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तीन तस्वीरों से खुली सीबीआई की पोल : आईबीएन7 और शलभ मणि को बधाई


आईबीएन7 पर पिछले कुछ दिनों से एक बड़ी खबर प्रसारित हो रही है. इस खबर के जरिए फिर साबित हो गया है कि सीबीआई बड़े आकाओं के इशारे पर काम करती है और उनके निर्देश के अनुसार ही अपनी रिपोर्ट तैयार करती है. आईबीएन पर प्रसारित रिपोर्ट को इसके लखनऊ ब्यूरो चीफ शलभ मणि त्रिपाठी ने तैयार किया. सचान की मौत के बाद आईबीएन7 की टीम ने मौके पर जाकर कई तस्वीरें ली थी. उन्हीं तस्वीरों के जरिए आईबीएन टीम ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट कर सवाल खड़ा कर दिया है.
लखनऊ जेल में हुई डा वाईएस सचान की मौत पर सीबीआई ने भले ही क्लोजर रिपोर्ट लगी दी हो पर आईबीएन7 का कहना है कि सीबीआई की जांच सवालों के घेरे में है. सचान की मौत के बाद पहली बार सामने आई कुछ तस्वीरों से साफ है कि सीबीआई की दलीलों और मेडिकल साइंस के तर्कों में जमीन आसमान का फर्क है. तभी तो मेडिकल साइंस के एक्सपर्ट और सचान के परिवार वाले ये मानने को तैयार नहीं कि डा सचान ने खुदकुशी की.  वहीं सीबीआई इस दावे पर कायम है कि सचान ने खुदकुशी ही की.

नीचे वो तस्वीरें हैं जिन्हें आईबीएन की टीम ने मौके से जाकर क्लिक किया. ये वो तस्वीरें हैं जो जेल के टायलेट में सचान की लाश मिलने के तुरंत बाद खीची गयीं.  आईबीएन7 के हाथ लगी इन तस्वीरों में सचान की मौत से जुड़े कई ऐसे सवाल खड़े कर दिए हैं जिनका जवाब सीबीआई के पास भी नहीं. ये तीन तस्वीरें खड़ी कर रही हैं सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल.
पहली तस्वीर में सचान की लाश जमीन पर पड़ी नजर आ रही है, गले में बेल्ट कसी हुई है लेकिन सचान का मुंह पूरी तरह बंद है. आमतौर पर जैसा की सीबीआई दावा कर रही है कि सचान ने फांसी लगा कर जान दी, तब उनकी जुबान बाहर आ जानी चाहिए थी. पर ऐसा नहीं हुआ. इस तस्वीर में सचान कमीज और अंडरवियर पहने हुए नजर आ रहे हैं. ये समझना बेहद मुश्किल हैं कि कमीज और अंडरवियर पहने-पहने एक हाफ ब्लेड से कोई खुद को नौ नौ चोटें कैसे पहुंचा सकता है. वो भी तब जबकि कमीज और अंडरवियर पर कटे का कोई निशान तक नहीं दिख रहा. इन अनसुलझे सवालों के चलते ही सचान का परिवार आज भी ये मानने को तैयार नहीं कि ये खुदकुशी का मामला है.
दूसरी तस्वीर में सचान के गले में कसी हुई बेल्ट साफ नजर आ रही है. बेल्ट की लंबाई और उसकी हालत देखकर ये यकीन करना नामुमकिन है कि कोई शख्स कमोड सीट पर बैठकर अपने गले में बेल्ट का फंदा लगाएगा और फिर उसका सिरा बिल्कुल पीछे लगी खिड़की में बांधकर लटक जाएगा.
तीसरी तस्वीर में पूरे टायलेट में खून पसरा हुआ नजर आ रहा है. पर ना तो इस फर्श पर सचान के पांवों के निशान दिख रहे हैं ना ही सचान के पावों में खून. सचान के गले पर लगी नौवीं और सबसे गहरी चोट का सीबीआई के पास कोई माकूल जवाब नहीं. ये चोट सचान की मौत के बाद पहुंची है. सीबीआई का तर्क है कि ये चोट लाश के रगड़ खाने से आई है पर ये चोट ही सीबीआई की रिपोर्ट पर सबसे ज्यादा सवाल खड़े कर रही है.

वाईके सचान के भाई आरके सचान का साफ साफ कहना है कि ये खुदकुशी नहीं है, हत्या की गयी है. एनआरएचएम केस के याचिकाकर्ता प्रिंस लेनिन का कहना है कि पूरे मामले की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए जाने की जरूरत है.  सीबीआई ने सचान की मौत के लिए जवाबदेह आईएएस और आईपीएस अफसरों पर नरमी दिखाई है. अब सीबीआई खुद कटघरे में है. शक की गुंजाइश तब और भी बढ जाती है जबकि एनआरएचएम घोटाले की जांच भी सीबीआई कर रही है और ऐसे में सचान इस मामले के एक बेहद अहम सबूत साबित हो सकते थे.

