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तुम बहुत तेज हो भाई ?

आलोक तोमर नहीं रहे यह कभी महसूस नहीं होता है निडर होकर लिखने वाले आलोक तोमर ने पत्रकारिता में अपना इतिहास रचा  है | जिसे सदियों तक नहीं भुलाया जा सकता है | उस दिन अनिल सिंह से फेसबुक पर बात हो रही थी मैंने कहा मीडिया में दो लोगो को अपना गुरु मानता हु तरुण तेजपाल और यशवंत सिंह , मगर आलोक तोमर तो मेरे लिए भगवान् है भगवान् थे और भगवान् रहेगे  | 
आलोक तोमर जी   दूसरो का चेहरा पढने में माहिर थे | एक बार मैंने सोचा चलो अपने भगवान् से मिल लेता हु | मैंने फ़ोन किया तो झट से बोले भाई एक काम करो , ऑफिस आ जाओ कल ?


 आलोक तोमर ने यह नहीं पूछा की अजेंडा क्या है आजकल के पत्रकार मिलने से पहले  अजेंडा पूछते फिर मुलाक़ात  करते है अगर मिलने से फायदा होता तो मिलो नहीं साले को टरका दो |


मै दिए वक़्त पर मिला तो देखते ही खुश हो गए ,मेरी  भी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था मै अपने भगवान से मिल रहा था | मैंने  बातो बातो में कहा दादा आपने कुछ जगह डेटलाइन के लिए निकाली है | 


अगर हो सके तो मुझे नौकरी दे दो ,काम की  जरुरत है  | उन दिनों हिंदुस्तान तिमेस ने लात मार कर मुझे निकाल दिया था जिसकी लिए मुझे घर वालो की जमकर  गाली भी खाना पड़ी थी  जो आज तक खा रहा हु | 


आलोक तोमर बोले, तुम बहुत तेज हो भाई ? वक़्त को पहचानने की ताकत है तुममे इसलिए मेरी सलाह मानो, किसी की नौकरी मत करो जो कर रहे हो वही करते रहो ,आने वाला टाइम तुम्हारा होगा |


 मै बोला दादा रोटी का जुगाड़ नहीं मिल रहा है तो तपाक से बोले ,काम करोगे तो रोटी भी मिलने लगेगी | भाई तुम्हारे पास घर है बस रोटी का जुगाड़ करना है |आलोक तोमर जी की बाते कटु परन्तु परम सत्य साफ़ साफ़ झलक रहा था उसके बाद मै कभी आलोक तोमर जी से नहीं मिला ?


यह लेख  साक्षात्कार.कॉम - साक्षात्कार.ओर्ग , साक्षात्कार टीवी.कॉम   संपादक सुशील गंगवार   ने लिखा है जो पिछले ११ साल से प्रिंट मीडिया , वेब मीडिया , इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए काम कर रहे है उनसे संपर्क  ०९१६७६१८८६६  पर करे |