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कुर्सी विधान सभा में तथाकथित मिनी मुख्यमंत्री का दबदबा - प्रशासन नतमस्तक



अरविन्द विद्रोही 

प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अति करीबी एक यादव युवा सपा नेता राजेश यादव उर्फ़ राजू की दबंगई से पीड़ित बाराबंकी के कुर्सी विधानसभा के समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता किशन यादव के परिवार ने नहीं मनाई इस बार दीपावली । न्याय के लिए सपा नेताओं के घर के लगा रहे हैं प्रतिदिन चक्कर , वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव को भी सौंपा था अपना दुःख भरा प्रार्थना पत्र । बाराबंकी जिला अध्यक्ष मौलाना मेराज ,अरविन्द यादव (पूर्व विधान परिषद् सदस्य ),सुरेश यादव -विधायक सदर ,फरीद महफूज़ किदवई -विधायक कुर्सी व राज्य मंत्री ,अरविन्द सिंह गोप -राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार से भी अपना दुखड़ा रो चुके हैं किशन यादव । बीते कल सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव दिन भर लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय पर बैठे रहे और तमाम लोगों से मुलाकात करी । विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार बाराबंकी के ग्राम निगोहां विधान सभा कुर्सी निवासी पीड़ित किशन यादव ने सपा मुखिया को भी अपने ऊपर ढाये गए अत्याचार-नाइंसाफी के दस्तावेज सौंपे । 
सवाल यह उठता है कि आखिर किशन यादव की शिकायत क्या है ? और जिस सपा नेता राजेश यादव उर्फ़ राजू पर तमाम गम्भीर आरोप किशन यादव ने अपने शिकायती पत्र में लगाये हैं उनकी सच्चाई क्या है ? राजनैतिक तौर पर क्या वास्तव में राजेश यादव उर्फ़ राजू की हैसियत बाराबंकी जनपद के सपा जिला अध्यक्ष मौलाना मेराज ,इलाकाई विधायक फरीद महफूज किदवई (राज्यमंत्री ),अरविन्द सिंह गोप (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार ) आदि से अधिक है ? क्या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बगलगीर होने ,उनके खासम -खास होने का दावा करने वाले राजेश यादव उर्फ़ राजू को मा न्यायालय के आदेश के अवहेलना और स्थानीय प्रशासन को अर्दब में लेने का कोई विशेषाधिकार मुख्यमंत्री की तरफ से निर्गत किया गया है ? तमाम अनुत्तरित सवाल कौंधते हैं जब कोई भी सत्ता का चहेता किसी आम जन के हक़ का लुटेरा बनकर सत्ता मद में चूर होकर अपना ताण्डव करता है । राजेश यादव उर्फ़ राजू के आधा दर्जन स्थानीय सहयोगियों ने वर्षों से आम ग्रामीण जनता के भीतर राजू और अखिलेश यादव की नजदीकियों के किस्से-कहानियाँ सुनाकर ,तमाम राजनैतिक कार्यक्रमों के अवसर पर खींची गई तस्वीरों को दिखाकर यह पुख्ता कर दिया था कि राजू की हर बात अखिलेश यादव मानेंगे । विगत विधानसभा चुनाव २०१२ में चंद घंटों के लिए बाराबंकी सदर से सपा का प्रत्याशी भी राजू यादव को बनाया गया ,बाराबंकी के सपाइयों ने उसी दिन जाना कि राजेश यादव उर्फ़ राजू नामक कोई शख्स है जो अखिलेश यादव का अति करीबी और प्रिय पात्र है । टिकट कटने के पश्चात् राजू यादव को समाजवादी युवजन सभा के बाराबंकी जनपद अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार जनपद की मासिक बैठकों में अधिकतर गायब रहने वाले राजेश यादव उर्फ़ राजू सभी से यही बताते हैं कि मैं भैया जी के साथ था ,भाभी के साथ था ,चाचा ने बुलाया है या धर्मेन्द्र भैया के साथ हूँ । आलाकमान से नजदीकियों का प्रमाण वो एक दिन का विधानसभा टिकट इस कदर बाराबंकी के सभी सपा नेताओं के मष्तिष्क पर हावी है कि कोई भी नेता/मंत्री इससे सवाल-जवाब नहीं करता है । यह है मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अति करीबी उनकी तथाकथित कोर कमेटी के सदस्य राजेश यादव उर्फ़ राजू के राजनैतिक ताकत का सच । 
अब आते हैं किशन यादव के शिकायती पत्र के मजमून पर -- जिसमे साफ तौर पर लिखा है कि राजेश यादव उर्फ राजू ग्राम बौहय्या पोस्ट-थाना कुर्सी विधानसभा कुर्सी, जो कि खुद को मिनी मुख्यमंत्री कहते हैं कि  प्रताड़ना से मजबूर होकर किशन यादव शिकायत कर रहे हैं । अपने पत्र में अपनी भूमि के मसले के अलावा कई घटनाओं का जिक्र किया है जिसमे राजेश यादव उर्फ़ राजू ने अपनी सत्ता के गलियारों में पकड़ के बूते इलाके में अपनी हनक दिखायी है । छेड़खानी ,मारपीट ,भूमि कब्ज़ा करने के प्रकरण में राजेश यादव उर्फ़ राजू की सीधी संलिप्तता होने की बात लिखित तौर पर निगोहां निवासी किशन यादव ने की है । किशन यादव के अनुसार १७ अक्टूबर को सुबह ७ बजकर ४० मिनट पर राजेश यादव उर्फ़ राजू ने फ़ोन पर धमकी दी और कहा कि मैं मुख्यमंत्री के साथ हूँ इस समय ,शाम को आने पर तुमको सबक सिखाऊंगा ,तब से अपना गाँव-घर छोड़कर मैं इधर-उधर रह रहा हूँ । किशन यादव की जिस भूमि पर राजेश यादव उर्फ़ राजू के रिश्तेदार राजू की सरपरस्ती में जबरन निर्माण कार्य करवा रहे हैं उस भूमि पर स्थगनादेश भी है लेकिन सत्ता की हनक-धमक के चलते पुलिस प्रशासन भी खामोश है । राजेश यादव उर्फ़ राजू की दबंगई व आतंक के शिकार किशन यादव ने जिला अधिकारी बाराबंकी ,पुलिस अधीक्षक बाराबंकी ,आयुक्त फैज़ाबाद मंडल ,मुख्यमंत्री -प्रदेश को अपना शिकायती पत्र पूर्व में ही प्रेषित कर दिया है जिसमे न्याय की अपील के साथ साथ न्याय ना मिलने की दशा में ११ नवम्बर से आमरण अनशन करने की बात भी लिखी है । मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपनी राजनैतिक छवि की बेहतरी के लिए इस प्रकरण को संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करते हुए ऐसे नाम ख़राब करने वाले लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में तनिक भी देर या संकोच नहीं करना चाहिए । देखते हैं कि क्या किशन यादव की दास्तान की कोई सुनवाई समाजवादी पार्टी या सरकार के जिम्मेदार करते हैं अथवा आमरण अनशन या मा न्यायालय ही कोई राहत देगा किशन को । आखिर क्या मा न्यायालय के आदेश के अनुपालन ना करवाने वाले प्रशासनिक अधिकारीयों का कोई दोष नहीं है ?