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हिन्दी कवि सम्मेलनों के हास्यकवियों की मानधन सूचि





## अ. भा. हिन्दी कवि सम्मेलनों के हास्यकवियों की मानधन सूचि ##

सुरेन्द्र शर्मा - दिल्ली 1,00,000+ एयर टिकट व शाकाहारी भोजन 

* काका हाथरसी के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय, भारत के वैश्विक हास्यकवि जिन्हें लोग सुन कर तो एन्जॉय करते ही हैं देख कर भी मज़े लेते हैं. चुटकियां और त्वरित टिप्पणियां सुनाते हुए हँसाते हँसाते अचानक चाण्डालनी सुना कर डरा भी देते हैं - आयोजक के लिए पूर्णतः पैसा वसूल कलाकार, कभी कभी अपने किसी प्रिय कवि या कवयित्री का नाम भी रिकमण्ड करते हैं जिसे बुलाना अनिवार्य होता है - अन्यथा आप भी नहीं आते - आपकी कवितायें परिवार और समाज को जोड़ने का काम करती हैं
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माणिक वर्मा - भोपाल 40,000+ ट्रेन का टिकट

* देश के सबसे बड़े व्यंग्यकवि - इनकी प्रस्तुति कवि सम्मेलन में तालियों का तूफ़ान खड़ा कर देती है - अत्यन्त सरल और मौलिक व्यक्ति हैं - अगर केवल कविता को ही मापदण्ड मान कर मानधन दिया जाता तो ये देश के सबसे महंगे कवि होते
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अरुण जैमिनी - दिल्ली 40,000+ एयर टिकट

* सरल, सौम्य, सुदर्शन और आकर्षक व्यक्तित्व - मंच जमाऊ - हरियाणवी में चुटकुले और हिन्दी में कवितायेँ सुनाते हैं, तारीफ़ और मार्केटिंग सिर्फ़ दिल्ली के कवियों की करते हैं परन्तु निन्दा सबकी सुनते हैं और पूरे मनोयोग से सुनते हैं - गज़ब का हास्यबोध और वाकपटुता इनकी अतिरिक्त योग्यता है
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प्रदीप चौबे - ग्वालियर 40,000+ वांछित पेय पदार्थ

* एक ज़माना ऐसा भी था जब इनका हर वाक्य ठहाकों की गूंज पैदा करता था - आज भले ही वोह बात न हो, लेकिन दम ख़म आज भी पूरा है - प्रतिभा इत्ती ज़बरदस्त है कि सड़े से सड़े लतीफे पर भी लोगों को तालियां बजाने पर बाध्य कर दे - इनसे कुछ नया सुनाने का आग्रह नहीं करना चाहिए - इन्हें अच्छा नहीं लगता

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प्रताप फ़ौजदार - दिल्ली 80,000+ एयर टिकट

* लाफ्टर चैम्पियन, युवा लेकिन परिपक्व कलमकार, मंच पर मज़मा जमाने और तालियां बजवाने में कुशल, मौलिक रचनाकार जो पहले अपने ख़ास अंदाज़ में हँसाता है फिर कविता पर आता है और जब कविता पर आता है तो छा जाता है - पैसा कमाने के अलावा कोई व्यसन नहीं
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पं विश्वेवर शर्मा - मुम्बई 35,000+ ट्रेन टिकट व भांग का गोला

* एक ज़माने से सर्वाधिक चर्चित पैरोडीकार, गीतकार, मॊलिक और धुंआधार जमाऊ कवि - ख़ास बात यह है कि अब मदिरापान भी नहीं करते - पैसा वसूल आयटम - अनेक फ़िल्मों के गीतकार - आजकल उम्र का तकाज़ा है इसलिए एक साथी को साथ ले कर आते हैं - हिंदी कवि सम्मेलन में इनसे अधिक कोई हँसाने वाला नहीं
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शैलेश लोढ़ा - मुंबई 3,00,000+ बिजनेस क्लास एयर टिकट

