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छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद सरकार ने बार-बार दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में अब पत्रकारों पर हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और ना ही उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज होंगे। बकायदा रुचिर गर्ग और विनोद वर्मा जैसे कद्दावर पत्रकार अब सलाहकार के पद पर बैठकर सरकार को सलाह देने में लगे हैं। लेकिन सरकार द्वारा पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया कराने के दावों की जमीनी हकीकत कुछ और है। हालात पहले जैसे ही हैं। पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ छत्तीसगढ़ में पत्रकार लगातार आंदोलित हैं।
कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पत्रकारों ने भाजपा कार्यालय और प्रेस क्लब के सामने लगातार अनवरत प्रदर्शन किया था। पत्रकार छत्तीसगढ़ में अपनी सुरक्षा को लेकर सरकार और जिम्मेदारों से सवाल करने में लगे हैं।
ताजा मामला छत्तीसगढ़ के जशपुर का है। जशपुर में लगातार पत्रकारों पर हमले और मानसिक प्रताड़ना के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे नाराज कर्मवीर अब आंदोलन की राह पर उतर आए हैं। पत्थलगांव के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र चेतवानी के ऊपर कुछ लोगों ने जमीन विवाद के चलते हमला किया। पुलिस ने हमलावरों पर कार्रवाई करना तो छोड़ सुरेंद्र चेतवानी खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। ऐसे में पुलिस के दोहरे रवैए के खिलाफ पत्रकार एकजुट हो गए हैं। इस पूरी घटना से सुरेंद्र चेतवानी और उनका परिवार दहशत में है।
दूसरे मामले में IBC24 के रिपोर्टर विकास पांडे के साथ जिला अस्पताल में मारपीट की गई। वहां शराब के नशे में धुत होकर नगर सैनिक ने लोगों को पत्रकार के खिलाफ भड़का दिया। इससे विकास पांडे के साथ मारपीट की गई।
इस पूरे मामले में जशपुर के सभी पत्रकार सड़क पर उतरे और एक सुर में पत्रकारों पर हो रहे हमले और झूठे मामले को खत्म करने को लेकर ज्ञापन सौंपा। पत्रकारों के आंदोलन को देखते हुए अधिकारियों ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। पर इन सबके बीच एक बार फिर छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
योगेश मिश्रा
छत्तीसगढ़
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Sabhar-- Bhadas4media.com