उनका शो कभी मिस नहीं करती थी। हमेशा सोचती थी कि अपनी किसी फिल्म का प्रमोशन उनके शो पर करूंगी और देखिए किस्मत ने मुझे उनकी हिरोइन बना दिया।
अपने किरदार के बारे में बताइए?
इस फिल्म में मेरा नाम 'सरगी' है। यह बेहद शर्मीली लड़की है। इसमें एक अदा है। यह 1920 के जमाने की कहानी है और उसके हिसाब से किरदार भी उसी दौर का है। कोई लड़का अगर इसकी तरफ देख भी ले तो यह शर्म से पानी-पानी हो जाती है। मुझे फिल्म की कहानी बहुत प्यारी लगी। इस किरदार ने मुझे अपने स्कूल डेज की याद दिला दी, जब कोई लड़का स्कूल में मेरे प्रति अपनी दिलचस्पी दिखाता, तो एक अजीब-सी घबराहट हो जाती थी। तब दूर-दूर से देखा-देखीवाला हिसाब हुआ करता था।
आजकल सोशल मीडिया पर लोग बहुत हर तरह के मुद्दों पर खूब बातें करते हैं। चाहे वह यौन शोषण की बात हो या किसी और तरह के मसले की। क्या आपको कभी किसी तरह की छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ा है?
मैं इसे बहुत अच्छा मानती हूं, बस जरूरी यह है कि लोग इस प्लैटफॉर्म का गलत इस्तेमाल न करें। मुझे लगता है सामाजिक मुद्दों पर कलाकारों द्वारा सोशल मीडिया पर सामने आना आम लोगों को साहस देता है। मैं भी कॉलेज जाने के दौरान छेड़छाड़ का शिकार हुई हूं। मैं ट्रेन से कॉलेज जाया करती थी और एक बार किसी ने मुझे गलत तरीके से छू लिया था। वह एक अधेड़ उम्र का आदमी था, मगर बिना डरे मैं चुप नहीं बैठी। मैंने पूरी भीड़ के सामने उसकी ऐसी-तैसी कर दी। वह बहुत शर्मिंदा हुआ। आज सोचती हूं, तो अपनी हिम्मत पर गर्व होता है क्योंकि तब मैं बहुत छोटी थी। मुझे लगता है, हर लड़की को अपने साथ होने वाले हर अन्याय या शोषण के बारे में आवाज उठानी चाहिए। उसे किसी हाल में चुप नहीं बैठना चाहिए। एक बार किसी रेलवे ब्रिज पर भी मेरे साथ ऐसी हरकत हुई। एक लड़के ने मुझ पर हाथ मारा और मैंने उसका हाथ मरोड़ दिया। बॉलिवुड में मैं किसी ऐसे अनुभव से नहीं गुजरी। इस मामले में मेरी बहन तनुश्री ने मुझे बहुत गाइड किया। देखिए, अच्छे -बुरे लोग आपको हर जगह मिलेंगे। भगवान ने लड़कियों को छठी इंद्रीय दी हुई है। उन्हें पता चल जाता है कि सामने वाले के इरादे नेक नहीं है, तो ऐसी स्थिति में आपको अपना स्टैंड लेना चाहिए। कई बार झांसी की रानी न बनना भी ठीक रहता है।
Thanks..
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