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आरोप तो भगवान पर भी लगते हैं



DEEPAK CHAURSIA, STAR NEWS EDITOR
दीपक चौरसिया, एडिटर, स्टार न्यूज़
टेलीविजन न्यूज़ इंडस्ट्री में दीपक चौरसिया एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नही। उनकी पहचान ऐसी कि गाँव-गाँव तक लोग उन्हें बाकायदा उनके नाम और चेहरे से जानते है और उनके प्रशंसक देशभर में हैं। ऐसे ही उनके एक प्रशंसक मुकेश कुमार का कहना है - "मैं आजतक सिर्फ़ दीपक जी के लिए ही देखता हूँ। ख़बरों को बातचीत की शैली में पेश करने की उनमे अदभूत क्षमता है। दर्शकों से सीधा संवाद कायम करने में उनको महारत हासिल है।"
टेलीविजन न्यूज़ इंडस्ट्री में कुछेक ही ऐसे नाम होंगे जिनकी राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी पहचान हो। मध्यप्रदेश के एक छोटे से गाँव से उठकर उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक ख़ास पहचान बनाई है. दीपक चौरसिया ने आजतक और डी.डी.न्यूज़ के साथ काम किया किया है और फिलहाल वे स्टार न्यूज़ में बतौर एडिटर (नेशनल न्यूज़) कार्यरत हैं.
मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के एक छोटे से गाँव शेन्दवा से ताल्लुक रखने वाले दीपक चौरसिया कभी इस मुकाम पर पहुंचेंगे,यह ख़ुद उन्होंने भी नही सोंचा था। वे ख़ुद कहते है - "राष्ट्रीय स्तर पर मुझे ऐसी पहचान मिलेगी ऐसा कभी सोंचा नही था। मैं जब टीवी मैं आया उस वक्त टेलीविजन न्यूज़ इंडस्ट्री अपने शुरूआती दौर में थी। हमलोग छोटे-छोटे शहरों से आए थे और इस नए माध्यम के बारे में हमारी जानकारी काफी कम थी। जबतक मैंने टीवी ज्वाइन नही किया तबतक मुझे यह नही पता था कि टीवी क्या होता है। हालांकि इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन से हमे बेसिक ट्रेनिंग तो मिली थी पर वह पर्याप्त नही थी। हमे यह तक पता नही था कि "पीस टू कैमरा" क्या होता है और कैसे किया जाता है। यह सब हमलोगों को नही पढाया गया था। लेकिन एक बार शुरुआत करने पर फिर पीछे मुड़कर कभी नही देखा।"
अपनी प्रारंभिक शिक्षा दीपक चौरसिया ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के ऐसे छोटे-छोटे स्कूल से की जहाँ बस तक नही जाती थी। फिर कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे इंदौर आ गए और होल्कर कॉलेज से अपनी बीएसी की डिग्री हासिल की। बाद में पत्रकार बनने की चाहत उन्हें दिल्ली खींच लायी जहाँ इंडियन  इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन से उन्होंने पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
हमेशा से पत्रकार बनने की चाहत रखने वाले दीपक को स्कूल - कॉलेज के दिनों से ही लिखने - पढने का शौक रहा है। होल्कर कॉलेज के उनके पुराने मित्र और उनके जूनियर मनिंदर दूबे कहते हैं - "कॉलेज में होने वाली किसी भी वाद-विवाद प्रतियोगिता , संगोष्ठी और सम्मेलन सब में दीपक जी सबसे आगे रहते थे और अक्सरहाँ इन प्रतियोगिताओं में अव्वल आते थे। उनके स्वभाव में फक्कड़पन और सहजता शुरू से है। है। सबसे बातें करना, मिलना-जुलना उनकी स्वभावगत विशेषता है।"
दीपक चौरसिया की पहचान मूलत एक राजनैतिक पत्रकार के रूप में हैं, पर शायद ही ऐसा कोई ऐसा विषय या बीट होगा जिसपर उनकी रिपोर्ट न आई हो। राजनीति से लेकर युद्ध, दंगे, प्राकृतिक आपदा हर तरह की पत्रकारिता उन्होंने सफलतापूर्वक की है और न जाने कितनी ही ब्रेकिंग न्यूज़ टेलीविजन न्यूज़ इंडस्ट्री को दी है। राजनीति में अपनी विशेष अभिरुचि के बारे में वे कहतें है –“शुरुआत से ही राजनीति में मेरी विशेष अभिरुचि थी। मैंने पहले से यह सोंच रखा था कि भले ही छोटे अख़बार से ही शुरुआत करूँगा लेकिन शुरुआत राजनीति से ही करूँगा।"
अबतक अपने द्वारा की गई तमाम रिपोर्टिंग में से इराक युद्ध की रिपोर्टिंग को वे सबसे मुश्किल मानते हैं और कहते है - " इराक युद्ध जब कवर किया था तब बड़ी कठनाईयां आयी थी। मैं और मेरा कैमरामैन यही हमारी टीम थी। नया देश था और आगे क्या होगा इसका कुछ पता नही था।"
तमाम सफलताओं के बावजूद उनपर कुछ आरोप भी लगते रहे हैं। अपने ऊपर लगने वाले इस आरोप पर कि उनका झुकाव एक खास राजनैतिक पार्टी के तरफ़ ज्यादा है दीपक कहते है कि "आरोप तो भगवान पर भी लगते हैं फिर इन्सान क्या चीज़ है। मैं अपना काम ईमानदारी से कर रहा हूँ और आगे भी करता रहूंगा।"
( यह लेख बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है. यह बातचीत मीडिया ख़बर के संपादक पुष्कर पुष्प ने की. 
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