डा. सचान की मौत के मामले में न्यायिक जांच की रिपोर्ट में कहा गया है कि सचान का कत्ल किया गया है लेकिन सीबीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि सचान ने खुदकुशी की. सचान की मौत जेल के बाथरूम में हुई थी. पहले इस घटना की न्यायिक जांच हुई जिसमें पाया गया कि सचान का कत्ल हुआ. लेकिन सीबीआई इसे मानने को तैयार नहीं. सीजेएम रिपोर्ट कहती है कि कोई व्यक्ति कमोड पर बैठकर अपने हाथ गर्दन और जांघ में चोट नहीं पहुंचा सकता जबकि सीबीआई ने एम्स के डाक्टरों की राय के आधार पर दावा किया कि डा सचान ने पहले घाव किए और खून धीरे बह रहा था. उन्हें लगा कि वो जल्द दम नहीं तोड़ेंगे जिस पर वो कमोड पर बैठ गए. उन्होंने बेल्ट से फंदा लगा लिया. सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक कोई व्यक्ति खुदकुशी के लिये दो तरीके क्यों अख्तियार करेगा. सीबीआई के मुताबिक डा सचान ने पहले तो खुद को काटा लेकिन बाद में उन्होंने फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली. सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक अगर दो तरीके होते तो कोई फांसी लगाना ही क्यों नहीं चुनेगा ..... सीबीआई के मुताबिक सचान की मानसिक स्थिति ऐसी ही थी कि वो दर्द के चलते अपने शरीर की महत्वपूर्ण नसें नहीं काट पाए और उन्हे लगा कि वो घावों के चलते जल्दी नहीं मरेंगे, लिहाजा तकलीफ के चलते उन्होंने फांसा लगा ली.

सीजेएम की रिपोर्ट के मुताबिक बाथरूम की दीवार पर खून के धब्बे जमीन से साढे तीन फीट ऊपर कैसे मिले.. सीबीआई का मानना है कि सचान बाथरूम में खड़े थे और बार बार पानी की बोतल से पानी पी रहे थे इसलिए दीवार पर खून के धब्बे मिले.. सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक अगर सचान ने कमोड पर बैठकर घाव बनाए तो वाश बेसिन में खून के धब्बे कैसे मिले ... सीबीआई ने कहा कि सचान ने खडे होकर चोट पहुंचाई... सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक खून से सना ब्लेड मिलना संदिग्ध था, सीबीआई का दावा कि ब्लेड पर लगा खून डा सचान के डीएनए से मिलता जुलता था ... ब्ले़ड पर लगा खून सूख चुका था .... सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक अगर ब्लेड का इस्तेमाल सचान ने खुद को चोट पहुंचाने के लिए किया तो ब्लेंट के दोनों तरफ खून होना चाहिए था .. सीबीआई के मुताबिक ब्लेड खासा चिकना था लिहाजा खून निचली तरफ नहीं लग सका... सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक घाव एक सेमी से ज्यादा गहरे थे इससे साफ है कि किसी धारदार हथियार से घाव किए गए, ब्लेड से नहीं.... सीबीआई ने पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों के पैनल पर ही सवाल खड़े कर दिए। सीबीआई के मुताबिक घाव ज्यादा गहरे नहीं थे और डाक्टरों ने इसकी गहराई से पड़ताल नहीं की ......

सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक पोस्टमार्टम करने वाली डाक्टर मौसमी सिंह ने कहा कि घाव ब्लेड से नहीं किए जा सकते, इसके लिये धारदार हथियार का इस्तेमार हुआ.  सीबीआई के मुताबिक एम्स के डाक्टरों ने पाया कि चोट सतही थी. सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक डाक्टर सचान अवसाद से ग्रसित नहीं थे, फिर वो ऐसा क्यों करेंगे. सीबीआई का दावा है कि सचान परेशान थे और उन्होंने खाना भी नहीं खाया था. सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक डा सचान सीधे हाथ से काम करते थे. फिर उन्होंने खुद ही सीधे हाथ पर चोट कैसे पहुंचाई, सीबीआई ने एम्स के डाक्टरों की राय से दावा किया कि सचान ने सारी चोटें खुद पहुंचाईं. सीजेएम रिपोर्ट के मुताबिक सचान के गले में फंदा किसी और लगाया. सीबीआई ने दावा किया कि बेल्ट पर डा सचान के दो बाल पाए गए जो साबित करता है कि बेल्ट से फंदा उन्होंने खुद लगाया. सीबीआई के दावे के उलट यूपी के मेडिको लीगर विभाग के एक्सपर्ट पहले ही पुख्ता तौर पर ये कह चुके हैं कि सचान की मौत हत्या है.
Sabhar- Bhadas4media.com