*हल्की फुल्की कविताओं और इधर-उधर के ढेरों चुटकुले व शे'र सुना कर अपने विशिष्ट अन्दाज़ में लोगों को एन्टरटेन करने वाले टी वी कलाकार - हाज़िर जवाबी और वाकपटुता में लामिसाल - स्वभाव से पक्के मारवाड़ी बिजनेसमेन, परन्तु मैं ही मैं हूँ, मैं ही मैं हूँ ऐसा सोचने के अलावा और कोई व्यसन नहीं

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सम्पत सरल -जयपुर 25,000+ टिकट ( मिल जाए तो ठीक )

* चुटकुले पर चुटकुले सुनाते हैं परन्तु चुटकुले कह कर नहीं, निबन्ध कह कर - इस दौर के सर्वाधिक आत्ममुग्ध व्यंग्यकार जिन्हें भरोसा है कि जो काम व्यंग्य में परसाई जी और शरद जोशी जी से छूट गया था उसे ये पूरा कर लेंगे - कभी कभी जम भी जाते हैं, न भी जमें तो इन्हें फर्क नहीं पड़ता - क्योंकि राजस्थानी भाषा के नाम पर इनका काम चलता रहता है - कोई खास व्यसन नहीं
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सञ्जय झाला - जयपुर 40,000+ टिकट ( मिल जाए तो ठीक )

* अपनी तरह के अलबेले कवि + कलाकार - वाणी और प्रस्तुतिकरण में ज़बरदस्त तालमेल - ज़्यादातर अपना ही माल सुनाते हैं - कोई व्यसन नहीं सिवाय अध्ययन के - शानदार और युवा कलमकार
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अलबेला खत्री - सूरत 35,000+ हवाई टिकट ( कोई दे दे तो )

* हास्यकवि, चुट्कुलेबाज़, पैरोडीकार और ओजस्वी गीतकार - मंच जमाऊ कलाकार - वैसे इन्हें भ्रम है कि मैं देश का सर्वश्रेष्ठ पैरोडीकार हूँ - पूर्णतः मौलिक रचनाकार - कोई नखरा नहीं - चाय और धूम्रपान का व्यसन है
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डॉ सुरेश अवस्थी - कानपुर 40,000+ ट्रेन टिकट

* पूर्णतः पैसा वसूल वरिष्ठ हास्य-व्यंग्यकार, शिष्ट और शालीन कविताओं के माध्यम से दर्शकों पर जादू कर देते हैं - आपकी कवितायें परिवार और समाज को जोड़ने का काम करती हैं , देश की विसंगतियों पर करारा प्रहार करते हैं - व्यसन का पक्का पता नहीं -
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सुनील जोगी - दिल्ली 40,000+ एयर टिकट

* गत अनेक वर्षों से लगातार मंचों पर सक्रिय, चुटकुले और छन्दों के अलावा हास्यगीत भी सुनाते हैं - कभी खूब जम जाते हैं, कभी ठीक ठाक काम कर लेते हैं - कुछ बातें या तो ये दूसरों की सुनाते हैं या दूसरे इनकी सुनाते हैं, यह अभी सुनिश्चित नहीं है लेकिन मंच पर अपना काम बखूबी कर लेते हैं
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सुरेन्द्र यादवेन्द्र - बाराँ 25,000+ रेल टिकट

* मंच जमाने में पूर्ण कुशल ज़बरदस्त हास्यकवि, चुटकुलों को चार चार पंक्तियों में बाँध कर उन्हें मौलिक कविताओं के भाव बेचने में माहिर - मंच को इन्होंने अनेक कवयित्रियाँ तैयार करके दी हैं - स्वभाव से सरल और मनमौजी आदमी हैं - एक बार हाँ करदे तो पहुँचते ज़रूर हैं - वैसे तो ऑपनिंग पोएट के रूप में अधिक फिट हैं लेकिन कवयित्री के बाद पढ़ने की लत लग गयी है - यही एक व्यसन है
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