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राहुल की करीबी मीनाक्षी चाहती हैं मीडिया पर अंकुश के लिए मीडिया नियामक प्राधिकरण बने


एक हैं मीनाक्षी नटराजन. कांग्रेस में हैं. राहुल गांधी की करीबी हैं. उन्होंने खुलकर कहा कि मीडिया पर अंकुश लगाए जाने की जरूरत है. मीडिया पर अंकुश के लिए मीडिया नियामक प्राधिकरण बनाए जाने की जरूरत है. उनके इस बयान के बाद बवाल मच गया. मीनाक्षी नटराजन के इस तालिबानी ऐलान के बाद कांग्रेस ने मीनाक्षी के बयान को उनका निजी विचार बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया.  इससे पहले मीडिया की आजादी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आंखें दिखाई थी. अब कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की निकट सहयोगी और सांसद मीनाक्षी नटराजन चाहती हैं कि प्रिंट और ब्रॉडकास्‍ट जर्नलिज्‍म को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाया जाए. इसके तहत बनने वाले प्राधिकरण को इतनी शक्ति हो कि वह मीडिया के खिलाफ बिना किसी शिकायत के ही खुद से संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सके.
मध्‍य प्रदेश के मंदसौर से सांसद और कांग्रेस सचिव नटराजन ने लोकसभा में निजी हैसियत से प्रिंट एडं इलेक्‍ट्रानिक मीडिया स्‍टैंडर्ड एडं रेग्‍युलेशन विधेयक 2012 विधेयक पेश करने का नोटिस दिया था. राहुल गांधी की कोर टीम में शामिल नटराजन के इस विधेयक मे प्रस्‍ताव किया गया था कि प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया नियायक प्राधिकरण के लिए कानून बनाया जायेगा और मानक तय किये जाएं. इस प्राधिकरण को अधिकार होगा कि वह प्रिंट और इलेक्‍ट्रानिक मीडिया के खिलाफ खुद संज्ञान लेकर या व्‍यक्तिगत शिकायतों और वे सभी मामले जो इसके सामने लाए जाएं, उन पर समुचित कार्यवाही कर सके.

मीनाक्षी के प्रस्तावित विधेयक में जिस नियामक प्राधिकरण की बात कही गई है, उसको जिन शक्तियों का प्रावधान किया गया है उनमें ऐसे किसी कार्यक्रम या घटना के कवरेज को प्रतिबंधित करने या निलंबित करने का अधिकार शामिल है जो विदेश या आंतरिक स्रोत से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है. इसमें पचास लाख रुपये तक के जुर्माना और मीडिया संगठन के लाइसेंस को ग्यारह महीने तक निलंबित करने और कुछ मामले में रद्द करने का भी प्रावधान है.

इस बीच, कांग्रेस ने पार्टी सांसद मीनाक्षी नटराजन के निजी विधेयक से अपने को अलग करते हुए कहा कि इसमें उनकी व्यक्तिगत राय है एवं राहुल गांधी की राय नहीं है. मीनाक्षी नटराजन को राहुल गांधी का करीबी समझा जाता है. कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि यह विधेयक उनकी राय पर आधारित है. ये राहुल गांधी के विचार नहीं हैं. नटराजन ने इस विधेयक पर राहुल की सहमति नहीं ली है. द्विवेदी का यह स्पष्टीकरण मीडिया की उन खबरों के बाद आया है कि नटराजन को पिछले सप्ताह लोकसभा में प्रिंट एंड इलेक्ट्रानिक मीडिया स्टैन्डर्ड एंड रेगूलेशन बिल 2012 पेश करना था, लेकिन यह विधेयक पेश नहीं हो सका क्योंकि जब नटराजन का नाम पुकारा गया तो वह अनुपस्थित थीं. लिहाजा अब उन्‍हें नया नोटिस देना होगा.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायधीश एस एच कपाडि़या की अध्‍यक्षता वाली पांच सदस्‍यीय संवैधानिक पीठ ने कहा था कि अदालत की कार्यवाही को कवर करने वाले पत्रकारों के लिए दिशानिर्देश तय करने का मकसद पत्रकारों की ‘सीमाएं’ तय करना है. एडीटर्स गिल्‍ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इस प्रकार के दिशानिर्देश तय करने से अभिव्‍यक्ति की आजादी को खतरा है और न्‍यायालय के पास ऐसा करने की शक्ति नहीं है. गिल्‍ड की तरफ से पेश हुए वरिष्‍ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि अगर ऐसा कानून लाया जाता है तो इससे अभिव्‍यक्ति की आजादी और न्‍यायिक शासन के लिए जोखिम हो सकता है. हमने मीडिया के अधिकारों और अन्‍य अधिकारों के बीच संतुलन के लिए पर्याप्‍त ढंग से न्‍याय शास्‍त्र को विकसित नहीं किया है. इसके अलावा अवमानना कानून के उल्‍लंघन का खतरा बना हुआ है.
Sabhar- Bhadas4media.com