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पूंजीवादी ताकतों ने मीडिया को पूरी तरह से भ्रमित कर रखा है

वाराणसी। वैश्वीकरण के दौर में पूंजीवादी ताकतों ने मीडिया को पूरी तरह से भ्रमित कर रखा है। उन्होंने मीडिया को आम जनता के बुनियादी हितों से भटका दिया है और आम आदमी के सामने भ्रामक सूचनाएं व जानकारियां परोसी जा रही हैं। ये विचार काशी पत्रकार संघ के तत्वावधान में हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर बुधवार को पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित ‘‘वैश्वीकरण के दौर में हिन्दी पत्रकारिता के सामने चुनौतियां’’ विषयक संगोष्ठी में उभर कर आये। 

मुख्य वक्ता साहित्यकार डॉ. मुक्ता ने कहा कि पहले हिन्दी को आगे बढ़ाना एक मिशन था। पहले भाषा को लेकर सतर्कता बरती जाती थी, लेकिन आज इसका अभाव है। इसी लिए आज उत्तर आधुनिकता काल में हम अनिश्चितता के दौर में खड़े हैं। पूंजी का प्रवेश उस क्षेत्र में भी हो गया है, जहां उसकी जरूरत नहीं है। वैश्वीकरण के दौर में मस्तिष्क को पंगु बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बुद्धिजीवी यथास्थितिवाद को बनाये रखने से परहेज करें। काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष संजय अस्थाना ने कहा कि हर कालखण्ड में मूल्य बदलते हैं। मीडिया को तकनीकी ज्ञान के दौर में सकारात्मक रहना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि छोटी से छोटी जरूरतों पर नीतिगत बहस होनी चाहिए। पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने कहा कि पूंजीवादी ताकतें एक खास तरह का समाज बनाने की कोशिशें कर रही हैं और सब उसके शिकार हो रहे हैं। कलम चलाने के साथ साथ पत्रकारों को लड़ना भी होगा, ताकि प्राकृतिक संपदा की लूट रोकी जा सकें।

प्रो. गिरीश चन्द्र चौधरी ने सुझाव दिया कि वैज्ञानिक समाचारों को प्रमुखता मिलनी चाहिए, ताकि तकनीकी व विज्ञान की क्रांति को जमीन मिल सके। डॉ. जीतेन्द्र नाथ मिश्र ने कहा कि जो अपने समय को चित्रित नहीं कर सकता, वह न तो साहित्यकार हो सकता है और न ही पत्रकार। डॉ. दीनानाथ सिंह ने कहा कि पत्रकारिता बोलती हुई और सुनाई पड़ती हुई लगनी चाहिए। पत्रकार सजग रहेंगे तभी बदलाव आएगा। डॉ. रामअवतार पाण्डेय ने कहा कि पत्रकारिता लोकहित चिन्तन का पर्याय है। आरम्भ में काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष योगेश कुमार गुप्त ने आगतों का स्वागत किया। संचालन वाराणसी प्रेस क्लब के अध्यक्ष डॉ. अत्रि भारद्वाज और धन्यवाद ज्ञापन संघ के महामंत्री कृष्णदेव नारायण राय ने किया। इस अवसर पर सर्वश्री जगत शर्मा, वंशीधर राजू, अमरनाथ शर्मा, डॉ. रोहित गुप्त, डॉ. पीसी शर्मा, रमेशचन्द्र गुप्त, डॉ. अजय चतुर्वेदी, कपिलमुनि पंकज, विमलेश चतुर्वेदी, मोहम्मद सलीम सुहरवर्दी, ओमप्रकाश सिनहा, गौरव साह, दानिश, प्रतीक्षा दुबे, सुशील अग्रवाल, ईशान त्रिपाठी आदि ने भी विचार रखें।
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