रवीश कुमार जितने शानदार रिपोर्टर थे उतने ही बेकार प्राइम टाइम एंकर हैं। रिपोर्टिंग का जितना बेहतर सलीका रवीश को आता है उतने ही खराब ढंग से वो शाम की बहस में अपनी एंकरिंग को अंजाम देते हैं। कहावत है कि मछली कितनी भी योग्य हो उसे पेड़ पर चढ़ना नही सिखाया जा सकता है। ऐसा करने वाला मूरख होता है। रवीश से एंकरिंग कराने वाला चैनल ही दरअसल मूरख है.