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दौड़ दिल्ली की

दौड़ दिल्ली की

Page 1 JPGआजमगढ़ की जबरदस्त रैली और दिल्ली में सत्रह दलों के साथ मंच साझा करने के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की उम्मीदें बढ़ गयी हैं। दिल्ली दरबार में ताजपोशी के लिए सपा मुखिया और उनके पुत्र ने कमर कस ली है। मुलायम सिंह ने साफ संदेश दे दिया है कि अभी नहीं तो कभी नहीं। समाजवादी पार्टी बदले हुए माहौल में न सिरे से रणनीति बना रही है और हर हालत में प्रदेश में चालीस से अधिक सीटें जीतने की व्यूह रचना पर काम कर रही है। आजमगढ़ मुस्लिमों और पिछड़ों का बड़ा क्षेत्र माना जाता है। पिछले काफी समय से आजमगढ़ विभिन्न बातों को लेकर चर्चा में रहा है। यहां के नौजवानों को गलत तरीके से आतंकी घटनाओं में फंसाये जाने को लेकर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह से लेकर बाकी तमाम दलों के नेता आजमगढ़ में अपनी राजनैतिक गोटियां बिछा चुके हैं। कानपुर में नरेन्द्र मोदी की भारी भीड़ वाली रैली के बाद समाजवादी पार्टी ने भी आजमगढ़ में भारी भीड़ जुटाने का फैसला किया। सरकार के वरिष्ठï मंत्री और पार्टी के पदाधिकारियों ने इस रैली के लिए काफी मेहनत भी की। इसका नतीजा सामने आया और आजमगढ़ में भारी भीड़ जुटी। इस भीड़ से गदगद सपा मुखिया ने कहा कि लोग दिलों को तोडऩे की बात करते हैं जबकि समाजवादी पार्टी लोगों को जोडऩे की बात करती है। 
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सपा मुखिया ने उन्हें सरकार बनाने का मौका दिया है तो रिर्टन गिफ्ट में उन्हें दिल्ली में मौका देने की जिम्मेदारी हम सबकी है। इस इलाके में भारी भीड़ जुटाकर समाजवादी पार्टी ने यह संदेश देने की भी कोशिश की कि अभी भी मुस्लिम और पिछड़ी जातियां उनके पक्ष में हैं। रैली से पहले सपा ने सत्रह पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने का अपना महत्वाकांक्षी दांव भी चला। पिछड़ी जातियों के इस दांव से सपा को इसका फायदा हुआ भी। काबीना मंत्री का दर्जा पाये तपेन्द्र प्रसाद ने कहा कि समाजवादी पार्टी के अलावा ऐसा कोई भी दल नहीं है जो पिछड़ी जातियों के उत्थान की बात करता हो।
रैली के तत्काल बाद दिल्ली में वामदलों द्वारा बुलाये गये सम्मेलन में सत्रह दलों के साथ समाजवादी पार्टी की सक्रिय भागीदारी ने सपा कार्यकर्ताओं के भीतर उत्साह का भी संचार कर दिया है। सपा को लगता है कि पिछड़ी जातियां अगर उसके पक्ष में मजबूत स्थिति में आ गयी तो वह लोकसभा चुनावों में अपने सपने को पूरा कर सकती हैं।
समाजवादी पार्टी के लिए मुस्लिम अभी थोड़ी परेशानी का सबब बने हुए हैं। कांग्रेस प्रदेश में मुस्लिमों को लुभाने की नित नयी रणनीति पर काम कर रही है। प्रदेश में हुए दंगे और उसमें बड़ी संख्या में मुस्लिमों की मौत ने सपा की परेशानियां बढ़ा दी हैं। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव मुस्लिमों को लुभाने की कला में माहिर हैं। वह जानते हैं कि मुस्लिमों का साथ उनके लिए कितना जरूरी है। लिहाजा वह नाराज मुसलमानों को अपने साथ जोडऩे की रणनीति बनाने में भी जुट गये हैं।
दिल्ली के सम्मेलन में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सभी प्रमुख क्षेत्रीय दलों के सामने यह सिद्घ किया कि सांप्रदायिकता से निपटने की रणनीति वही बना रहे हैं और प्रदेश में उसका मुकाबला भी सपा ही कर रही है।
जाहिर है समाजवादी पार्टी जानती है कि अगर इस बार दिल्ली में वह बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पायी तो उसके लिए परेशानियां बढ़ सकती हैं। प्रदेश में सरकार चलाने के लिए दिल्ली से रिश्ते बेहद जरूरी हैं और यह तभी हो सकता है जब समाजवादी पार्टी कम से कम चालीस सीटों पर विजय हासिल करे। बिजनेस स्टैंडर्ड के ब्यूरो चीफ सिद्घार्थ कलहंस का मानना है कि बिना मुस्लिमों को साथ लाये यह संभव नहीं है। आईबीएन-7 के ब्यूरो चीफ शलभ मणि त्रिपाठी का भी मानना है कि मौजूदा दौर में मुस्लिमों में नाराजगी है। अगर यह नाराजगी दूर नहीं हुई तो समाजवादी पार्टी के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं रहेंगी। स्वाभाविक है यह दौर समाजवादी पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और यही दौर उसके भविष्य में निर्णायक सिद्घ होने वाला है।
Sabhar- weekandtimes.com